
प्रदेश के जलशक्ति मंत्री ने सीएसआईआर द्वारा जारी तकनीकी रिपोर्ट का किया अनावरण। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प ‘जय जवान,जय किसान,जय विज्ञान और जय अनुसंधान’ हो रहा साकार। सीएसआईआर द्वारा जारी तकनीकी रिपोर्ट का अनावरण
लखनऊ। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने आज सीएसआईआर के आडिटोरियम लखनऊ में कौशांबी और कानपुर क्षेत्र के मध्य गंगा-यमुना दोआब के 3डी हाई-रिजॉल्यूशन एक्विफर मैपिंग पर तकनीकी रिपोर्ट जारी की। इस परियोजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जलशक्ति मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित तथा हैदराबाद स्थित सीएसआईआर प्रयोगशालाओं द्वारा क्रियान्वित किया गया। जलशक्ति मंत्री ने प्रदेश में इस तरह के अध्ययन को करने के लिए सीएसआईआर -एनजीआरआई के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि नये भारत में आप जय जवान, जय किसान,जय विज्ञान और जय अनुसंधान के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को धरातल पर उतार रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में जन भागीदारी का उदाहरण देते हुए संभल उल्लेख किया जहां के 70 से अधिक ग्राम पंचायतों के लोगों ने वर्षों पहले विलुप्त हो चुकी सोत नदी को पुनर्जीवित करने का कार्य किया। हम भाग्यशाली हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य को गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों की एक बहुत समृद्ध नदी प्रणाली के साथ-साथ बहुस्तरीय जलोढ़ जलभृतों में संग्रहीत विशाल भूजल संसाधन क्षमता का भी आशीर्वाद प्राप्त है, जो दुनिया की सबसे बड़ी जलभृत प्रणालियों में से एक माना जाता है।
स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि विभिन्न हाइड्रोजियोलॉजिकल स्थितियों के तहत भूजल के विकास में वैज्ञानिक योजना बनाने और बेहतर भूजल प्रशासन के लिए समुदाय की भागीदारी के साथ प्रभावी प्रबंधन प्रथाओं को विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यूपी एक कृषि प्रधान राज्य है और कृषि क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 18-20 प्रतिशत का योगदान देता है, जो लगभग 50 प्रतिशत आबादी को रोजगार देता है, जहां भूजल सिंचाई स्रोत 70 प्रतिशत से अधिक है। भूजल स्तर के संवर्धन हेतु प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण के लिए उपयुक्त 100 से अधिक स्थलों की पहचान की गई है।
प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण से नदी प्रणाली को पुनर्जीवित करने और भूजल संसाधन स्थिरता प्राप्त करने में मदद मिलेगी। अध्ययन का एक और महत्वपूर्ण निष्कर्ष वर्तमान गंगा और यमुना नदियों के बीच बहने वाली 200 किमी लंबी दबी हुई प्राचीन नदी की खोज है। विलुप्त नदी का आकार वर्तमान में यमुना और गंगा नदियों के प्रवाह के समान है। उन्होंने तकनीकी रिपोर्ट से जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई भी दी। इस अवसर पर डॉ.डी.पी. माथुरिया,तत्कालीन निदेशक,एनएमसीजी,वी.के. उपाध्याय, निदेशक, भूगर्भ जल विभाग, डॉ. सुभाष चंद्रा, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनजीआरआई, एस.जी. भरथरिया, क्षेत्रीय निदेशक,सीजीडब्ल्यूबी,लखनऊ और पानी से संबंधित राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित थे। सीएसआईआर द्वारा जारी तकनीकी रिपोर्ट का अनावरण


















