विजय सहगल
दिनांक 28 अगस्त 2024 को आखिरकार देश के सर्वोच्च पदासीन राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के चेहरे का दर्द, पश्चिमी बंगाल सहित देश के अन्य प्रांतों मे बच्चियों, महिलाओं पर हो रहे यौन हिंसा, दुराचार एवं बलात्कार की पीड़ा उनके वक्तव्यों के माध्यम से छलकी। उन्होने अपने वक्तव्य मे पश्चिमी बंगाल के राधा गोविंद कर मेडिकल कॉलेज के एक ट्रेनी डॉक्टर की 9 अगस्त 2024 को बलात्कार के बाद हत्या की घटना से पूरे देश मे उपजे आक्रोश और गुस्से से अपनी सहमति जताते हुए इन घटनाओं पर तुरंत अंकुश लगाने की बात की। बंगाल की घटना पर श्रीमती मुर्मू ने जिक्र करते हुए कहा कि, घटना से, निराश और डरी हुई हूँ!! बस! बहुत हो चुका, एक सभ्य समाज, अपनी बेटियों और बहिनों के साथ ऐसी वर्बरता वर्दाश्त नहीं कर सकता हैं। अब समय आ गाया है कि भारत ऐसी विकृतियों के प्रति जागरूक हो और उस मानसिकता का मुक़ाबला करें, जो महिलाओं को ‘कम शक्तिशाली’, कम सक्षम और कम बुद्धिमान के रूप मे देखती है। माननीय राष्ट्रपति महोदया का ये दुःख दर्द यूं ही नहीं था, वे, पिछले दिनों पश्चिमी बंगाल सहित देश के अलग अलग क्षेत्रों मे लगातार महिलाओं, लड़कियों यहाँ तक कि किंडर गार्डन मे पढ़ने वाली मासूम बच्चियों तक से बलात्कार की इन अमानवीय घटनाओं से आहत थी। बस..!अब बहुत हुआ…माननीय राष्ट्रपति जी
यध्यपि माननीय राष्ट्रपति महोदया का ये वक्तव्य देश मे महिलाओं, बच्चियों पर हो रहे यौन हिंसा के विरुद्ध एक बड़े परिपेक्ष्य मे दिया था पर तृणमूल कॉंग्रेस सहित इंडि गठबंधन के अन्य दलों ने बगैर किसी राजनैतिक मर्यादाओं और नैतिकताओं की परवाह किये माननीय राष्ट्रपति महोदया के वक्तव्य को भी राजनीति के भँवर जाल मे उलझाने का कुत्सित प्रयास किया जो घोर निंदनीय है। तृणमूल कॉंग्रेस के सांसद कुणाल घोष ने राष्ट्रपति मुर्मू जी के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या को देश के अन्य राज्यों मे हुई हत्या और बलात्कार की घटनाओं का उल्लेख कर हल्का करने के प्रयास किये और माननीय राष्ट्रपति द्वारा अन्य घटनाओं पर प्रतिक्रिया न देने पर सवाल उठाये। क्या महामहिम राष्ट्रपति को देश की ज्वलंत एवं गंभीर समस्या पर अपनी चिंता प्रकट करने के भी अधिकार नहीं?
ऐसा नहीं है कि महिलाओं के साथ हिंसा, बलात्कार और हत्या की घटनाएँ पहले नहीं हुई थी पर पश्चिमी बंगाल मे आरजी कर मेडिकल कॉलेज की प्रशक्षु डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना, इसलिये घिनौनी और निंदनीय है, क्योंकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन, पुलिस प्रशासन एवं प॰ बंगाल सरकार ने जिस तरह से इस घटना मे लापरवाही, और लीपापोती की, वैसी अन्य राज्यों मे कदाचित ही देखने को मिली हो! प॰ बंगाल राज्य मे ममता बनर्जी सरकार, प्रदेश की कानून व्यवस्था सहित राजनैतिक हिंसा के मामले मे हमेशा से ही सवालों के घेरे मे रही थी, पर पिछले कुछ वर्षों से राजनैतिक हिंसा के साथ आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या के मामले ने राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी जो सामान्य मानव की दृष्टि से अत्यंत चिंतनीय है और उस पर राज्य सरकार का पक्षपात पूर्ण, ढुलमुल नजरिया अत्यंत निंदनीय हैं।
देश अभी पश्चिमी बंगाल के संदेशखाली मे महिलाओं पर तृणमूल कॉंग्रेस के सदस्य शाहजहाँ शेख द्वारा फरवरी 2024 मे की गयी जुल्म और ज्यादती पर, ममता सरकार द्वारा उसकी करतूतों पर पर्दा डालने के कुत्सित प्रयासों को भूला भी नहीं था कि ममता सरकार द्वारा ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार और हत्या पर उसके परिवार से सहानुभूति, हमदर्दी और संवेदना के उलट इस रेप और हत्याकांड को पहले ही दिन से ही आत्महत्या बतलाकर, लीपापोती करने का घिनौना प्रयास इस बात की पुष्टि करता हैं कि ममता सरकार मे महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराधों को रोकने मे सक्षम नहीं हैं।
पश्चिमी बंगाल मे आरजी कर मेडिकल कॉलेज मे एक ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की घटना इसलिये भिन्न हैं क्योंकि पीढ़ित परिवार, सेवारत डॉक्टर और प्रदेश के लोगो को ममता सरकार और पुलिस प्रशासन की नीयत पर भरोसा नहीं? 9 अगस्त 2024 को एक ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या होने के बाद डॉक्टर के परिवार को मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा फोन पर बीमारी और फिर आत्महत्या बतलाना, तीन घंटे तक परिवार को बेटी के शव को न दिखलाना, तृणमूल कॉंग्रेस सरकार की नीयत पर संदेह, शक और शंका को सही सावित नहीं करता हैं? कोलकाता पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम के पश्चात अंतिम संस्कार और उसके बाद पुलिस एफ़आईआर कराना, अपराध स्थल पर छेड़छाड़, जैसे मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रश्न खड़े करना कोलकाता पुलिस की लापरवाही को स्पष्ट दर्शाता है और इस घटना पर ममता सरकार के इरादों पर शुबहा करने के लिए पर्याप्त नहीं? आरजी मेडिकल कॉलेज के जिस प्राचार्य संदीप घोष को ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के बाद तुरंत पुलिस को सूचना देने के ज़िम्मेदारी थी, ने इस कार्य मे कोताही वरतते हुए हत्या के लंबे अंतराल के बाद पुलिस को सूचना देना, संदेह की पुष्टि के लिए क्या पर्याप्त नहीं?
