

भाजपा के संगठनात्मक ढांचे में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के भीतर हलचल बढ़ गई है और कई दिग्गज नेता इस रेस में अपने-अपने समीकरण बिठाने में जुटे हैं। दिल्ली से लेकर राज्यों तक सत्ता और संगठन के बीच संतुलन साधने की कोशिशें जारी हैं। ऐसे समय में जब 2027 की रणनीति बन रही है, अध्यक्ष पद की दौड़ ने भाजपा की आंतरिक राजनीति को और दिलचस्प बना दिया है। अब देखना होगा कि अनुभव, जनाधार और नेतृत्व क्षमता के बीच किसका पलड़ा भारी पड़ता है। कौन बनेगा भाजपा का नया अध्यक्ष..?
विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में चर्चित भारतीय जनता पार्टी में इन दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ अपने “अंतिम चरण” में चल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ उत्तर दक्षिण के कांबिनेशन तथा संघ की कसौटी पर कौन सा चेहरा फिट बैठेगा? इसको लेकर कई नामों की चर्चा हो रही है। भगवा खेमे में चल रही इस कथित “मैराथन” में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सबसे आगे चल रहे हैं। चौहान के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सहित करीब एक दर्जन अन्य पार्टी नेता भी अध्यक्ष पद पर “काबिज” होने की लाइन में हैं। इनमें उत्तर भारत की हिंदी पट्टी के साथ-साथ पार्टी के कई दक्षिण भारतीय चेहरे भी शामिल हैं। वर्ष 2020 में भाजपा की कमान थमने वाले वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपना कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद दो बार अध्यक्ष के रूप में विस्तार ले चुके हैं। अब पार्टी की कोशिश है कि जुलाई के इसी महीने पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाए। बीते दिनों देश में चली राजनीतिक चर्चा के रूप में अब ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भाजपा के बीच में अध्यक्ष पद को लेकर किसी फार्मूले पर सहमति बन चुकी है और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पवित्र श्रावण मास से पहले भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है।
भारतीय जनता पार्टी में देशव्यापी सदस्यता अभियान के बाद अब संगठन पर्व के तहत विभिन्न पदों पर नियुक्तियां हो रही हैं। अब तक की हुई संगठन की प्रक्रिया में भाजपा ने 22 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का ऐलान कर दिया है भाजपा के संगठन चावन के जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति और चयन के लिए कम से कम 19 प्रदेशों के अध्यक्षों की सहमति और अनुशंसा चुनाव के लिए आवश्यक है। भाजपा ने ताबड़तोड़ नियुक्तियां कर इन मानदंडों को भी पूरा कर लिया है। इसलिए अब ऐसा लगता है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन की मैराथन समाप्त होने की कगार पर है।
भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में चल रहे नाम पर गौर करें, तो इनमें सबसे आगे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले शिवराज सिंह चौहान सांगठनिक लिहाज से पार्टी में सबसे वरिष्ठ नेताओं की सूची में भी आते हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनकी नजदीकी के साथ-साथ लोकप्रियता और संगठन में पकड़ को लेकर भी चौहान का कोई “सानी” नहीं है। इससे पूर्व भी मोदी 3.0 सरकार के बाद शिवराज सिंह चौहान के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष होने की अटकलें लगी थीं। पार्टी आलाकमान ने जब चौहान को मध्यप्रदेश से दिल्ली बुलाया तब भी ऐसा माना जा रहा था कि भाजपा उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंप कर मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने की क्षति को पूरा कर सकती है। लेकिन तब उन्हें कृषि मंत्री का दायित्व सौंप दिया गया था। यही वजह है कि चौहान को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वाभाविक दावेदार के तौर पर माना जा रहा है।
बीते विधानसभा चुनाव में मरुधरा कहे जाने वाले राजस्थान में भाजपा का बहुमत आने के बाद मुख्यमंत्री की स्वाभाविक एवं सर्वमान्य दावेदार वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। पार्टी में युवा चेहरों को नई “जिम्मेदारी” देने की कवायद के चलते राजे की बजाय मुख्यमंत्री की कुर्सी भजनलाल शर्मा को सौंप दी गई। इसके बाद पार्टी ने राजे को संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की एक बड़ी जिम्मेदारी देकर नवाजा। बताते चलें कि वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री तथा कई बार की सांसद एवं विधायक रह चुकी हैं। इससे पूर्व वर्ष 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया। वसुंधरा राजे को अक्टूबर 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। वहीं, भाजपाई दिग्गज भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें राजस्थान में भाजपा राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। राजे के लंबे राजनीतिक अनुभव, संघ से उनकी निकटता,संगठन में कार्य करने की कुशलता तथा जनसंघ की पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते राजे को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में एक और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का नाम भी शामिल है। यादव को एक कुशल संगठन कर्ता के रूप में जाना जाता है और उनके राजनीतिक कौशल को लेकर किसी को कोई गुरेज नहीं है। यादव कई राज्यों में बतौर प्रभारी पार्टी की “नैया” पार लगा चुके हैं। