खत्म हो UPSC में साक्षात्कार व्यवस्था-लौटनराम निषाद

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खत्म हो यूपीएससी में साक्षात्कार व्यवस्था। यूपीएससी भर्ती परीक्षा के साक्षात्कार में जातीय भेदभाव..?

लखनऊ। ओबीसी समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ0 लौटनराम निषाद नें यूपीएससी में साक्षात्कार व्यवस्था में भेदभाव किये जाने को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में 1750 अंक की लिखित परीक्षा व 275 अंक का साक्षात्कार होता है। लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग से अधिक अंक पाने वाले ओबीसी,एससी, एसटी के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में कम व सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को अधिक अंक देने के हजारों उदाहरण यूपीएससी भर्ती परीक्षा में मिलते हैं।

उन्होंने कहा कि अलग अलग वर्गवार साक्षात्कार सन्देह को जन्मदेत है।साक्षात्कार वर्गीय आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर साक्षात्कार किया जाना चाहिए। वर्गवार साक्षात्कार से जातीय भेदभाव को बढ़ावा मिलता है। यूपीएससी परीक्षा-
2021 में विजय प्रकाश मीणा 1750 के लिखित में 755 अंक लेकर उत्तीर्ण हुए लेकिन उसको 275 अंक के साक्षात्कार में 112 अंक ही दिये गए हैं, वहीं सामान्य वर्ग के नाजुक कुमार शर्मा लिखित में 732 अंक ही पाया था लेकिन उसको साक्षात्कार में 209 नम्बर देकर मीणा से मेरिट में आगे कर दिया।लोग समझने को तैयार नहीं हैं बल्कि यही कहेंगे कि आप तो कोटे वाले लोग हो, कोटे के कारण तुम्हें नौकरी मिली है। यदि मीणा को भी साक्षात्कार में शर्मा के बराबर अंक मिल जाते तो मीणा जनरल फाइट कर सकते थे और एसटी केटेगरी से एक और कंडीडेट का आईएएस में सेलेक्शन हो सकता था।

लौटनराम निषाद
लौटनराम निषाद

उन्होंने कहा कि यूपीएससी साक्षात्कार के इस षड्यंत्र के चलते सैंकड़ों ओबीसी, एससी, एसटी के उम्मीदवारों को आईएएस अधिकारी बनने से रोका जा रहा है। यूपीएससी भर्ती परीक्षा में साक्षात्कार को खत्म करने या साक्षात्कार को 275 अंक की बजाय 75 अंक का किया जाना उचित व न्यायसंगत होगा ।यूपीएससी-2020 में पिछड़ी जाति के शुभम कुमार कुशवाहा सामान्य वर्ग में चयनित होकर टॉप किये थे।

श्री निषाद नें कहा कि शुभम कुमार को लिखित में 878 व साक्षात्कार में मात्र 176 अंक के साथ कुल 1054 अंक मिला।दूसरी टॉपर सामान्य वर्ग की जागृति अवस्थी को लिखित में 859 व साक्षात्कार में 195 अंक के साथ 1052 अंक मिला।तीसरी टॉपर सामान्य वर्ग की अंकिता जैन को लिखित में 839 व साक्षात्कार में 212,चतुर्थ स्थान वाले यश जलुका को लिखित में 851 व साक्षात्कार में 195 अंक के साथ कुल 1046 अंक मिला।पाँचवे स्थान पर आयी ओबीसी की ममता यादव को लिखित में 855 व साक्षात्कार में 187 अंक मिला।

यदि जागृति अवस्थी व यश जलुका की तरह साक्षात्कार में 195 अंक दिया गया होता तो यह 1050 अंक के साथ चौथे स्थान पर व अंकिता जैन की तरह 212 अंक दिया गया होता तो 1067 अंकों के साथ प्रथम टॉपर होती।सवर्ण जाति की मीरा के. ने लिखित में 835 व साक्षात्कार में 206 अंक के साथ कुल 1041 अंकों के आधार पर टॉपर सूची में 6वां स्थान प्राप्त किया।

