लखनऊ। भाजपा ने 5 अक्टूबर,2012 को मछुआरा दृष्टिपत्र/फिशरमैन विज़न डाक्यूमेंट्स जारी किया था।संकल्प लिया था कि 2014 में भाजपा सरकार बनने पर आरक्षण की विसंगतियों को दूर कर देश की सभी निषाद मछुआरा जातियों को एससी/एसटी का आरक्षण दिया जाएगा।नीली क्रांति के माध्यम से निषाद मछुआरों का आर्थिक विकास किया जाएगा।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व वीआईपी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद को त्याग कांग्रेस पार्टी में शामिल चौधरी लौटन राम निषाद ने केन्द्र व प्रदेश सरकार पर मझवार, तुरैहा,गोंड के साथ नाइंसाफी व वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार में इन जातियों के साथ सामाजिक,राजनीतिक व आर्थिक अन्याय व दोयमदर्जे का बर्ताव किया जा रहा है। संवैधानिक व परम्परागत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।उन्होंने पूछा है कि कहाँ गया भाजपा के मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प?
निषाद ने मझवार,बेलदार,तुरैहा, गोंड़ को चमार,जाटव,वाल्मीकि की भाँति परिभाषित कर इनकी पर्यायवाची व वंशानुगत जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ व प्रमाण पत्र जारी करने के लिए इसी शीतकालीन सत्र में संविधान(अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आरक्षण आदेश संशोधन बिल पारित कर गृह मंत्रालय से आदेश पत्र व राजपत्र जारी कराने की मांग किया है। सेन्सस ऑफ इण्डिया-1961 फॉर यूपी मैनुअल पार्ट-1 के अनुसार उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति मझवार की पर्यायवाची/वंशानुगत जाति मल्लाह, मांझी, केवट, राजगौड़, गोड़ मझवार, मुजाबिर को माना गया है। इसी सेन्सस के क्रमांक-24 पर अंकित जाटव, चमार,धूसिया, झूसिया की पर्यायवाची जाटवी, जटीवा, दबकर, रैगर, मोची, कुरील, भगत, रैदासी, रविदसिया, शिवदसिया, नीम, पिपैल, कर्दम, दोहरा, दोहर, दोहरे, चमकाता, उतरहा, दखिनहा, अहिरवार, कबीरपंथी आदि का उल्लेख है।
उन्होंने कहा है कि जब चमार,जाटव की सभी पर्यायवाची जातियों, उपजातियों-मोची, कुरील, दबकर, दोहरे, दोहरा,चमकाता, कबीररपंथी,भगत,रविदासिया, रैदासी,शिवदसिया, नीम, पीपैल, कर्दम, धुसिया, झुसिया, उतरहा, दखिनहा,जाटवी,जटीवा,अहिरवार,जैसवार,रैदासी आदि को चमार या जाटव के नाम से प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है तो मझवार की पर्यायवाची मानी गयी जातियों को मझवार का जाति प्रमाण-पत्र क्यों नहीं? उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन बताया है।उन्होंने इसी सत्र में संविधान(अनुसूचित जातियाँ और अनुसूचित जनजातियां) आरक्षण आदेश संशोधन विधेयक–2021 पारित कर मंझवार(मल्लाह,केवट,माँझी, बिन्द),तुरैहा(धीमर,धीवर,तुराहा, तुरहा),गोंड़(गोड़िया, धुरिया,कहार,रैकवार,बाथम,धीमर) आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश जारी करने की मांग किया है।उन्होंने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने व मछुआरों के परम्परागत अधिकारों की बहाली की भी मांग किया है।
इन पर्यायवाची उपजातियों को राजस्व अधिकारियों द्वारा निर्बाध रूप से चमार या जाटव का प्रमाण-पत्र निर्गत किया जाता है। लेकिन जब कोई मझवार,तुरैहा, गोंड़, खरवार, बेलदार, तड़माली, शिल्पकार का जाति प्रमाणपत्र मांगता है, तो मल्लाह, केवट, माँझी, बिन्द, गोड़िया, धीवर,धीमर, कहार, कमकर,राजभर,कुम्हार आदि कहकर आवेदन निरस्त कर दिया जाता है।निषाद ने केन्द्र सरकार से मझवार, तुरैहा, गोंड़ की पर्यायवाची जातियों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिए इसी शीतकालीन सत्र में बिल पेश किये जाने की मांग किया है।निषाद ने कहा कि हम नए सिरे से अनुसूचित जाति में शामिल करने की नहीं,बल्कि राष्ट्रपति की प्रथम अधिसूचना जो 10 अगस्त,1950 को जारी की गई,उसमें सूचीबद्ध मझवार,तुरैहा, गोंड को परिभाषित कर इन जातियों के साथ न्याय करने की मांग किया है।