कथावाचक के गॉड ऑफ ऑनर पर बवाल

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कथावाचक के गॉड ऑफ ऑनर पर बवाल
कथावाचक के गॉड ऑफ ऑनर पर बवाल
उत्तर प्रदेश के बहराइच से सामने आई एक तस्वीर और एक वीडियो ने पूरा प्रदेश हिला कर रख दिया है। मामला है प्रसिद्ध कथावाचक पुण्डरीक गोस्वामी के ‘गॉड ऑफ ऑनर’ सम्मान का है। धर्म, सम्मान और सत्ता… जब ये तीनों एक साथ टकराते हैं, तो बवाल तय होता है! कौन हैं पुण्डरीक गोस्वावमी, गॉड ऑफ़ ऑनर पर यूपी में सियासी बवाल क्यों..? कथावाचक के गॉड ऑफ ऑनर पर बवाल

कौन हैं पुण्डरीक गोस्वामी…?

पुण्डरीक गोस्वामी खुद को एक सनातन कथावाचक बताते हैं। पुंडरीक गोस्वामी वृंदावन के युवा कथावाचक हैं। सात साल की उम्र से भागवत कथा सुना रहे हैं, देश-विदेश में उनके कार्यक्रम होते हैं, और वो खुद को ऑक्सफोर्ड से शिक्षित बताते हैं। कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी चैतन्य महाप्रभु भक्ति वंश के 38वें आचार्य हैं। वृंदावन में श्री राधारमण मंदिर के गोस्वामी हैं। वह कई गौशालाएं, एजुकेशनल ट्रस्ट और कल्याण ट्रस्ट चलाते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े पुंडरीक गोस्वामी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, लंदन, इटली, ज्यूरिख, स्विटजरलैंड में कथाएं की हैं। वे अलग-अलग राज्यों में भागवत कथा और धार्मिक आयोजन करते हैं और सोशल मीडिया पर भी उनकी अच्छी-खासी फॉलोइंग है। लेकिन इस बार उनकी कथा नहीं, बल्कि मिला हुआ गॉड ऑफ ऑनर विवाद की वजह बन गया।

बवाल क्यों मचा…?

आरोप है कि एक सार्वजनिक धार्मिक कार्यक्रम में पुण्डरीक गोस्वामी को पुलिस अफसरों की मौजूदगी में गॉड ऑफ ऑनर दिया गया। कथावचक पुण्डरीक गोस्वामी को दिया गए था गॉड ऑफ़ ऑनर जिनके गॉड ऑफ़ ऑनर पर up में बवाल मचा हुआ है यहीं से सवाल उठने लगे— क्या किसी कथावाचक को सरकारी गॉड ऑफ ऑनर दिया जा सकता है? क्या यह पुलिस नियमों का उल्लंघन नहीं? क्या धर्म और सरकारी तंत्र को मिलाया जा रहा है? जैसे ही वीडियो वायरल हुआ— सोशल मीडिया पर तूफान आ गया। कुछ लोग बोले— “यह सनातन का सम्मान है” तो कुछ ने सवाल उठाया— “क्या पुलिस निजी आयोजनों में ऐसे सम्मान दे सकती है?” बहराइच मोटिवेशनल कार्यक्रम में पहुंचे थे पुण्डरीक गोस्वावमी, वृंदावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर विवाद शुरू हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार और यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं।

अखिलेश ने कहा- जब पूरा पुलिस महकमा सलामी में व्यस्त रहेगा तो प्रदेश का अपराधी मस्त रहेगा। पुलिस अपने काम में तो नाकाम है, उसका जो काम है वो तो कर नहीं रही है, बल्कि अपनी सीमित क्षमताओं को और जगह व्यर्थ कर रही है। भाजपा राज में पनप रहे बेतहाशा अपराध और माफ़िया राज पर लगाम लगाने की बजाय सलाम-सलाम का खेल खेला जा रहा है। इस घटना का संज्ञान लेने वाला कोई है या वो भी परेड में शामिल है। भाजपा जाए तो पुलिस सही काम में लग पाए।