निषाद नें आगे कहा कि यदि यह टॉपर शुभम कुमार की तरह साक्षात्कार में 176 अंक पाती तो 911 अंक के आधार पर टॉपर सूची तो दूर चयनित अभ्यर्थियों में बहुत पीछे होती और शायद आईएएस कैडर भी नहीं मिलता।ओबीसी के प्रवीन कुमार ने लिखित में 848 व साक्षात्कार में 193 के साथ कुल 1041 अंक के साथ टॉपर सूची में 6वें स्थान पर रहे।

यदि इसे मीरा के. के बराबर 206 अंक साक्षात्कार में मिला होता तो यह शुभम कुमार के साथ पहले स्थान व 9वें स्थान वाली अपाला मिश्रा के बराबर साक्षात्कार में 215 अंक मिला होता तो 1063 के साथ टॉपर होता।टॉपर सूची में जे. के. नागजी को लिखित में 858 व साक्षात्कार में 182 के साथ 1040,अपाला मिश्रा को लिखित में 816 व साक्षात्कार में 215 के साथ 1031 व सत्यम गाँधी को लिखित में 827 व साक्षात्कार में 201 के साथ 1028 अंक मिलाकर टॉपर में 9वें व 10वें स्थान पर रहे।अपाला मिश्रा को टॉपर शुभम कुमार के बराबर 176 अंक दिया जाता तो टॉपर सूची में न रहकर चयन सूची में काफी नीचे होती।

उन्होंने कहा कि यूपीएससी भर्ती में पारदर्शिता के लिए पिछले दस साल के हर कैंडिडेट के लिखित और साक्षात्कार के अंक को यूपीएससी की वेबसाइट पर अपलोड करने किया जाना चाहिए। अगली बार से हर इंटरव्यू की वीडियोग्राफी हो और उसे लाइव स्ट्रीम किया जाए ताकि पता चल सके कि सेलेक्शन पैनल कितना न्यूट्रल है।

श्री निषाद नें कहा कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा पारदर्शिता व निष्पक्षता के लिए दस साल की रिजर्व लिस्ट का पूरा हिसाब दिया जाना चाहिए कि रिज़र्व लिस्ट में किस वर्ग को कितना पद मिला। यूपीएससी साबित करें कि रिजर्व लिस्ट अपर कास्ट लिस्ट नहीं है। हर कैंडिडेट का रिज़ल्ट सार्वजनिक किया जाना चाहिए।यूपीएससी को ये समझना होगा कि अनारक्षित श्रेणी का मतलब सिर्फ सवर्ण जातियों के उम्मीदवारों को नौकरी देना नहीं है।

मेरिट लिस्ट में आने वाले कैंडिडेट्स को अनारक्षित श्रेणी में पद दिया जाना चाहिए।यूपीएससी रिज़ल्ट प्रक्रिया को आरटीआई के दायरे में लाया जाना चाहिए।कैंडिडेट्स के नाम और उपनाम/उपाधि की बजाय रोल नंबर या अंकीय आधार सेलेक्शन होना चाहिए ताकि सेलेक्टर्स को कैंडिडेट की जाति का पता न चले।

चयन समिति में ओबीसी, एससी और एसटी समुदाय का प्रतिनिधि होना चाहिए ताकि प्रक्रिया पारदर्शी रहे। कैंडिडेट्स का जातिवार इंटरव्यू बंद होना चाहिए। यूपीएससी-2020 में 9वीं रैंक पर अप्ला/अपाला मिश्रा के लिखित में 816 अंक व इंटरव्यू में टॉप 10 में सबसे ज्यादा 215 अंक दिया गया।दूसरी तरफ 16वीं रैंक पर रिया डाबी के लिखित में 859 अंक व इंटरव्यू में महज 162 अंक दिया गया जिसके कारण व टॉप 10 से बाहर हो गयी। यदि रिया डॉबी को साक्षात्कार में अपाला मिश्रा की तरह 215 अंक मिला होता तो व 1074 अंकों के साथ टॉपर नम्बर-1 होती।यूपीएससी साक्षात्कार में चयन समिति द्वारा बड़े बड़े खेल किये जाते हैं।