राजस्थान में धार्मिक स्थलों पर क्यों लगा रखी हैं पाबंदियाँ..?

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कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव पिय्रंका गांधी उत्तर प्रदेश में मोनी अमावस्या पर गंगा स्नान कर सकती हैं, लेकिन राजस्थान में अजमेर में ख्वाजा उर्स में जियारत करने के लिए अशोक गहलोत के प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चादरों को लेकर भी संशय। खादिम गनी गुर्देजी ने लिखा सोनिया गांधी को पत्र।

एस0 पी0 मित्तल

राजस्थान – कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के 11 फरवरी को मोनी अमावस्या पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा स्नान कर पुण्य कमाया। प्रियंका के साथ प्रयागराज में कोई 35 लाख श्रद्धालुओं ने भी गंगा स्नान किया। इसी प्रकार उत्तर खंड के हरिद्वार में करीब 15 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। प्रियंका गांधी ने गंगा स्नान के बाद मनकामेश्वर मंदिर में दर्शन भी किए। सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है। लेकिन अब यदि प्रियंका गांधी को अजमेर में भर रहे ख्वाजा साहब के उर्स में दरगाह में जियारत करनी होगी तो पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। प्रशासन प्रियंका गांधी को जियारत की तभी अनुमति देगा, जब प्रियंका गांधी अपनी कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट ऑनलाइन पोस्ट करेंगी।

अजमेर में ख्वाजा साहब का 6 दिवसीय सालाना उर्स 13 फरवरी से शुरू हो रहा है। उर्स में देश भर से जायरीन जियारत के लिए आते हैं। उर्स अवधि में जियारत का खास धार्मिक महत्व होता है। सवाल अकेले ख्वाजा साहब के उर्स का नहीं है? मार्च में सीकर स्थित खाटू में श्याम बाबा के मंदिर में भी वार्षिक मेला भरेगा। यहां भी सरकार की पाबंदियों का सामना श्रद्धालुओं को करना पड़ेगा। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने राजस्थान में अभी भी धार्मिक स्थलों पर लगने वाले मेलों पर अनेक पाबंदियाँ लगा रखी है। इन पाबंदियों के चलते ही लोगों को परेशानी हो रही है। सवाल उठता है कि जब उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर छूट हो गई है, तब राजस्थान में इतनी सख्ती क्यों बरती जा रही है? धार्मिक मेलों से हजारों लोगों को रोज़गार मिलता है। छूट की वजह से ही प्रियंका गांधी गंगा स्नान कर सकीं।

प्रियंका गांधी को ऐसी छूट कांग्रेस शासित राजस्थान में ख्वाजा साहब की दरगाह में भी मिलनी चाहिए। अब जब कोरोनाकाल में स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है, तब धार्मिक मेलों में पाबंदियाँ कोई मायने नहीं रखती है। 12 फरवरी को कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान के गंगानगर और हनुमानगढ़ में किसान सम्मेलनों को संबोधित किया। इन सम्मेलनों में लाखों लोग उपस्थित रहे। राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी रहे। प्रदेश में जब राजनीतिक नज़रिए से किसान सम्मेलन हो सकते हैं तो फिर धार्मिक मेले क्यों नहीं…?

उर्स में वीआईपी चादरों को लेकर भी संशय :-
अजमेर में चल रहे ख्वाजा साहब के उर्स में वीआईपी व्यक्तियों की ओर से मजार शरीफ पर चादर पेश करने की पंरपरा है। इसी परंपरा को निभाते हुए इस बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी एवं अनेक प्रदेशों के मुख्य मंत्रियों व राज्यपालों की ओर से चादर पेश होनी है। गहलोत सरकार ने जो पाबंदियाँ लगा रखी है, उनके अंतर्गत धार्मिक स्थलों पर प्रसाद फूल मालाएँ आदि सामग्री चढ़ाने पर रोक है। ऐसी रोक के चलते हुए ही अजमेर में भी ख्वाजा साहब की दरगाह में मजार शरीफ पर चादर चढ़ाने पर रोक लगी हुई है। सवाल उठता है कि जब परंपरा के अनुरूप प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष की चादरें आएंगी, तब क्या होगा। अजमेर में उर्स के प्रभारी और सिटी मजिस्ट्रेट गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि अभी किसी भी वीआईपी की चादर की सूचना नहीं मिली है। उच्च स्तर पर विचार विमर्श कर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल सरकार की पाबंदियों की पालना दरगाह में करवाई जा रही है।

खादिम ने सोनिया को पत्र लिखा :-
उर्स के दौरान दरगाह में लगी सरकारी पाबंदियों को देखते हुए गांधी परिवार के खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती गांधी को पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि अजमेर प्रशासन से संपर्क करने के बाद ही चादर भिजवाई जाए। यदि प्रशासन की सहमति होगी तो सूफी परंपरा के अनुरूप मजार शरीफ पर चादर पेश करवा दी जाएगी। गुर्देजी ने खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान से भी सहयोग लेने का आग्रह किया है। अब देखना होगा कि आम जायरीन पर लगी पाबंदियों के बीच वीआईपी व्यक्तियों की चादर उर्स में कैसे पेश करवाई जाती है।