त्रिफला एक औषधि…

116
त्रिफला एक औषधि...
त्रिफला एक औषधि...

जानें त्रिफला के फ़ायदे आयुर्वेदिक डॉ. रोहित गुप्ता के साथ त्रिफला एक औषधि…

आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला में ऐसे गुण हैं जो पाचन शक्ति बढ़ाने और वजन घटाने में सहायक है। इसलिए नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। अगर आप बढ़ते वजन और मोटापे से से परेशान हैं और इससे जल्दी निजात पाना चाहते हैं तो त्रिफला आपके लिए एक कारगर औषधि हो सकती है।वजन घटाने और मोटापा कम करने में।

उपयोग विधि

200 एमएल पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर इसे रात भर के लिए रख दें। अगली सुबह इस पानी को तब तक उबालें जब तक यह घटकर आधा ना रह जाए। अब इस बचे मिश्रण को 2 चम्मच शहद के साथ लें। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर कुछ ही हफ़्तों में मोटापा कम होने लगता है।पाचन शक्ति बढ़ाता हैपाचन शक्ति कमजोर होने से कई बीमारियां का खतरा बढ़ जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला में ऐसे गुण हैं जो पाचन शक्ति को मजबूत बनाते हैं और पेट संबंधी रोगों का खतरा कम करते हैं। इसलिए अगर आपकी पाचन शक्ति कमजोर है तो चिकित्सक की सलाह लेकर त्रिफला का सेवन शुरू कर दें।

बालों का झड़ना रोकता है

आजकल अधिकांश लोग बाल झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं और रोज बालों को झड़ने से रोकने के नए तरीके आजमाते रहते हैं। लेकिन अगर आप आयुर्वेद की मदद लें तो बाल झड़ने की समस्या से निजात पा सकते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार त्रिफला चूर्ण के सेवन से बालों का गिरना काफी हद तक कम किया जा सकता है।

उपयोग विधि– 2-5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को 125 एमएल लौह भस्म में मिलाकर रोजाना 2 से 3 ग्राम सुबह और शाम को सेवन करें।

भूख बढ़ाता है

त्रिफला में आंवला, हरड़ और बहेड़ा होता है और ये तीनों ही फल पेट के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। यही वजह है कि पेट से जुड़ी लगभग सभी समस्याओं के लिए त्रिफला चूर्ण सर्वोतम औषधि मानी जाती है। आयुर्वेद में इसके गुणों का उल्लख करते हुए लिखा गया है कि इसके सेवन से भूख और पाचन शक्ति बढ़ती है। इसलिए यदि आपको भूख कम लगती है या कमजोर पाचन शक्ति है तो त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करें।

मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी– त्रिफला चूर्ण मूत्र संबंधी समस्याओं में भी उपयोगी है। इसके सेवन से रूक-रूक कर पेशाब आना, पेशाब में जलन आदि समस्याओं से आराम मिलता है।

उपयोग विधि– त्रिफला, अनार और चिरौंजी का साथ में सेवन मूत्र संबंधी समस्याओं में उपयोगी है।

गोनोरिया में उपयोगी– गोनोरिया एक यौन संचारित बीमारी है जो बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होती है। यह बीमारी पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकती है। त्रिफला चूर्ण गोनोरिया के इलाज में उपयोगी है। हालांकि गोनोरिया के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें।

कुष्ठरोग में फायदेमंद- कुष्ठरोग त्वचा से संबंधित एक समस्या है जिसमें त्वचा पर सफ़ेद दाग , गांठे या घाव होने लगते हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार कुष्ठरोग में त्रिफला का सेवन लाभकारी होता है। अगर आप कुष्ठरोग से पीड़ित हैं तो चिकित्सक की सलाह अनुसार त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।

मलेरिया में लाभकारी- गर्मियों और मानसून के मौसम में मलेरिया का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। मच्छरों से फैलने वाली यह बीमारी बच्चों में बहुत ज्यादा होती है। त्रिफला चूर्ण मलेरिया में होने वाले बुखार से आराम दिलाने में सहायक है। इसका सेवन किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं।

उपयोग विधि– त्रिफला से तैयार काढ़े की 20 एमएल मात्रा का सेवन करना मलेरिया में लाभकारी माना जाता है।

अब आप त्रिफला के फायदों से भलीभांति परिचित हो चुके हैं।


त्रिफला इन तीन फलों का मिश्रण 20-20 साल पुरानी कब्ज भी ठीक करता है…

अमृत तुल्य त्रिफला बनाने की विधि..