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री एवं संघ से जुड़े धर्मेंद्र प्रधान का नाम भी अध्यक्ष बनने की संभावित सूची में है। धर्मेंद्र प्रधान पूर्व में पेट्रोलियम मंत्री से लेकर वर्तमान में शिक्षा मंत्री का कामकाज का संभाल संभाल रहे हैं। इसके साथ उड़ीसा चुनाव में उनकी भागीदारी से पार्टी आलाकमान की नजरों में उनका कद बढा है। इसी के चलते प्रधान को जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है। इस कवायद में एक अन्य राजनीतिक विमर्श के रूप में पार्टी आला कमान की कोशिश हाल में दक्षिण भारत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दक्षिण भारत से ही किसी को अध्यक्ष बनाने की भी है। दक्षिण भारत से भाजपा अध्यक्ष बनने के स्वाभाविक एवं प्रबल दावेदारों में सबसे आगे प्रहलाद जोशी का नाम है।
करीब 62 साल के प्रहलाद जोशी कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। जोशी धारवाड लोकसभा सीट से लगातार 5 वीं बार सांसद के साथ-साथ केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री हैं। इस लिस्ट में एक ओर नाम जी किशन रेड्डी हैं। उन्हें अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ओबीसी और साउथ दोनों को संदेश दे सकती है। रेड्डी को सरकार और संगठन दोनों का अनुभव है। वर्ष 2019 से लगातार केंद्र में मंत्री रेड्डी पीएम मोदी के पुराने विश्वस्त हैं। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में किसी महिला नेता पर भी दाव खेल सकती है। हाल में दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि से आने वाली रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया है। इसके साथ ही महिला शक्ति वंदन अधिनियम पारित करके भी पार्टी ने महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण को उजागर किया है। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाली विनीता श्रीनिवासन का नाम सबसे आगे है। पेशे से वकील श्रीनिवासन वर्तमान में भाजपा की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
वह कोयंबटूर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र तमिलनाडु विधान सभा की सदस्य हैं। दक्षिण भारत से अध्यक्ष पद की दौड़ में एक अन्य महिला नेत्री डी पुरंदेश्वरी हैं। करीब 65 वर्षीयडी पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव की बेटी हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर अगर कोई दक्षिण भारतीय काबिज होता है तो यह कोई पहली बार नहीं होगा। इससे पूर्व भी भाजपा ने कुल 11 राष्ट्रीय अध्यक्षों में दक्षिण भारत से आने वाले तीन नेताओं को इस कुर्सी पर बिठाया है। इनमें जना कृष्णमूर्ति, बंगारू लक्ष्मण और वेंकैया नायडू के नाम शामिल हैं। भाजपा आलाकमान की मंशा है कि वर्ष 2026 में पश्चिम बंगाल के साथ तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा किसी दक्षिण भारतीय नेता को ही बिठाए। ऐसे में माना जा रहा है कि दक्षिण के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद मिल सकता है। उधर, भगवा खेमे में संजय जोशी, योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर, मनोज सिन्हा, सुनील बंसल और जी किशन रेड्डी जैसे नाम भी अध्यक्ष पद की रेस में हैं। ऐसे में किसी अप्रत्याशित चेहरे की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
देश की हिंदी पट्टी में समाजवादी, कांग्रेसी, और वामपंथी विचारधारा का गहरा प्रभाव रहा है। ऐसे में, भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए संघ इस क्षेत्र में एक ऐसे नेता को कमान सौंपना चाहता है, जो स्थानीय स्तर पर स्वीकार्य हो और संगठन को नई ऊर्जा भी दे सके। भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने कई राजनीतिक चुनौतियों का “पहाड़” होगा। इसी वर्ष 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव, वर्ष 2026 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, और असम, तथा वर्ष 2027 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर एवं पंजाब में चुनाव होने हैं। इसके साथ नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के “कंधों” पर राष्ट्रपति एवं उप राष्ट्रपति चुनाव में भी पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा भाजपा में आंतरिक तथा संगठनात्मक लोकतंत्र को कायम रखने के साथ-साथ तीसरी और चौथी पीढ़ी के नेताओं को साधने, संगठन को मजबूत करने तथा वर्ष 2047 तक भाजपा के निष्कंटक राज की नींव रखने का दायित्व भी नए अध्यक्ष के कंधों पर ही होगा। कौन बनेगा भाजपा का नया अध्यक्ष..?