

सोशल मीडिया: अभिव्यक्ति की आजादी, सपनों का संसार। आज के दौर में प्रचलित एवं चर्चित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में फेसबुक, लिंक्डइन, माईस्पेस, यूट्यूब, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, स्नैपचैट, टिकटॉक और टेलीग्राम जैसे अन्य प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म उभर कर सामने आए हैं। सोशल मीडिया:अभिव्यक्ति की आजादी
एक अदद लाइक की ललक, फॉलोवर बढ़ाने की फिक्र, सब्सक्राइब कराने की सनक और कंटेंट को शेयर कराने का कौतूहल, कुल मिलाकर सोशल मीडिया के आज के दौर की दास्तान बस यही है। कहने का मतलब यह है कि आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। सोशल मीडिया एक इलेक्ट्रोनिक प्लेटफॉर्म है जहाँ व्यक्ति सूचनाओं, भावनाओं, कौशल, ज्ञान आदि की अभिव्यक्ति शब्द चित्र, वीडियो आदि माध्यम से अन्य व्यक्तियों तक एक क्लिक के जरिए बड़ी ही आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह न केवल दुनिया भर के लोगों से जुड़ने का जरिया है, बल्कि यह सूचनाओं का भंडार भी है। व्यापार से लेकर मनोरंजन और यहां तक कि कूटनीति औऱ रक्षा क्षेत्र में भी अब सोशल मीडिया की धमक है । आज के समय में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं रहते। आज यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं है, कि सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले लोगों को ही आज के युग में सामाजिक या “सोशल” माना जाता है।
हर साल 30 जून को सोशल मीडिया डे मनाया जाता है, जो सोशल मीडिया के महत्व और इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताता है। सोशल मीडिया डे एक खास दिन है जो सोशल मीडिया के महत्व और इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को याद दिलाता है। सोशल मीडिया दिवस के अतीत पर गौर करें तो सोशल मीडिया दिवस की स्थापना वर्ष 2010 में मैशेबल नामक एक वैश्विक मीडिया और प्रौद्योगिकी कंपनी द्वारा की गई थी। इस दिन का उद्देश्य लोगों को सोशल मीडिया की शक्ति और इसके सकारात्मक प्रभावों के बारे में जागरूक करना था। तब से यह दिन दुनिया भर में लगातार प्रतिवर्ष मनाया जाता है। जिसमें लोग अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अपने अनुभवों को शेयर करते हैं और सोशल मीडिया के इस्तेमाल से होने वाले फायदों के बारे में चर्चा करते हैं। इसका उद्देश्य यह भी था कि दुनियाभर में संचार के क्षेत्र में सोशल मीडिया के प्रभाव को पहचाना जा सके।
वैसे सोशल मीडिया की शुरुआत 1997 में सिक्सडिग्री जैसे प्लेटफॉर्म के लॉन्च के साथ हुई थी। इसने यूजर्स को प्रोफाइल बनाने और दोस्तों से जुड़ने की अनुमति दी थी। बीते सालों में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव तथा उपयोगिता के चलते ही सोशल मीडिया के “इकोसिस्टम” का तेजी से विस्तार हुआ है। आज के दौर में प्रचलित एवं चर्चित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में फेसबुक, लिंक्डइन, माईस्पेस, यूट्यूब, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, स्नैपचैट, टिकटॉक और टेलीग्राम जैसे अन्य प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म उभर कर सामने आए हैं। इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी व्यक्ति कंप्यूटर, स्मार्ट टीवी एवं मोबाइल फोन आदि से इंटरनेट के माध्यम से कहीं भी किसी भी समय जुड़ सकता है तथा सम्प्रेषण कार्य में सक्रिय भाग ले सकता है। हालांकि सोशल मीडिया की शुरुआत विदेशी धरती से हुई लेकिन विश्व के साथ-साथ आज भारत में भी सोशल मीडिया ने अपनी गहरी पकड़ बना ली है।
आज देश में तेजी से बढ़ते यूजर बेस के साथ सोशल मीडिया भारत में लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। एक अनुसंधान के मुताबिक भारतीय प्रतिदिन औसतन 2.36 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति से मैसेज और वीडियो कॉलिंग के जरिए जुड़ सकते हैं। वहीं, एक क्लिक में दुनिया की तमाम जानकारी को सोशल मीडिया पर पा सकते हैं। जैसा कि इसका नाम है सोशल मीडिया मतलब समाज का एक माध्यम जिसके जरिए हम समाज में हो रही हर एक घटना से अवगत होते है। सोशल मीडिया के जरिए ही सिटीजन जर्नलिजम यानी की “नागरिक पत्रकारिता” की संकल्पना भी सरकार हुई है। देश के हर छोटे-बड़े मीडिया घराने द्वारा अब अपना सोशल अकाउंट जारी कर नागरिकों से उनकी समस्या तथा सुझाव मांगे जा रहे हैं। इस कवायद से पत्रकारिता की यह संकल्पना भी पूरी हुई है कि जिसकी समस्या है वह खुद अपनी समस्या बताएं और खुद उसका समाधान भी सुझाए।
