राखी का धागा

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राखी का धागा
राखी का धागा
प्रियंका सौरभ
प्रियंका सौरभ

“राखी का धागा” सिर्फ एक धागा नहीं, भावनाओं का बंधन है। यह एक ऐसा धागा है जो..भाई की कलाई पर बंधते ही बहन के आशीर्वाद की ढाल बन जाता है। हर मुश्किल में उसे याद दिलाता है कि कोई है, जो निस्वार्थ प्रेम करता है। वो धागा, जो बहन की रक्षा की नहीं, बल्कि उसके सम्मान, उसके सपनों और उसकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी का प्रतीक है। राखी का धागा

राखी का ये बंधन प्यारा, सावन सा भीगा-सारा।
तेरी कलाई पे जो लिपटा है, वो मेरा सारा सहारा।

न कोई माँगा धन-संपत्ति, न माँगा कोई ताज-मुकुट।
बस माँगी एक छोटी सी वादा, “संग रहूं मैं हर संकट-संग जुट।”

रक्षा का अर्थ तलवार नहीं, ना ही कोई रण का मैदान।
बहन के आँसू पोंछ सके, वही है सच्चा महान इंसान।

आज भी वो बचपन का आँगन, जहाँ तू मुझे चिढ़ाया करता।
कभी मेरी चोटी खींच के, फिर खुद ही चुपचाप मनाता रहता।

अब जब तू दूर बहुत है, शहरों की भागदौड़ में खोया।
फिर भी राखी जब भी आई, तेरी यादों ने हर कोना भिगोया।

डाक से भेजूं, या व्हाट्सऐप पे, राखी की तस्वीर सजा दूं..?
पर जो एहसास धागे में है, क्या वो मोबाइल में लिपटा दूं..?

माना अब तू मुझसे बड़ा है, और जिम्मेदारियाँ हैं भारी।
पर एक बहन की कोमल आस, अब भी तुझसे वही प्यारी।

तो आज इस रक्षा बंधन पर, ना सिर्फ रक्षा का वचन देना।
बल्कि बहनों के सपनों को, पंखों सी ऊँचाई भी देना। राखी का धागा