

अब समय आ गया है कि हम कहें कि ‘न्याय के राज’ को सच में स्थापित करने के लिए आज ‘सामाजिक न्याय के राज’ की आवश्यकता है। बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने भारतीय संविधान की रचना की और हर शोषित, दलित और वंचित के अधिकारों के लिए सामाजिक न्याय के नायक के रूप में काम किया। उन्होंने संविधान के माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की और सरकार की शक्तियों को सीमित किया। अखिलेश यादव ने कहा कि ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना का असली मतलब है संविधान की बराबरी की भावना और समता-समानता के सिद्धांतों की सही में स्थापना। इसी से नागरिकों के अधिकारों की सही में रक्षा हो पायेगी। इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा होगी और सरकार की असीमित शक्तियां सीमित होंगी, जिससे उनकी मनमर्जी का राज ख़त्म होगा। फिर देश संविधान से चलेगा, मन-विधान से नहीं। सामाजिक न्याय के माध्यम से ही हम भेदभाव व सामाजिक असमानता को समाप्त कर सकते हैं और एक न्यायपूर्ण समाज के निर्माण के सपने को पूरा कर सकते हैं। आज‘सामाजिक न्याय के राज’की आवश्यकता-अखिलेश यादव
सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में शिक्षा और आर्थिक सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे हैं। इसीलिए ‘शिक्षा और आर्थिक सुधार’ के लिए लगातार कोशिश करनी होगी और इनके महत्व को समझकर ‘पीडीए’ समाज को और भी अधिक शिक्षित करना होगा, साथ ही आर्थिक साक्षरता को भी बढ़ाना होगा, जिससे कोई भी उनका सामाजिक व आर्थिक उत्पीड़न न कर सके।
श्री अखिलेश यादव ने कहा कि इससे समाज में व्यक्तिगत स्तर पर आत्म-सशक्तीकरण होगा। अंतिम छोर पर खड़े निर्बल और असहाय को जब ये भरोसा होगा कि सिर्फ़ देश का न्याय ही नहीं, सामाजिक न्याय भी उनके साथ है तो व्यक्ति पूरी शक्ति और उत्साह से देश के निर्माण में अपने स्तर का अंशदान करेगा। यही सच्ची देशभक्ति को जन्म देगा। सामाजिक न्याय के राज की स्थापना के लिए सबसे पहली शर्त ये है कि सबको एकजुट होकर स्वयं संविधान का सम्मान करते हुए, उसे उसके मूल मूल्यों और भावना के साथ लागू करने के लिए ‘पीडीए’ समाज को अपनी एकता की शक्ति दिखाते हुए, सत्ता पर भी हर तरह से शांतिपूर्ण दबाव डालना होगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि हम सबको मिलकर सामाजिक सुधार के लिए काम करना होगा और सामाजिक ग़ैर बराबरी व असमानता को दूर करने की शुरुआत अपने-अपने स्तर पर करनी होगी। हमें पढ़ाई-लिखाई के महत्व को समझना होगा और अपने ‘पीडीए’ समाज को लगातार आंतरिक संपर्क और संदेश के माध्यम से और भी अधिक जागरूक बनाना होगा। जिससे हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानकर और भी सतर्क, सचेत व सजग हो सकें। इसके लिए हमें अपने ‘पीडीए’ समाज को क़ानूनी कवच भी देना होगा। जो सक्षम, समर्थ नहीं हैं, उनके साथ हर थाने-कचहरी में खड़े होकर उनके हौसले को बढ़ाना होगा। जब उत्पीड़नकारियों को लगेगा कि 90 प्रतिशत ‘पीडीए’ समाज सामूहिक रूप से इकट्ठा होकर उनका विरोध कर सकता है तो वो अत्याचार करने से पहले सौ बार सोचेंगे।
आज के समय में ‘सामाजिक न्याय के राज’ की आवश्यकता और भी अधिक है क्योंकि हमें अब वर्चस्ववादियों के अन्याय और पक्षपातपूर्ण राज में और भी ज़्यादा सामाजिक असमानता, अन्याय-अत्याचार, अपमान, बेइज़्ज़ती और ज़लालत का सामना करना पड़ रहा है। हमें संविधान में दिये गये बाबासाहेब के विचारों और आदर्शों को और भी ताक़त से लागू करवाना होगा और ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना के लिए संकल्प उठाकर काम करना ही होगा, तभी नाइंसाफ़ी और ज़ुल्म का ये दौर नेस्तनाबूद होगा और ‘पीडीए’ के ‘स्वाभिमान-स्वमान’ का नया सवेरा आयेगा। हमें अपना भविष्य ख़ुद बनाना होगा। अखिलेश यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय का राज’ ही हम सबके मतलब ‘पीडीए समाज’ के सुनहरे भविष्य की गारंटी है। आज‘सामाजिक न्याय के राज’की आवश्यकता-अखिलेश यादव