आत्मशक्ति का मार्ग है योग

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आत्मशक्ति का मार्ग है योग
आत्मशक्ति का मार्ग है योग
मधु पाण्डेय
मधु पाण्डेय

योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का अभ्यास नहीं, बल्कि भीतर की शक्ति को जगाने की यात्रा है। यह हमें उस मार्ग पर ले जाता है जहाँ हम अपने भीतर छिपे संकल्प, विश्वास और चेतना को पहचानते हैं। जब हम योग करते हैं, तो हम केवल आसन नहीं करते-हम स्वयं से संवाद करते हैं। योग केवल शरीर को मोड़ने और सांसों को नियंत्रित करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा है, जो मनुष्य को भीतर से जागरूक और सशक्त बनाती है। यह एक मार्ग है आत्मशक्ति की ओर, जहाँ व्यक्ति न केवल बाहरी संसार को समझता है, बल्कि स्वयं को भी गहराई से जानता है। आत्मशक्ति का मार्ग है योग

योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, एक आंतरिक अनुशासन है, जो मनुष्य को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर सशक्त करता है। जब हम योग की साधना करते हैं, तो हम न केवल अपने शरीर को स्वस्थ बनाते हैं, बल्कि अपने मन को स्थिर, चिंतनशील और जागरूक भी बनाते हैं। यही जागरूकता और मानसिक स्थिरता हमें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती है।

जीवन पद्धति है योग- हमारे सप्त ऋषियों में से एक महान ऋषि अगस्त्य मुनि ने भारत में योग को जनसामान्य के लिए सहज एवं सर्वसुलभ बनाने में अद्भुत योगदान दिया। ईसा पूर्व दूसरी सदी में महर्षि पतंजलि ने ‘पतंजलि योग सूत्र’ नामक दिव्य कृति के माध्यम से सभी का योग से परिचय कराया। भारतीय परंपरा में तो योग एक जीवन पद्धति थी, इसीलिए हमारे ऋषि प्रकृति के सान्निध्य में रहते थे।

योग को हमारे ऋषियों ने जीवन को धैर्य और संयम युक्त बनाने के लिए प्रमुख माध्यम बनाया था। वर्तमान समय में संपूर्ण मानवता की रक्षा के लिये धैर्य, संयम और करुणा जैसे दिव्य आभूषणों की ही आवश्यकता है, जो केवल योगमय जीवन पद्धति में निहित हैं। भारत में योग एक जीवन पद्धति है, दर्शन है और संस्कृति भी है।

योग और आत्मबल: आत्मनिर्भरता की नींव

आज के समय में आत्मनिर्भरता केवल आर्थिक स्वतंत्रता का नाम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, निर्णयों और जीवनशैली के लिए स्वयं पर निर्भर होता है। योग हमें यही आत्मबल देता है — भीतर से मज़बूत बनना। जब व्यक्ति भीतर से दृढ़ होता है, तो वह बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं रहता, बल्कि उनका सामना आत्मविश्वास और संतुलन के साथ करता है।

योग: आत्मचिंतन का साधन

योग का प्रमुख उद्देश्य है – आत्मचिंतन और आत्मसाक्षात्कार। जब हम ध्यान और प्राणायाम जैसे योगिक अभ्यास करते हैं, तो हम अपने भीतर झांकते हैं, अपने अस्तित्व को समझते हैं। यही समझ हमें निर्भरता से स्वतंत्रता की ओर ले जाती है। हम दूसरों से अपेक्षाएँ कम करने लगते हैं, और अपने अंदर समाधान खोजने लगते हैं।

आत्मनिर्भर भारत में योग की भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “आत्मनिर्भर भारत” की जो परिकल्पना रखी है, उसमें योग एक मौलिक भूमिका निभा सकता है। एक स्वस्थ, जागरूक और आत्मविश्वासी नागरिक ही आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। योग के माध्यम से हर व्यक्ति न केवल अपने स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी स्वयं उठा सकता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मशक्ति के बल पर जीवन के निर्णय भी स्वविवेक से ले सकता है।

शारीरिक स्वास्थ्य से आत्मबल तक

योग न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी हमें मजबूत बनाता है। एक स्वस्थ शरीर में ही आत्मबल का विकास होता है। नियमित योगाभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। यह सब मिलकर हमें आत्मविश्वासी और कर्मशील बनाते हैं।

योग: शरीर से आत्मा तक

प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा में योग को आत्म-साक्षात्कार का साधन माना गया है। यह शरीर, मन और आत्मा का ऐसा समन्वय है, जो हमें स्वस्थ, संतुलित और सजग बनाता है। जब मन स्थिर होता है, सांसें नियंत्रित होती हैं, और शरीर संयमित होता है — तभी भीतर की अद्भुत शक्ति प्रकट होती है।

योग और आत्मशक्ति का संबंध

आत्मशक्ति का अर्थ है-वह शक्ति जो किसी बाहरी साधन पर निर्भर नहीं करती, जो हमारे भीतर से आती है, जो हमें कठिन परिस्थितियों में डगमगाने नहीं देती। योग इसी आत्मबल को जाग्रत करता है। ध्यान, प्राणायाम और साधना के माध्यम से हम अपनी कमजोरियों को पहचानते हैं, और उन्हें पार कर आत्मबल को विकसित करते हैं।

जब हम योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं, तो हम केवल शरीर नहीं साधते -हम अपने मन को अनुशासित करते हैं, अपने आत्मबल को जागृत करते हैं और अंततः एक ऐसे मार्ग पर बढ़ते हैं जहाँ हम स्वयं के लिए निर्णायक, सक्षम और स्वतंत्र बनते हैं। योग सिखाता है-अपने भीतर झाँको, और वहीं पाओगे वह शक्ति जो तुम्हें आत्मनिर्भर बनाती है। आज के समय में जब बाहरी दुनिया में अनिश्चितता और द्वंद्व है, तब योग हमें भीतर की स्थिरता और शक्ति प्रदान करता है। यह न केवल शरीर और मन को संतुलित करता है, बल्कि हमारी आत्मा को भी ऊर्जा और दिशा देता है।योग केवल अभ्यास नहीं, एक जीवनदृष्टि है,और यह दृष्टि हमें आत्मशक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती है। आत्मशक्ति का मार्ग है योग