पंचायत चुनाव से पहले गांवों का विकास ठप,बैठक में हंगामा

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पंचायत चुनाव से पहले गांवों का विकास ठप,बैठक में हंगामा
पंचायत चुनाव से पहले गांवों का विकास ठप,बैठक में हंगामा

पंचायत चुनाव अगले साल हैं, लेकिन गांवों का विकास पिछले दो साल से ठप पड़ा है। उम्मीद थी कि डेढ़ साल बाद बुलाई गई जिला पंचायत बोर्ड की बैठक में विकास की दिशा तय होगी, रुके काम शुरू होंगे और अहम फैसले लिए जाएंगे। लेकिन हुआ उल्टा—बजट पास होते ही सदन हंगामे में डूब गया। सवाल साफ है, क्या पंचायत चुनाव से पहले विकास हाशिये पर है और सियासत केंद्र में? पंचायत चुनाव से पहले गांवों का विकास ठप,बैठक में हंगामा

राजू यादव

लखनऊ। पंचायत चुनाव अगले साल होने हैं… लेकिन सवाल ये है कि गांवों का विकास पिछले दो साल से क्यों ठप है? सोमवार को करीब डेढ़ साल बाद बुलाई गई जिला पंचायत बोर्ड की बैठक से लोगों को उम्मीद थी कि 👉 विकास की नई कार्ययोजना बनेगी 👉 रुके हुए काम शुरू होंगे 👉 मानचित्र शुल्क जैसे अहम प्रस्तावों पर फैसला होगा लेकिन जो हुआ… वो विकास नहीं, सियासत और हंगामे की तस्वीर बनकर रह गया। सबसे पहले 73 करोड़ के 2025-26 और 39 करोड़ के 2026-27 के बजट को पास किया गया… और इसके बाद पूरा सदन हंगामे की भेंट चढ़ गया।

भाजपा के अधिकांश जिला पंचायत सदस्य और विधायक बैठक से दूर रहे, तो वहीं समाजवादी पार्टी के बहुमत वाले सदन में गूंजने लगे नारे—👉 “कार्य नहीं तो वेतन नहीं” 👉 अफसरों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव 👉 और चेतावनी— अगर जिला पंचायत नहीं चली, तो परिसर में धरना-प्रदर्शन होगा बैठक के दौरान हालात इतने अजीब थे कि जिस कुर्सी पर अध्यक्ष आरती रावत को बैठना था, वहाँ गोसाईगंज से सदस्य विजय बहादुर यादव बैठे नजर आए, और अध्यक्ष बगल की कुर्सी पर बैठी रहीं। समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने हाथों में तख्तियां लेकर विकास कार्य ठप होने पर जमकर नारेबाजी की। अपर मुख्य अधिकारी प्रणव पांडेय और कर अधिकारी राजीव पांडेय पर असहयोग के आरोप लगाए गए, और दोनों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया गया। इतना ही नहीं, कर्मचारियों का वेतन रोकने का प्रस्ताव भी सदन में रखा गया, जिस पर सदस्यों ने सहमति जता दी।

क्या भाजपा के गले की फास बना आरती रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना दूसरी ओर भाजपा की स्थिति भी सवालों के घेरे में रही— कई सदस्य अनुपस्थित रहे, कुछ सिर्फ हस्ताक्षर करके लौट गए, और विधायक बैठक में पहुंचे ही नहीं। बीकेटी विधायक योगेश शुक्ल का कहना है— उन्हें बैठक की जानकारी ही नहीं मिली, जबकि जिला पंचायत कार्यालय दावा कर रहा है कि सभी जनप्रतिनिधियों को एजेंडा भेजा गया था। अब सबसे बड़ा सवाल यही है— 👉 पंचायत चुनाव से पहले विकास क्यों ठप है? 👉 बजट पास हो गया, लेकिन काम कौन करवाएगा? 👉 और क्या ये सारा हंगामा सिर्फ राजनीति है या गांवों की आवाज? आप क्या सोचते हैं? पंचायत चुनाव से पहले गांवों का विकास ठप,बैठक में हंगामा