अयोध्या। शासन द्वारा दिये गये निर्देश के क्रम में मण्डलायुक्त नवदीप रिणवा ने बताया कि दिनांक 31 मई 2022 को प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल माध्यम से विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करेंगे। उक्त के क्रम में उन्होंने मण्डल के जिलाधिकारियों को निर्देश दिये है कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों/योजनाओं यथा-प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण व शहरी), प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण व शहरी), जल जीवन मिशन और अमृत, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना, वन नेशन वन राशन कार्ड, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, उ0प्र0 राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के लाभार्थियों से वर्चुअल संवाद किया जायेगा तथा पीएम किसान निधि की किश्त का वितरण होगा। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा कार्यक्रम के लिए जारी समय-सारिणी के अनुसार पूर्वान्ह 9ः45 बजे से 10ः50 बजे के मध्य जिला मुख्यालय, समस्त विकासखण्ड व समस्त कृषि विज्ञान केन्द्रों पर कार्यक्रम का आयोजन, पूर्वान्ह 11 बजे से अपरान्ह 12ः15 बजे तक शिमला से आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम से वर्चुअल मोड के माध्यम से राष्ट्रीय कार्यक्रम से जुड़ेंगे। मण्डलायुक्त ने मण्डल के समस्त जिलाधिकारियों से अपेक्षा की है कि शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप जिला स्तर, विकासखण्ड स्तर एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाय और समय से पूर्व सभी तैयारियां पूर्ण कर ली जाय। जिलाधिकारी नितीश कुमार ने उपनिदेशक कृषि को अयोध्या जनपद के कार्यो की तैयारी करने हेतु निर्देश दिया है तथा इसका जिला स्तर का कार्यक्रम कृषि विज्ञान केन्द्र मसौधा में आयोजित किया जायेगा।
Popular Posts
निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए तैयार उत्तर प्रदेश
निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतदान के लिए तैयार उत्तर प्रदेश
Breaking News
मनरेगा से गांवों में बन रहे अन्नपूर्णा भवन
मनरेगा से गांवों में बन रहे अन्नपूर्णा भवन। अत्याधुनिक सुविधाओं वाले भवनों में शिफ्ट हो रहे खाद्य गोदाम।
लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य...
सफलता के अलग दृष्टिकोण
विजय गर्ग
सफल लोग अलग तरह से काम करते हैं। सफलता को अक्सर प्रतिभा, कड़ी मेहनत और अवसर के संयोजन के रूप में देखा...
डिजिटल गिरफ्तारी और उसका प्रभाव
विजय गर्ग
डिजिटल गिरफ्तारी एक आधुनिक विचार है जो ऐसी दुनिया में उभरा है जहां प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाती...
विद्याथियों के लिए गीता का महत्व
डा. विनोद बब्बर
गीता केवल हमारे लिए नहीं, सम्पूर्ण विश्व के लिए है। मानवमात्र की हित चिंतक है गीता। उसे किसी काल विशेष से भी बांधा नहीं जा सकता क्योंकि सर्वकालीन है गीता।हर युग, हर देश, हर परिवेश, हर समाज, हर आयु वर्ग के समक्ष चुनौतियां अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहती हैं। कुछ लोग इन चुनौतियांे के समक्ष घुटने टेक देते हैं परंतु अधिकांश उनसे पार पाने का प्रयास करते हैं। न जाने क्यों, कर्म करने का उतना तनाव नहीं, जितना कर्म फल का होता है। कुछ तनावग्रस्त होते हैं तो कुछ तनावों पर नियंत्रण करते हुए केवल कर्म करते रहने के संकल्प पर दृढ़ रहते हैं।एक विद्यार्थी के लिए भी गीता का महत्व है। आज की शिक्षा प्रणाली में किसी भी विद्यार्थी की योग्यता, प्रतिभा को मांपने का एकमात्र तरीका परीक्षा में प्राप्त अंक हैं। अतः यह स्वाभाविक ही है कि परीक्षा, विशेष रूप से बोर्ड की परीक्षा में पहली बार भाग लेने वाले छात्रों की दशा अर्जुन जैसी होती है। पहली बार अपने विद्यालय से दूर, बिल्कुल अलग परिवेश, चारों ओर औपचारिकता जैसी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एक निश्चित समय में अधिकतम अंक प्राप्त करने की लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे एक किशोर की व्यथा को समझना मुश्किल नहीं है। नये तरह के ढेरो प्रश्न।