आरजी मेडिकल कॉलेज मे डॉक्टर की हत्या जैसी जघन्य और शर्मनाक घटना और उसके पश्चात उस पर लीपापोती के जिस कुप्रयास पर प्राचार्य डॉक्टर संदीप घोष को तुरंत बर्खास्तगी की सजा के उलट, उस कृतघ्न प्राचार्य को शहर के नेशनल मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल मे स्थानांतरित कर पुरुस्कृत करना, ममता सरकार की नीयत मे खोट दिखलाई देने के लिये पर्याप्त नहीं है? घटना के दूसरे दिन ही घटना स्थल पर मजदूरों द्वारा निर्माण कार्य के लिये तोड़ फोड़ करना और घटना के बाद 14 अगस्त को 6-7 हजार की अराजक भीड़ द्वारा पूरे आरजी मेडिकल कॉलेज सहित घटना स्थल पर तोड़-फोड़ कर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना और धरना प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स के साथ मारपीट करना, क्या ये प्रदर्शित नहीं करता कि इस पूर्वनियोजित घिनौने षड्यंत्र के पीछे ममता सरकार की सोची समझी चाल है?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने के निर्णय से बौखलाई तृणमूल कॉंग्रेस सरकार ने कुछ दिन बाद ही, अपने ही राज्य की कानून व्यवस्था के विरुद्ध अपनी ही सरकार द्वारा आंदोलन करना इस बात को दर्शाता हैं कि, ममता बनर्जी सरकार अपनी सरकार के विरुद्ध किसी भी तरह की निंदा, किसी भी तरह के आंदोलन को सहन नहीं करेंगी चाहे उन्हे इसके लिए किसी भी हद तक अनैतिकता, अन्याय और अधर्म की सीमा को लांघना पड़े। अपने एक दशक से ज्यादा के कार्य काल मे जो ममता बैनेर्जी महिलाओं पर यौन हिंसा, अत्याचार पर अंकुश न लगा सकीं वह अगले विधान सभा सत्र मे बिल ला कर, महज 10 दिन मे पीढ़िता को इंसाफ दिलाने की डींगे हांक रही हैं!!
28 अगस्त 2024 को तृणमूल छात्र परिषद के स्थापना दिवस के कार्यक्रम मे ममता बनर्जी ने सारी मर्यादाएं लांघते हुए बांगलादेश मे हुए तख्तापलट पर, प्रधानमंत्री को अकारण ही चुनौती देते हुए कहा, मोदी बाबू, आप चाहते हैं कि वह आग बंगाल मे फैले तो फिर आपको ये समझ लेना चाहिये कि अगर आग बंगाल मे लगेगी तो असम नहीं बचेगा, यूपी, झारखंड, बिहार नहीं बचेगा, नॉर्थ ईस्ट नहीं बचेगा!! आग मणिपुर, ओड़ीशा मे नहीं रुकेगी, यह आग दिल्ली भी पहुंचेगी!! हम आपकी कुर्सी हिला कर रख देंगे!! स्वाभाविक था सत्ताधारी दल के नेताओं ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उनकी तीव्र आलोचना की और इसे आलोकतांत्रिक और देश विरोधी ब्यान बतलाया। यह भाषा किसी राज्य के मुख्यमंत्री की भाषा नहीं अपितु एक डरे, घबराए और बौखलाए मुख्यमंत्री की थी जो एक डॉक्टर से रेप और हत्या की घटना को सही ढंग से नहीं सुलझा पाया।
डॉक्टर्स के जीवन की रक्षा करने मे असफल ममता सरकार, अपरोक्ष रूप से आंदोलनकारी डॉक्टर्स को चेतावनी देते हुए उनके भविष्य को पुलिस एफ़आईआर के माध्यम से दांव पर लगाने से बचने की सलाह दी। जिन डॉक्टर्स का जीवन सुरक्षा के अभाव मे दांव पर लगा हो, वे नौजवान डॉक्टर्स अपने भविष्य के दांव पर लगने की भला क्यों परवाह करने लगे? अतः आरजी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स का शांति पूर्ण आंदोलन आज भी जारी है। आज आवश्यकता इस बात की हैं कि ममता बनर्जी इस हत्या कांड की निष्पक्ष सीबीआई जांच मे सहयोग कर दूध का दूध और पानी का पानी करें, फिर भले ही इस षड्यंत्र मे उनका कितना भी निकट संबंधी, पार्टी कार्यकर्ता या शुभचिंतक क्यों न शामिल हों। उनका प्राथमिक कर्तव्य राज्य की आम जनता के हितों के प्रति हैं न कि किसी और के लिए। बस..!अब बहुत हुआ…माननीय राष्ट्रपति जी