UP में रिकॉर्ड गन्ना किसानों का भुगतान

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UP में रिकॉर्ड गन्ना किसानों का भुगतान
UP में रिकॉर्ड गन्ना किसानों का भुगतान

रिकॉर्ड भुगतान से गन्ना किसानों के लिए बढ़ी मिठास। 6 वर्ष में रिकॉर्ड 2.14 लाख करोड़ गन्ना मूल्य का भुगतान। योगी सरकार के प्रयास से गन्ना किसानों के चेहरे पर आई चमक। योगी सरकार ने की 6 वर्षों में 2 नई चीनी मिलों की स्थापना। 4 बंद मिलों का दोबारा संचालन और 30 की क्षमता में हुआ विस्तार।

गन्ना किसानों की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने विगत 6 वर्ष में अब तक गन्ना किसानों को रिकॉर्ड 2.14 लाख करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया है। यह गन्ना किसानों के लिए योगी का सबसे बड़ा संबल है, जिन्होंने सूबे की सत्ता संभालते ही गन्ना किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए कार्य की रणनीति बनायी। इसके तहत गन्ना पेराई, चीनी उत्पादन एवं चीनी परता पर काम शुरू किया गया। योगी सरकार ने सबसे पहले प्रदेश में बंद चीनी मिलों को दोबारा शुरू कराया और बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान पर फोकस किया। योगी सरकार के प्रयासों से चीनों मिलों का संचालन सुधरा तो अधिक चीनी उत्पादन भी हुआ। सीएम योगी के निर्देश पर आज प्राथमिकता के तहत किसानों का नियमित भुगतान भी हो रहा। इससे चीनी की मिठास और बढ़ गयी। साथ ही प्रति हेक्टेयर गन्ने की उत्पादकता पर भी जोर दिया जा रहा है।

एथनॉल उत्पादन में रिकार्ड 160 करोड़ लीटर की हुई वृद्धि


पिछली सरकार में जहां प्रदेश का औसत चीनी परता 10.61 प्रतिशत थी, वहीं योगी सरकार में चीनी परता बढ़कर 11.43 प्रतिशत हो गया है। इसमें बी- हैवी शीरे एवं सीधे गन्ने से 9.60 प्रतिशत एथेनॉल उत्पादन शामिल है। योगी सरकार ने खांडसारी नीति में बदलाव करते हुए प्रदेश में ऑनलाइन खांडसारी लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू की गयी थी। इसका नतीजा ये रहा कि प्रदेश में 284 नई खांडसारी इकाईयों की स्थापना की गयी, जिससे 31,690 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध हुए। योगी सरकार ने देश में एथेनॉल के उत्पादन में भी रिकॉर्ड बनाया है। वर्ष 2016-17 में जहां प्रदेश में एथेनॉल का कुल उत्पादन 42.07 करोड़ लीटर था, वहीं वर्तमान में यह बढ़कर 160 करोड़ लीटर तक पहुंच गया है।

योगी सरकार ने अब तक 2.14 लाख करोड़ गन्ना मूल्य का किया गया भुगतान


योगी सरकार की नीतियों का ही असर है कि आज प्रदेश में जहां वर्ष 2016-17 में प्रति हेक्टेयर 72.38 मैट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हो रहा था, वहीं आज यह बढ़कर प्रति हेक्टेयर 82.31 मैट्रिक टन हो गया है। पिछले 6 वर्षों में प्रति हेक्टेयर 9.93 मैट्रिक टन गन्ने के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। इससे गन्ना किसानों को प्रति हेक्टेयर में 349 रुपये प्रति कुंतल की दर से 34,656 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से आज उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए 120 चीनी मिलें संचालित हैं। इन चीनी मिलों द्वारा वर्ष 2021-22 में 1,016.26 लाख टन गन्ने की पेराई की गयी थी। इससे 101.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। वहीं 2022-23 में अब तक 1,098.31 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जिससे 105.41 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है। पिछले 6 वर्षों में चीनी मिलों द्वारा रिकार्ड 6,403 लाख टन गन्ने की पेराई की गयी, जिससे रिकार्ड 683.07 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है। इतना ही नहीं, प्रदेश में 2 नई चीनी मिलों की स्थापना की गयी और 4 चीनी मिलों को दोबारा शुरू कराने के साथ 30 चीनी मिलों की क्षमता में विस्तार किया गया, जिससे चीनी मिलों में कुल 78,900 टीसीडी की अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन हुआ।

