स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बन रही स्वावलंबी व आत्मनिर्भर

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स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बन रही स्वावलंबी व आत्मनिर्भर
स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बन रही स्वावलंबी व आत्मनिर्भर

समूहों की महिलाओ की आमदनी बढाने के लिये फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग देने के साथ सामग्री की बिक्री हेतु स्ट्रीट फूड वेन्डर्स के रूप मे उपलब्ध कराये जायेगे वेण्डिंग कार्डस। स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बन रही स्वावलंबी व आत्मनिर्भर

लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशो के क्रम मे उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति व प्रधानमंत्री सूक्ष्म उद्योग उन्नयन योजना के कार्य पूरी गतिशीलता के साथ संचालित किये जा रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार महिला स्वयं सहायता समूहों को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ जैसे कि मिलेट आधारित डोसा, इडली, कुकीज, पापड़, चिप्स, नमकीन, मोमोज, पिज्जा, बर्गर, सैण्डविच, सत्तू के पेय पदार्थ, पानी के बतासे के साथ-साथ उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार विभिन्न खाद्य उत्पाद महिलाओं द्वारा तैयार किये जायेगें, उन्हें पूर्ण रूप से प्रशिक्षित कराने के उपरान्त स्ट्रीट फूड वेण्डर्स के रूप में मुख्य स्थानों पर वेण्डिंग कार्डस यू.पी. एस.आर.एल.एम. एवं उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग तथा इस क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से उपलब्ध कराये जायेगें।इस प्रकार प्रदेश में आने वाले 02 वर्ष में एक लाख महिलाओं को रोजगार दिलाने के प्रयास किये जायेगें।

प्रत्येक गांव को लाभान्वित करने के उद्देश्य से मुख्यमन्त्री खाद्य प्रसंस्करण योजना इस वर्ष प्रारम्भ की गयी है, जिसके माध्यम से प्रत्येक गांव में कुटीर उद्योग स्थापित कराने का लक्ष्य है इसके अन्तर्गत प्रत्येक महिला/इच्छुक लाभार्थी को 50 प्रतिशत अनुदान धनराशि रू. 01 लाख हस्तगत कराने का प्राविधान है। प्रदेश में उच्च गुणवत्ता के दैनिक खाद्य उत्पाद एवं साफ-सफाई रखने के उद्देश्य से मण्डल मुख्यालय पर एक मासीय कुकरी (पाक कला) / बेकरी प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।

उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 अन्तर्गत निवेश पोर्टल के माध्यम से ऑनलाईन 1100 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें रु0 7000 करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश उद्यमियों द्वारा किया जा रहा है।प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 लागू की गयी थी, जि माध्यम से प्रदेश में लगभग धनराशि रु. 5,000 करोड़ का पूंजी निवेश उद्यमियों द्वारा किया गय।। स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष 560 संस्थाओं को पूंजीगत ब्याज उपादान धनराशि रू. 500.00 करोड़ हस्तांतरित की गयी।

प्रधानमन्त्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (पीएम एफएमई) योजना प्रदेश में 14 इनक्यूवेशन सेण्टर्स भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किये गये हैं। इनकी स्थापना होने पर प्रदेश के किसानों स्टार्ट-अप, स्वयं सहायता समूहो, छात्रों आदि को विभिन्न लाभ प्राप्त होगें, जिससे इन सेण्टर्स के माध्यम से वित्तीय और आर्थिक लाभ ऋण तक पहुंच में वृद्धि पीएम एफएमई इनक्यूवेशन सेण्टर्स सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों, एफपीओ, एसएचजी और सहकारी समितियों के लिए ऋण तक पहुंच की सुविधा प्रदान करते हैं।पीएम एफएमई योजना में उद्योग लगवाने के लिए प्रत्येक जनपद में जनपदीय रिसोर्स पर्सन (डी. आर.पी.) की तैनाती जनपद के मुख्य विकास अधिकारियों द्वारा की जाती है। एक इकाई की स्थापना कराने में इन्हें धनराशि रू. 20000-00 उपलब्ध करायी जाती है, अभी तक 17150 इकाईयों से अधिक स्वीकृत की जा चुकी हैं, जिन्हें रू. 500 करोड़ से अधिक अनुदान धनरशि समय-समय उपलब्ध करायी गयी है।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा चयनित 10000 महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को 30 करोड़ कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी गयी, जिनके माध्यम से महिलायें खाद्य प्रसंस्करण आधारित उत्पाद तैयार करते हुए स्थानीय स्तर पर विक्रय कर रही हैं।प्रदेश में विभिन्न बैंकों के द्वारा पीएम एफएमई योजना के अन्र्तगत 17000 करोड़ से अधिक टर्म लोन स्वीकृत किया गया है।पीएम एफएमई योजना के अन्तर्गत इस वर्ष स्वीकृत प्रस्ताव सर्वाधिक हैं, जिनका स्ट्राइक रेट 98 प्रतिशत है जो कि प्रथम स्थान पर है।

प्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महिला स्वयं सहायता समूहों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विभिन्न प्रसंस्करण इकाईयों जैसे कि आचार, मुरब्बा, पापड़, चिप्स, जैम, चटनी, मिलेट आधारित कुकीज, मल्टीग्रेन आटा, दलिया, नमकीन दुग्ध आधारित विभिन्न उत्पाद, मसाले, मशरूम आधारित उत्पाद, शहद आदि में प्रशिक्षित करते हुए उद्योग स्थापित कराने के निर्देश निर्गत किये गये हैं।एग्रो प्रोसेसिंग कलस्टर्स का चिन्हांकन करते हुए अपने जनपदों में मूल्य संवर्द्धन एवं प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित करायी जायें। इन कार्यों से प्रदेश में अधिक से अधिक रोजगार सृजन होगें।पीएम एफएमई योजनान्तर्गत एक जिला एक उत्पाद (ओ.डी.ओ.पी.) पर आधारित इनक्यूबेशन सेण्टर आगरा, अयोध्या, गोरखपुर, बस्ती, लखनऊ, बरेली, वाराणसी, अलीगढ़, झांसी, मेरठ, मिर्जापुर, कौशाम्बी, कानपुर देहात एवं सहारनपुर में करायी गयी है, जिनमें महिला स्वयं सहायता समूहो, किसानों की सहभागिता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिये गये हैं, इन सेण्टर्स के माध्यम से उच्च गुणवत्ता के विभिन्न खाद्य उत्पाद निर्मित कराये जायेगें, जिन्हें एक प्लेट फार्म के माध्यम से विक्रय कराने की व्यवस्था करायी जायेगी। स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं बन रही स्वावलंबी व आत्मनिर्भर