आखिर नेता को शर्म क्यों नहीं आती

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आखिर नेता को शर्म क्यों नहीं आती
आखिर नेता को शर्म क्यों नहीं आती

आखिर नेता को शर्म क्यों नहीं आती

मुख्यमंत्री जी….! भाजपा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का प्रदर्शन धमाल पट्टी हो सकता है, लेकिन खाजूवाला के सरकारी स्कूल के बच्चों का 90 किलोमीटर का पैदल मार्च राजनीति से प्रेरित नहीं है। सर्द हवाओं में रात दिन पैदल चल कर 25 जनवरी को बीकानेर मुख्यालय पर पहुंचे बच्चे। राजनीति करने वालों को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला खुद बीकानेर के ही हैं।

एस0 पी0 मित्तल

राजस्थान। इसे बेहद ही अफसोसनाक कहा जाएगा कि राजस्थान के खाजूवाला के पुंगल के दंडी के सरकारी स्कूल के सैकड़ों बच्चे रात-दिन पैदल चल कर 25 जनवरी को बीकानेर जिला मुख्यालय पर पहुंचे हैं। खाजूवाला से बीकानेर की यह यात्रा करीब 90 किलोमीटर की है। इन बच्चों में स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां भी हैं। चूंकि पैदल चलने का आव्हान स्वयं विद्यार्थियों ने ही किया है, इसलिए यात्रा में कोई रिहायशी कंटेनर अथवा वाहन भी नहीं है। 24 जनवरी की रात को ग्रामीणों ने जैसा भोजन करवाया वैसा ही ग्रहण कर लिया। 25 जनवरी अंधेरे में ही पैदल चलना शुरू कर दिया ताकि प्रातः 11 बजे तक बीकानेर जिला मुख्यालय पर पहुंचा जा सके। सर्द हवाओं के बीच बिना सुविधाओं के 500 बच्चों की पदयात्रा कितनी कष्टकारक हुई होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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सवाल उठता है कि ऐसी क्या मांग है जिसकी वजह से स्कूल के विद्यार्थियों को 90 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ी है? असल में खाजूवाला के सरकारी स्कूल में लंबे समय से शिक्षकों के 13 पद खाली पड़े हैं, जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल के प्राचार्य ने कई बार जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर खाली पद भरने की मांग की। लेकिन फिर भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। अब तंग आकर विद्यार्थियों ने स्वयं ही मोर्चा संभाला और खाजूवाला से 90 किलोमीटर पैदल चलकर बीकानेर पहुंचे हैं। जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने के बाद विद्यार्थियों को उम्मीद है कि अब शिक्षकों की नियुक्ति हो जाएगी। बच्चों के इस प्रदर्शन में सबसे खास बात यह है कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला स्वयं बीकानेर के हैं। यदि शिक्षा मंत्री के गृह जिले में किसी स्कूल के बच्चों को शिक्षकों की नियुक्ति करवाने के लिए 90 किलोमीटर पैदल चलना पड़े तो प्रदेश के सरकारी स्कूलों के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सवाल बीकानेर के जिला प्रशासन पर भी उठता है। यदि प्रशासन संवेदनशील होता तो 500 बच्चे खाजूवाला से रवाना ही नहीं होते। जाहिर है कि बच्चों की किसी को भी परवाह नहीं है। इस स्कूल में 538 विद्यार्थी हैं, जिससे जाहिर होता है कि खाजूवाला के बच्चे तो पढ़ना चाहते हैं, लेकिन सरकारी की पढ़ाई में रुचि नहीं है। 24 जनवरी से ही पेपर लीक प्रकरण में भाजपा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का धरना प्रदर्शन जयपुर में हो रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सांसद मीणा के प्रदर्शन को राजनीतिक धमाल पट्टी कह सकते हैं, लेकिन खाजूवाला के सरकारी स्कूल के बच्चों के विरोध प्रदर्शन में कोई धमाल पट्टी नहीं है। यदि बच्चों को शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 90 किलोमीटर पैदल चलना पड़े तो यह संपूर्ण राजनीति के लिए शर्म की बात है। लोकसभा में बीकानेर का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल करते हैं। मेघवाल को भी खाजूवाला के मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।

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