
अर्थ व्यवस्था चौपट और बेरोजगारी चरम पर। संविधान मान स्तंभ स्थापना दिवस समारोह जमा हुए सपाई। अर्थ व्यवस्था चौपट और बेरोजगारी चरम पर :नीलम गुप्ता
अजय सिंह
लखनऊ। बांदा के निजामी पैलेस में संविधान मान स्तंभ स्थापना दिवस समारोह के शुभ अवसर पर नेताओं का जमावड़ा रहा जिसमें मुख्य अतिथि संत कबीर नगर के सांसद लक्ष्मीकांत निषाद विशिष्ट अतिथि सांसद कृष्णा पटेल विशिष्ट अतिथि विशंभर यादव रहें। आज के दिन ही महात्मा ज्योतिबा फुले द्वारा संकल्पित आरक्षण को कोल्हापुर के परम आदरणीय छत्रपति शाहूजी महाराज जी ने अपने कोल्हापुर राज्य में 26 जुलाई1902 में आरक्षण लागू करके शुभारंभ किया था। ज्योतिराव फुले का उद्देश्य सभी को संख्या के अनुपात में आरक्षण देना था.सामाजिक न्याय की भावना को आरक्षण के रूप में इसी दिन अमल में लाया गया था।
जो आगे चलकर बाबासाहब भीमराव अंबेडकर के सद्प्रयासों से हमारे संविधान में एक जनाधिकार के रूप में सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने का मूल आधार बना. देश के लोकतंत्र की स्थापना का मूल सिद्धांत भी बना पीडीए को अधिकार तब ही मिलेंगे जब उचित रूप से आरक्षण का हक सबको मिलेगा, इसी परिप्रेक्ष्य में विचारों को सही में लागू करना ही सबसे बड़ा और प्रभावशाली उदाहरण होता है.जिसको महाराज राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज जी ने किया था ।
डॉ० राम मनोहर लोहिया ने सबके विकास के लिए पिछड़ों को विशेष अवसर दिए जाने की मांग उठाई थी. संविधान और आरक्षण खत्म करने का खतरा अभी टला नहीं है. हम नफरत का खेल खेलने वालों को सफल नहीं होने देंगे। इसी कड़ी में बांदा जिले के सभी वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। वहीं समाजवादी पार्टी की नेता नीलम गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा समाज में सभी वर्गों को बराबर का हक मिलना चाहिए ,असमानता का दौर चरम पर हैं भारत को विश्व गुरु का दंभ भरने वाले आज धराशाई हो गए है, बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे नागरिक अमेरिका से बेड़ियों में जकड़ कर आ रहे है ,गरीबी में भारत निचले पायदान पर आकर खड़ा हो गया पैसा लगातार गिर रहा है।
अर्थ व्यवस्था चौपट हो गई है बेरोजगारी चरम पर है ,सत्तर साल का हिसाब मांगने वाले अपना चलाया हुआ दो हजार का नोट सात साल भी न चला पाए।पत्रकारों से रूबरू होते हुए नीलम ने समाज को अपने अधिकार के लिए अपील की,सवालों का जवाब दें रहीं नेत्री से जब पत्रकारों ने पूछा कि संविधान दिवस का उद्देश्य क्या है तो उन्होंने बताया कि लोकतंत्र के चार स्तंभों विधायिका,कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया है,प्रत्येक स्तंभ को अपने अधिकार क्षेत्र में कार्य करना चाहिए,लेकिन व्यापक परिप्रेक्ष्य को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए उनका कटाक्ष गोदी मीडिया की तरफ था। अर्थ व्यवस्था चौपट और बेरोजगारी चरम पर :नीलम गुप्ता