वहीं, सांसद चंद्रशेखर ने कथावाचक को सलामी दिए जाने को संविधान पर हमला बताया। आरोप लगाया कि आस्था संविधान से ऊपर हो गई है। चंद्रशेखर ने कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी का वीडियो X पर शेयर किया। उन्होंने लंबी-चौड़ी पोस्ट भी लिखी। यह एक गलती नहीं, संविधान पर खुला हमला सांसद चंद्रशेखर ने कहा- एक कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा परेड और सलामी दी जाती है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि संविधान पर खुला हमला है। सलामी और परेड राज्य की संप्रभु शक्ति का प्रतीक होती है। यह सम्मान संविधान, राष्ट्र और शहीदों के नाम पर दिया जाता है। किसी कथावाचक, बाबा या धर्मगुरु का रुतबा बढ़ाने के लिए नहीं। सांसद चंद्रशेखर ने कहा कि – भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है। और राज्य किसी धर्म-विशेष की जागीर नहीं।

दरअसल, कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी 17 नवंबर को बहराइच पहुंचे थे। उन्होंने पुलिस लाइन में पुलिसवालों मोटिवेट किया था। यह कार्यक्रम पूरी तरह पुलिस विभाग का था। जिसमें कथावाचक के लिए रेड कारपेट बिछाया गया और उन्हें खुद एस.पी. आर.एन. सिंह ने सैल्यूट कर सलामी दी थी। DGP ने SP आर.एन. सिंह से मांगा स्पष्टीकरण डीजीपी ने मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, पुलिस परेड ग्राउंड का इस्तेमाल केवल पुलिस प्रशिक्षण, अनुशासन एवं आधिकारिक समारोहों के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाना अनिवार्य है। डीजीपी ने एसपी आर.एन. सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया है।

कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर बैठाया जा रहा है चंद्रशेखर ने कहा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तथाकथित रामराज्य में अब हालात ये हैं कि-आस्था को संविधान से ऊपर, धर्म को कानून से ऊपर और कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर बैठाया जा रहा है। यह घटना बताती है कि उत्तर प्रदेश का प्रशासन अब संविधान के प्रति जवाबदेह नहीं, बल्कि धार्मिक सत्ता के आगे नतमस्तक है। उत्तर प्रदेश राज्य धीरे-धीरे अपने संवैधानिक चरित्र को त्याग रहा है यह एक ख़तरनाक परंपरा की ओर इशारा करता है, सवाल उठते हैं- पुंडरीक गोस्वामी हैं कौन? वे कौन-सा संवैधानिक पद धारण करते हैं? किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया? क्या अब उत्तर प्रदेश में धार्मिक पहचान ही नया सरकारी प्रोटोकॉल है?

चंद्रशेखर ने कहा- मुख्यमंत्री को याद दिलाना जरूरी है… संविधान की प्रस्तावना भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करती है, किसी एक धर्म का सेवक नहीं। अनुच्छेद 15: धर्म के आधार पर विशेषाधिकार देना असंवैधानिक है। अनुच्छेद 25-28: राज्य धर्म से दूरी बनाए रखेगा, चरण वंदना नहीं करेगा। आखिर में चंद्रशेखर ने कहा- इसका साफ मतलब है। संविधान सर्वोच्च है- कोई धर्म नहीं। राज्य का कोई धर्म नहीं होता। जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय विज्ञान।

DGP का एक्शन —मामला बढ़ता देख उत्तर प्रदेश के DGP ने बहराइच एसपी से तुरंत स्पष्टीकरण तलब किया है। सूत्रों के मुताबिक— पूछा गया है कि गॉड ऑफ ऑनर किसके आदेश पर दिया गया…? क्या इसके लिए अनुमति ली गई थी? क्या पुलिस मैनुअल का पालन हुआ…? SP की बढ़ी मुश्किलें–अब सवाल यह है कि— क्या बहराइच एसपी पर गिरेगी गाज? या फिर मामला “गलतफहमी” बताकर दबा दिया जाएगा? सबसे बड़ा सवाल क्या धर्म के नाम पर नियम तोड़े जा सकते हैं…? क्या कानून सबके लिए बराबर है..? और अगर यही काम किसी आम आदमी ने किया होता तो क्या एक्शन नहीं होता..?

किसे दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर ? —राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, थलसेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख या फिर विदेशी राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख, इसके अलावा, शहीदों को अंतिम विदाई के समय, सेना और पुलिस के वीर जवानों को, या राष्ट्रीय समारोहों में, गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। सवाल कई हैं, जवाब अभी बाकी हैं। आप क्या सोचते हैं— गॉड ऑफ ऑनर सम्मान था या नियमों की अनदेखी? कथावाचक के गॉड ऑफ ऑनर पर बवाल