

योग केवल शरीर को मोड़ने-मरोड़ने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने की वैज्ञानिक प्रणाली है। इस प्रणाली में कुछ श्वास तकनीकें ऐसी हैं, जो न केवल शरीर को ऊर्जा देती हैं, बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शुद्ध करती हैं। कपालभाति प्राणायाम एक योगिक श्वास तकनीक है, जिसे शुद्धिकरण क्रिया/नाडी शोधन के रूप में भी जाना जाता है। यह शरीर से विषैले तत्वों को निकालने,मस्तिष्क को सक्रिय करने और पाचन व श्वसन प्रणाली को मजबूत करने में अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। ऐसी ही एक अद्भुत विधि है। भारतीय योग परंपरा में कुछ ऐसी गूढ़ तकनीकें हैं जो न केवल शरीर को स्वस्थ करती हैं, बल्कि प्राणशक्ति यानी जीवन ऊर्जा को जाग्रत करती हैं। कपालभाति प्राणायाम ऐसी ही एक अद्भुत योगिक प्रक्रिया है, जो शरीर, मन और आत्मा को एक नई ऊर्जावान दिशा देती है। कपालभाति प्रणायाम का वैज्ञानिक रहस्य श्वास, शुद्धि और ऊर्जा
कपालभाति कैसे करें..?
कपालभाति प्रणायाम करने के लिये सीधी रीढ़ के साथ पद्मासन, सुखासन या सिद्धासन में बैठें। अपनी आँखें बंद करें और शरीर को शिथिल करें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें। नाक से तेजी से सांस छोड़ें, पेट को भीतर की ओर खींचते हुए। सांस लेना स्वतः होगा, केवल सांस छोड़ना नियंत्रित और बलपूर्वक करें। यह प्रक्रिया शुरू में 30 बार करें, फिर धीरे-धीरे 100 या उससे अधिक तक ले जा सकते हैं।
कपालभाति प्रणायाम से कैसे जगती है जीवनशक्ति..?
प्राणवायु का शुद्ध प्रवाह:- बार-बार श्वास छोड़ने से शरीर में जमा कार्बन डाइऑक्साइड और विषैले तत्व बाहर निकलते हैं, जिससे प्राण ऊर्जा शुद्ध और सशक्त बनती है। कपालभाति में बार-बार तेजी से श्वास छोड़ने की क्रिया होती है, जिससे फेफड़ों में जमा हुआ विषैला वायु (CO₂) और शरीर के भीतर की गंदगी बाहर निकलती है। इससे शरीर के ऊतक (tissues) अधिक ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। यह प्रक्रिया शरीर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करती है — और यही जीवनशक्ति का जागरण है।
मस्तिष्क की जागृति:- मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे स्मरण शक्ति, एकाग्रता और जागरूकता तीव्र होती है।मस्तिष्क हमारी आतंरिक ऊर्जा (conscious energy) का मुख्य केंद्र है।कपालभाति के दौरान ब्रेन में रक्त और प्राण का प्रवाह तेज हो जाता है, जिससे एक तेजस्विता और मानसिक स्पष्टता आती है। यही मानसिक ऊर्जा धीरे-धीरे जीवन के प्रति उत्साह और सक्रियता को बढ़ाती है।
अंदरूनी शुद्धि से आत्मबल का जागरण:- शरीर के अंदर जब विषैले तत्व बाहर निकलते हैं, तो मन भी हल्का और सकारात्मक महसूस करता है। जब शरीर साफ, मन शांत और श्वास नियंत्रित हो — तब भीतर की प्राकृतिक ऊर्जा (life force) स्वतः सक्रिय होने लगती है।
चक्रों की सक्रियता:- कपालभाति मणिपुर और आज्ञा चक्र को सक्रिय करता है, जिससे आत्मबल और आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है। योग शास्त्रों के अनुसार, नाभि के पास स्थित मणिपुर चक्र शरीर की ऊर्जा का भंडार है। कपालभाति करते समय जब पेट को बार-बार भीतर की ओर खींचते हैं, तब यह चक्र सक्रिय (activate) होता है। इससे सुप्त पड़ी हुई प्राणशक्ति जागृत होती है, जो आत्मविश्वास, निर्णय शक्ति, और आत्मबल को बढ़ाती है।
नियमित अभ्यास से आदतों और सोच में ऊर्जा आती है:- कपालभाति के अभ्यास से शरीर सुबह-सुबह ही ऊर्जावान हो जाता है। यह जीवन में एक संतुलन, नियम और सकारात्मक प्रवाह लाता है-और यही ऊर्जा हमारे सोच, काम और रिश्तों में परिलक्षित होती है।
लाभ- फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है। पेट की चर्बी घटाने में सहायक। कब्ज, गैस और अपच में राहत। मस्तिष्क को तेज करता है, एकाग्रता बढ़ाता है। शरीर से विषैले तत्वों का बाहर निकलना। त्वचा में निखार व ऊर्जा में वृद्धि।
सावधानियां- उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, हर्निया, अल्सर या गर्भवती महिलाएं इसे चिकित्सक/योग गुरु की सलाह से ही करें। भोजन के कम से कम 3 घंटे बाद करें।शुरुआत में बहुत तेज़ी से या बहुत लंबे समय तक ना करें।
कपालभाति प्राणायाम एक ऐसी योगिक चाबी है, जो भीतर सोई हुई जीवनशक्ति को जगा सकती है। यह न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता, आत्मबल और ऊर्जा से भर देता है। हर दिन 10 मिनट का कपालभाति -और आप जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलता हुआ पाएंगे। कपालभाति कोई सामान्य योग नहीं, बल्कि यह जीवन को भीतर से पुनर्जागृत करने वाली शक्ति है। यह श्वास के माध्यम से शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है-और जब भीतर की शुद्धता आती है, तो जीवनशक्ति अपने आप जग जाती है। कपालभाति प्रणायाम का वैज्ञानिक रहस्य श्वास, शुद्धि और ऊर्जा