लक्ष्मी नारायण चौधरी

भारत में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। फसल सीजन 2022-23 में 28.53 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की गई। यूपी की मौजूदा सरकार का कहना है कि प्रदेश सरकार अब तक गन्ना उत्पादकों को 2 लाख 11 हजार 350 करोड़ का भुगतान कर चुकी है। इससे 46 लाख गन्ना किसानों के खाते में भुगतान राशि पहुंची है। सरकार का कहना है कि वह देश में गन्ना किसानों का भुगतान करने में सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी है। प्रदेश के हजारों गन्ना उत्पादकों के खाते में जल्द ही बकाया राशि पहुंचने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गन्ना बकाया के भुगतान करने का आदेश दे दिया है। खास बात यह है कि इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 450 करोड़ रुपये की राशि जारी भी कर दी है।गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि जल्द ही किसानों की बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। गन्ना किसानों का हित योगी सरकार के लिए सर्वोपरि है।

गन्ना बीज उत्पादन और वितरण से जुड़ी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप गन्ना विभाग ने महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हे रोजगार से जोड़ा। विभाग ने कोविड-19 महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को गन्ना बीज उत्पादन और वितरण से जोड़ा। वर्तमान में इन कार्यों में 3,196 महिला स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जिसमें 60,000 ग्रामीण महिला उद्यमी जुड़कर गन्ने की पौध के उत्पादन कर अपना जीवकोपार्जन कर रही हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा अब तक 38 करोड़ गन्ना पौध का उत्पादन किया जा चुका है जबकि इसका वितरण कर 102 करोड़ की आमदनी की गयी। महिला स्वयं सहायता समूहों ने पिछले कई वर्षों में गन्ना प्रजाति एवं बीज बदलाव में अग्रणी भूमिका निभायी है।

योगी ने गन्ना किसानों की एफआरपी बढ़ाने पर प्रधानमंत्री का जताया आभार। केंद्रीय कैबिनेट ने चीनी सीजन 2023-24 के लिए बढ़ाया उचित और लाभकारी मूल्य। यूरिया सब्सिडी योजना जारी रहेगी, भारत यूरिया में आत्मनिर्भर बनने की राह पर। गन्ना किसानों के स्वावलंबन से समृद्धि की यात्रा को मिलेगा नया आयाम – मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय कैबिनेट द्वारा गन्ना किसानों के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को बढ़ाये जाने पर प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया है। उन्होंने इसे गन्ना किसानों के स्वावलंबन से समृद्धि की यात्रा को नया आयाम प्रदान करने वाला बताया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा चीनी सीजन 2023-24 में गन्ना किसानों के लिए गन्ने के अब तक के उच्चतम उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को ₹315 प्रति क्विंटल करने की स्वीकृति प्रदान करने का निर्णय अत्यंत सराहनीय है। यह निर्णय गन्ना किसानों के स्वावलंबन से समृद्धि की यात्रा को नए आयाम प्रदान करेगा। आज खुशहाल किसान ही नए भारत की पहचान हैं। मोदी सरकार ने देश के गन्ना किसानों को 2023-24 सीजन के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। जो अब तक के गन्ना खरीदी की सर्वाधिक कीमत है। इससे न केवल देश के गन्ना किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त होगा। साथ ही चीनी मिलों में कार्यरत श्रमिकों को भी लाभ मिलेगा। इस निर्णय से लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान और चीनी मिलों में काम करने वाले लाखों श्रमिकों को लाभ मिलेगा।

इसके अलावा मोदी सरकार ने किसानों को यूरिया की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने की मंजूरी भी दी है। पैकेज में तीन वर्षों (2023 से 2025) के लिए यूरिया सब्सिडी को लेकर लगभग 3.70 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। सरकार के इस निर्णय से किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी इनपुट लागत को कम करने में मदद मिलेगी। यूरिया सब्सिडी योजना के जारी रहने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा।

UP में रिकॉर्ड गन्ना किसानों का भुगतान