अधिकांश के उत्तर वह जानता है लेकिन उलझ जाता है कि किसे पहले? लेकिन कैसे आदि-आदि। उसे स्वयं की स्मरण शक्ति और क्षमता पर संदेह होने लगता है। तनावग्रस्त छात्र परेशान होता है क्योंकि वह नहीं जानता कि महात्मा गांधी ने कहा है, ‘जब शंकाएं मुझ पर हावी होती हैं, और निराशाएं मुझे घूरती हैं, आशा की कोई किरण नजर नहीं आती, तब मैं गीता की ओर देखता हूं।’प्रतियोगिता, परीक्षा और तनाव के संबंध में सभी जानते हैं। सबने अपने अपने समय में इसका अनुभव अवश्य किया है। तनाव होना तब तक सामान्य बात है जब तक तनाव का स्तर सामान्य रहे। असामान्य तनाव का अर्थ है- हमारी अपनी बुद्धि ही हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हो जाये।बस इस संतुलन को बरकरार रखने की कला हमें गीता से ही मिल सकती है। वह शिक्षा व जीवन में व्यावहारिक बनने की प्रेरणा देती है। आज के प्रतियोगी जीवन में हमें एक प्रेरक चाहिए। जो हमें समय प्रबंधन सिखाये, तनाव नियंत्रण के गुर बताये। श्रीकृष्ण एक महान प्रेरक हैं। और उनके श्रीमुख से प्रवाहित गीताज्ञान अज्ञान के अंत के लिए ही है। सोशल मीडिया, स्मार्ट फोन, इंटरनेट आदि की तकनीकी तो अभी आई हैं लेकिन महाभारत काल में भी इसकी झलक मिलती है। परिस्थितियां प्रमाण है कि ‘टेलीपैथी’, ‘दिव्यदृष्टि’ प्राप्त की जा सकती है अगर हम अपने कर्तव्यों को लेकर गंभीर रहें, आत्मविकास करें। यही बात एक विद्यार्थी को समझनी है कि गीता हमें स्मार्ट बनना सिखाती है। ऐसा होकर ही हम अपने जीवन की मूर्खताओं को पहले ढकते हैं और फिर अनुभव से उनसे छुटकारा पाते हैं।
कृष्ण कोई और नहीं, बल्कि हमारी चेतना है और तनावों, शंकाओं, विकारों से घिरा हमारा मन अर्जुन है। जो प्रश्न तब थे, वही अब भी हैं। हमारे हर सवाल का जवाब हमारे विवेक के पास है लेकिन विवेक सोया है, तो जवाब नहीं मिल सकता। गीता विवेकवान बनाती है। जिसका विवेक जागृत हो जाता है, उसका जीवन सफलता और प्रेरणा का गीत बन जाता है।श्रीमद्भगवद् गीता हमें स्वयं में विश्वास और ईश्वर में आस्था की प्रेरणा देते हुए सिखाती है कि हमें मैदान छोड़कर भागना नहीं है, बल्कि रचनात्मक बनना है। परिणाम का तनाव छोड़कर अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहने वाला ही जीवन का आंनद प्राप्त करता हैं। तकनीक के विकास को अपना विकास मानने के कारण ही तो हम अपना आंतरिक विकास करना भूल गये है। इसी कारण किशोर छात्र के सामने काम, क्रोध, मद, मोह, मत्सर और अहंकार रूपी भाव तो हैं ही, अपसंस्कृति, नशा, कामुकता, विदेशी शक्तियों के भ्रमजाल, देशद्रोही विचारधारा जैसे अनेक शत्रु प्रलोभन और आकर्षण के साथ विद्यमान हैं। आज भी एक अपरिपक्व युवा उस अर्जुन की तरह उन्हें अपना मानते हुए उनसे युद्ध करने को सहज तैयार नहीं है। उसे इस फिसलन भरे वातावरण से निकलने और बचाने का काम श्रीमद् भागवत गीता ही कर सकती है।विश्व के श्रेष्ठ ग्रंथों में शामिल गीता, न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी, बल्कि कही और सुनी भी जाती है। द्वितीय अध्याय का 47 वां और सबसे अधिक प्रचलित श्लोक है-कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।चतुर्थ अध्याय का 39 वां श्लोक कहता है-श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति।।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के दसवें अध्याय के 20वें श्लोक में कहा है -
अहमात्मा...
बिजली निजीकरण को आतुर सरकार-अखिलेश यादव
भाजपाई पहले बिजली का निजीकरण करेंगे, फिर बिजली की रेट बढ़ाएँगे, उसके बाद कर्मचारियों की छँटनी करेंगे, फिर ठेके पर लोग रखेंगे और...