दोषी बड़े बाबू को सौंप दी प्रोन्नत की जिम्मेदारी..! डिप्टी जेलर से जेलर संवर्ग की ब्रॉड सीट में किया था गोलमाल,आला अफसरों ने दंडित करने के बजाए दिया तोहफा। कारागार मुख्यालय अफसरों का कारनामा।
राकेश यादव
लखनऊ। डिप्टी जेलर से जेलर संवर्ग की ब्रॉड सीट में गड़बड़ी में दोषी पाए गए अधिकारी को हेड वार्डर से डिप्टी जेलर संवर्ग के प्रोन्नति की जिम्मेदारी सौंप दी गई। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लेकिन जेल विभाग के अधिकारियों ने इसे सच कर दिखाया है। यह मामला विभागीय कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामले को लेकर विभागीय अधिकारियों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
बीते दिनों शासन ने डिप्टी जेलर से जेलर संवर्ग की प्रोन्नति के लिए मांगी गई ब्रॉडशीट (कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों को ब्योरा ) मांगा था। मुख्यालय की ओर से शासन को भेजी गई ब्राड सीट गड़बड़ी का खुलासा हुआ। विभाग के संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह ने ब्रॉडशीट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रोन्नति के लिए भेजी गई सूची में कई अधिकारियों के दंड को छिपाने का हवाला दिया। ब्रॉडशीट में डिप्टी जेलर राजेश कुमार राय और कुलदीप सिंह के दंड का ब्योरा दर्ज न करने का विशेष उल्लेख करते हुए ब्रॉडशीट तैयार करने वाले पटल के प्रशासनिक अधिकारी, पटल सहायक समेत अन्य कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने का निर्देश दिया है।
संयुक्त सचिव के निर्देश के बाद जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने ब्रॉडशीट तैयार करने वाले कर्मियों की जांच के लिए दो सदस्सीय कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में अधीक्षक जेल मुख्यालय एवं एक अन्य अधिकारी को शामिल किया गया। कमेटी ने एक पखवाड़े तक मामले की जांच की गई। विभागाध्यक्ष को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में ब्राड सीट तैयार करने वाले डिप्टी जेलर पटल के प्रभारी अनिल कुमार, सुरेश कुमार, प्रशांत और संजय श्रीवास्तव को दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कार्यवाही किए जाने की संस्तुति की गई। अफसरों ने कार्यवाही करने के बजाय दोषी कार्यालय अधीक्षक को सजा के बजाए तोहफा दे दिया।
सूत्रों का कहना है कि ब्राड सीट गड़बड़ी में दोषी पाए गए प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार को हेड वार्डर से डिप्टी जेलर पद पर प्रोन्नति कराने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। मुख्यालय में हेड वार्डर से डिप्टी जेलर पद पर प्रोन्नत होने वाले कर्मियों का ब्यौरा तैयार किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो डिप्टी जेलरो की तर्ज पर प्रोन्नत के लिए हेड वार्डरों से भी जमकर वसूली की जा रही है। उल्लेखनीय है कि प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार लंबे समय से डिप्टी जेलर संवर्ग के पटल पर तैनात है। अधिकारियों को कमाकर देने की वजह से इसका लंबे समय से पटल परिवर्तन तक नहीं किया गया है।
डीआईजी जेल मुख्यालय मामले से अनभिज्ञ
दोषी प्रशासनिक अधिकारी को हेड वार्डर से डिप्टी जेलर संवर्ग की प्रोन्नत का कार्य दिए जाने के सवाल पर डीआईजी जेल मुख्यालय एके सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है, जानकारी करने के बाद ही वह इस बारे में कुछ बता पाएंगे। वहीं मुख्यालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। यह सब होता रहता है।
पैसा फेंको मनमाफिक जेल पाओ
तबादलों के मामले में जेल विभाग में स्थानांतरण नीति का कोई मायने नहीं है। इस विभाग में जुगाड और माल हो तो कोई भी कहीं भी तबादला करा सकता है। बीती 15 दिसंबर को डेढ़ साल पहले लखनऊ जिला जेल में तैनात किए गए जेलर किशोर कुमार दीक्षित का तबादला प्रदेश की सर्वाधिक कमाई वाली गाजियाबाद की डासना जेल पर का दिया हुआ। यह तबादला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि इस विभाग में खर्चा करके किसी भी कमाऊ जेल पर कभी भी जाया जा सकता है। पिछले दिनों गाजियाबाद से अंबेडकरनगर स्थानांतरण हुए डिप्टी जेलर नीरज श्रीवास्तव को कमाई वाली बुलंदशहर जिला जेल भेज दिया गया। उधर मुख्यालय के अफसरों ने इसे शासन का मामला बताते हुए इस पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।