मित्रो आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर मे जितने भी रोग होते है वो त्रिदोष: वात, पित्त, कफ के बिगड़ने से होते है । वैसे तो आज की तारीक मे वात,पित कफ को पूर्ण रूप से समझना सामान्य वुद्धि के व्यक्ति के बस की बात नहीं है । लेकिन आप थोड़ा समझना चाहते है तो इतना जान लीजिये।

सिर से लेकर छाती के मध्य भाग तक जितने रोग होते है वो कफ के बिगड़ने के कारण होते है ,और छाती के मध्य से पेट खत्म होने तक जितने रोग होते है तो पित्त के बिगड़ने से होते है और उसके नीचे तक जितने रोग होते है वो वात (वायु )के बिगड़ने से होते है । लेकिन कई बार गैस होने से सिरदर्द होता है तब ये वात बिगड़ने से माना जाएगा । ( खैर ये थोड़ा कठिन विषय है )

जैसे जुकाम होना ,छींके आना ,खांसी होना ये कफ बिगड़ने के रोग है तो ऐसे रोगो मे आयुवेद मे तुलसी लेने को कहा जाता है क्यों कि तुलसी कफ नाशक है।

ऐसे ही पित्त के रोगो के लिए जीरे का पानी लेने को कहा जाता है क्योंकि जीरा पित नाशक है। इसी तरह मेथी को वात नाशक कहा जाता है लेकिन मेथी ज्यादा लेने से ये वात तो संतुलित हो जाता है लेकिन ये पित को बढ़ा देती है। महाऋषि वागभट जी कहते है की आयुर्वेद ज़्यादातर ओषधियाँ वात ,पित या कफ नाशक होती है लेकिन त्रिफला ही एक मात्र ऐसे ओषधि है जो वात,पित ,कफ तीनों को एक साथ संतुलित करती है। वागभट जी इस त्रिफला की इतनी प्रशंसा करते है की उन्होने आयुर्वेद मे 150 से अधिक सूत्र मात्र त्रिफला पर ही लिखे है । की त्रिफला को इसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा त्रिफला को उसके साथ लेंगे तो ये लाभ होगा…

त्रिफला का अर्थ क्या है ?

त्रिफला = तीन फल

कौन से तीन फल ??

1) आंवला
2) बहेडा
3) हरड़

इन तीनों से बनता है त्रिफला चूर्ण।

वागभट जी त्रिफला चूर्ण के बारे मे और बताते है कि त्रिफला चूर्ण मे तीनों फलो की मात्रा कभी समानय नहीं होनी चाहिए । ये अधिक उपयोगी नहीं होता (आज कल बाज़ारों मे मिलने वाले लगभग सभी त्रिफला चूर्ण मे तीनों फलों की मात्रा बराबर होती है )

त्रिफला चूर्ण हमेशा 1:2:3 की मात्रा मे ही बनाना चाहिए। अर्थात मान लो आपको 200 ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाना है। तो उसमे हरड चूर्ण होना चाहिए = 33.33 ग्राम। बहेडा चूर्ण होना चाहिए= 66.66 ग्राम। और आमला चूर्ण चाहिए 99.99 ग्राम।

तो इन तीनों को मिलाने से बनेगा सम्पूर्ण आयुर्वेद मे बताई हुई विधि का त्रिफला चूर्ण । जो की शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है।

वागभट जी कहते है त्रिफला का सेवन अलग-अलग समय करने से भिन्न-भिन्न परिणाम आते है।

रात को जो आप त्रिफला चूर्ण लेंगे तो वो रेचक है अर्थात (सफाई करने वाला) पेट की सफाई करने वाला ,बड़ी आंत की सफाई करने वाला शरीर के सभी अंगो की सफाई करने वाला । कब्जियत दूर करने वाला 30-40 साल पुरानी कब्जियत को भी दूर कर देता है ये त्रिफला चूर्ण। और सुबह त्रिफला लेने को पोषक कहा गया , अर्थात अगर आपको पोषक तत्वो की पूर्ति करनी है वात-पित कफ को संतुलित रखना है तो आप त्रिफला सुबह लीजिये सुबह का त्रिफला पोषक का काम करेगा। और अगर आपको कब्जियत मिटानी है तो त्रिफला चूर्ण रात को लीजिये त्रिफला कितनी मात्रा मे लेना है ?

त्रिफला किसके साथ लेना है

रात को कब्ज दूर करने के लिए त्रिफला ले रहे है तो एक टी स्पून (आधा बड़ा चम्मच) गर्म पानी के साथ लें और ऊपर से दूध पी लें। सुबह त्रिफला का सेवन करना है तो शहद या गुड़ के साथ लें तीन महीने त्रिफला लेने के बाद 20 से 25 दिन छोड़ दें फिर दुबारा सेवन शुरू कर सकते हैं। इस प्रकार त्रिफला चूर्ण आपके बहुत से रोगो का उपचार कर सकता है।

इसके अतिरिक्त अगर आप राजीव भाई द्वारा बताए आयुर्वेद के नियमो का भी पालन करते हो तो ये त्रिफला और भी अधिक और शीघ्र लाभ पहुंचाता है। जैसे मेदे से बने उत्पाद बर्गर ,नूडल ,पिजा आदि ना खाएं ये कब्ज का बहुत बड़ा कारण है ,रिफाईन तेल कभी ना खाएं ,हमेशा शुद सरसों ,नारियल ,मूँगफली आदि का तेल खाएं ,सेंधा नमक का उपयोग करें। त्रिफला एक औषधि…

{यह सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।}