सारे पीआर एजेंसी सोशल मीडिया को एक हथियार की तरह यूज कर रहे हैं। यह भी महत्वपूर्ण बात है कि सोशल मीडिया आज के दौर में एक तरह से परंपरागत मीडिया के साथ एक समानान्तर भूमिका निभा रहा है। इसमें जन कल्याण के लिए नीतियों के निर्माण, सामाजिक बदलाव,जनमानस को प्रभावित करना तथा विश्व के पटल पर एक स्वतंत्र राय और एक विमर्श सेट करने जैसे कार्य शामिल हैं। निर्भया केस के आरोपियों को सोशल मीडिया पर चलाए गए जागरूकता अभियान के कारण ही सजा मिल पाई। वर्तमान में सोशल मीडिया किस कदर से हावी है कि व्यापार और सामाजिक जागरूकता सहित राजनीति के क्षेत्र में भी सोशल मीडिया ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। हालात ऐसे हैं कि प्रत्येक व्यापारिक घराने का सोशल मीडिया पर अकाउंट है और इसके जरिए वह अपने उत्पादों का “प्रचार-प्रसार” कर रहा है।
इसके साथ ही राजनीति में प्रत्येक जनप्रतिनिधि का सोशल अकाउंट है जो उनके समर्थकों का उनसे जुड़ने कार्यक्रमों के बारे में सूचना एवं जानकारी देने तथा अन्य किसी प्रकार का संवाद करने का एक प्रभावी जरिया है। सोशल मीडिया के माध्यम से ही आज प्रत्येक राजनेता फेसबुक लाइव के जरिए अपने कार्यक्रमों को जनता तक “रियल टाइम” में पहुंचाने में सक्षम हुआ है। राजनीति सोशल मीडिया की जानकारी का यह भी मानना है कि सोशल मीडिया के कारण ही साल 2014 में बेजेपी जन-जन तक पहुंची और केन्द्र में अपनी सरकार बना पाई। सोशल मीडिया की इसी ताकत को जानते और पहचानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नई दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर का एक विशाल सम्मेलन बुलाया था। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को विकास के पद पर ले जाने में “सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर” के सहयोग का आह्वान भी किया था।
पीएम नरेंद्र मोदी का चर्चित कार्यक्रम “मन की बात” भी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुना देखा जाता है। यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने अकाउंट बनाकर लोगों से सीधे जोड़ने की एक अनूठी पहल की है। सोशल मीडिया की उपयोगिता को जान और समझ कर अब कई सूबों की सरकार भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कल्याणकारी योजना के प्रचार प्रसार के लिए उपयोग में ला रही है। सोशल मीडिया के अच्छे पहलुओं के साथ बीते दिनों में कई नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। इनमें व्यक्ति की निजता से लेकर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा गलत तथ्यों का प्रचार प्रचार जैसे कार्य शामिल हैं। सोशल मीडिया पर पोर्न सामग्री भी परोसी जा रही है जिसके चलते बच्चों पर इसका सबसे अधिक प्रतिकूल असर पड़ रहा है। एआई के गलत इस्तेमाल का भी प्रचलन सोशल मीडिया पर बीते दिनों में बढ़ा है। जिसके चलते लोगों को विशेष कर राजनेता तथा अन्य सेलिब्रिटियों को उनके फोटो तथा वीडियो को काट-छांटकर बदनाम किया जा रहा है।
सोशल मीडिया साइबर-बुलिंग को बढ़ावा देता है। यह फेक न्यूज़ और हेट स्पीच फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। सोशल मीडिया पर गोपनीयता की कमी होती है और कई बार आपका निजी डेटा चोरी होने का खतरा रहता है। साइबर अपराधों जैसे- हैकिंग और फिशिंग आदि का खतरा भी बढ़ जाता है।आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से धोखाधड़ी का चलन भी काफी बढ़ गया है, ये लोग ऐसे सोशल मीडिया उपयोगकर्त्ता की तलाश करते हैं जिन्हें आसानी से फँसाया जा सकता है। हालांकि, सरकार ने आईटी एक्ट में बदलाव करके तथा निजता संबंधी जानकारी को लीक करने से रोकने कई प्रावधान बनाकर इस दुष्प्रभाव पर रोक लगाने की कोशिश भी की है। लेकिन सोशल मीडिया के गलत उपयोग रोकने का जिम्मा स्वयं इसके यूजर पर ही है कि वह सोशल मीडिया का किस प्रकार से स्वयं, समाज तथा राष्ट्र के हित में इसका सदुपयोग करता है। कुल मिलाकर सोशल मीडिया के संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी है और सपनों का संसार भी है लेकिन इसका गलत उपयोग लोगों की बर्बादी का “सबब” भी बन सकता है। सोशल मीडिया:अभिव्यक्ति की आजादी