रजिस्ट्रेशन आवेदनों का शीघ्र हो निस्तारण,फार्मेसिस्ट फेडरेशन ने शासन से किया अनुरोध।

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश के विभिन्न जनपदों से प्राप्त सूचनाओं को देखते हुए उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन एवं फार्मेसिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील यादव ने फार्मेसी काउंसिल में डिप्लोमा फार्मेसी एवं बैचलर फार्मेसी के लंबित ऑफलाइन आवेदनों का समय बद्ध निस्तारण करने के लिए उत्तर प्रदेश शासन से अनुरोध किया है ।

श्री यादव ने बताया कि बिना पंजीकरण के कोई भी फार्मेसिस्ट फार्मेसी की प्रैक्टिस करने के लिए अधिकृत नहीं होता है। वह फार्मेसी का कोई भी कार्य नहीं कर सकता है ना तो स्वरोजगार कर सकता है । प्रदेश के हजारों छात्र अपनी गाढ़ी कमाई पूंजी लगाकर फार्मेसी का अध्ययन कर रहे हैं, परंतु पंजीकरण का आवेदन जो ऑनलाइन होने के पूर्व ऑफलाइन किया गया था उसमें से अधिकांश के निस्तारण अभी भी लंबित है,जबकि शासन द्वारा उनके समयबद्ध निस्तारण के निर्देश पूर्व में ही दिए जा चुके हैं छात्रों की समस्याओं को देखते हुए शासन का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास फेडरेशन द्वारा किया गया है । उत्तर चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद एवं सचिव प्रांजल यादव का धन्यवाद भी ज्ञापित किया है कि उन्होंने फार्मेसी छात्रों की पीड़ा को समझते हुए उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल को ऑनलाइन किए जाने तथा उसकी व्यवस्थाओं में किए गए महत्वपूर्ण सुधारो के लिए हस्तक्षेप किया।


वास्तव में शासन के निर्देशों के बाद ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया सुलभ, पारदर्शी एवं तेज हुई है । फिर भी प्रदेश के हजारों फार्मेसिस्टो द्वारा संज्ञान में लाया गया है कि हजारों की संख्या में ऑफलाइन आवेदन की पत्रावलियां अभी तक लंबित पड़ी हुई है । जबकि शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि एक कार्ययोजना बनाकर सभी लंबित प्रकरणों को अति शीघ्र निस्तारित किया जाए और महानिदेशक/अध्यक्ष उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल द्वारा प्रेस को यह भी बताया गया था कि अतिशीघ्र एजेंसी के माध्यम से सभी लंबित आवेदनों का निस्तारण कर दिया जाएगा, लेकिन यह योजना अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। जिससे हजारों आवेदन पत्र अनिस्तारित है । फेडरेशन ने कहा कि किसी कार्य में विलंब होने पर भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है। शासन द्वारा यह भी प्रयास किया गया है कि उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल में किसी भी फार्मेसिस्ट को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पैरवी करने की नौबत ना आए, लेकिन आवेदन लंबित रहने के कारण अक्सर वहां पर फार्मेसिस्ट छात्र या कई अन्य व्यक्ति फार्मेसी काउंसिल व्यक्तिगत रूप से आते रहते होंगे जिससे शासन की मंशा पर प्रतिकूल असर की संभावना है ।