पाकिस्तान के सामने एक बार फिर से भीख मांगने की नौबत आ गई है। मजबूर पाकिस्तान कर्ज पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है ! मजबूर पाकिस्तान..!
अशोक भाटिया
माना जा रहा है कि पाकिस्तान अब पूरा विदेशी कर्ज पर ही चल रहा है व कर्ज पाने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है । इसका सबूत है पाकिस्तान पहुंचीं जर्मनी की संघीय विकास मंत्री स्वेंजा शुल्ज़े का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बैठक करने से मना करना । हालांकि बाद में उनको मनाया गया और उन्होंने बैठक में भाग लिया। ताज़ा घटना के अनुसार जर्मनी की संघीय विकास मंत्री स्वेंजा शुल्ज़े बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के आवास पर अपने अधिकारियों के साथ पहुंची थीं। इस दौरान वहां पर मौजूद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उन्हें चेकिंग के लिए रोका और उनको बैग अंदर ले जाने के लिए मना कर दिया।
मंत्री स्वेंजा शुल्ज़े और उनके अधिकारियों को ये बात पसंद नहीं आई और वो वापस अपनी कार की तरफ जाने लगे। ये देख वहां मौजूद पाकिस्तान अधिकारियों के होश उड़ गए और उन्होंने किसी तरह से जर्मनी की संघीय विकास मंत्री को मनाया और बैग के साथ बैठक में जाने की अनुमति दे दी। हाल में सामने आये वायरल वीडियो में पीएम हाउस के प्रवेश द्वार से पहले सुरक्षा जांच के दौरान मंत्री स्वेंजा शुल्ज़े से कहा गया कि वे अपना बैग चेक करवा लें और उसे वहीं छोड़ दें। मंत्री ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और विरोध किया।इस पर सुरक्षाकर्मियों ने कहा कि कि “यह प्रोटोकॉल है।” ये बात मंत्री स्वेंजा शुल्ज़े को पसंद नहीं आई और वो अपनी कारों की ओर बढ़ने लगी। इस दौरान उनके साथ आए एक अधिकारी ने कहा कि “ठीक है, धन्यवाद।” इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने बैग चेक के अनुरोध को छोड़ना दिया और मंत्री को बैग के साथ बैठक में जाने की अनुमति दे दी। इसके बाद उन्होंने पीएम के साथ बैठक में हिस्सा लिया और बैठक के दौरान उनका बैग भी मौजूद रहा।सोशल मीडिया पर यूजर इसे पाकिस्तान की बेइज्जती करार दे रहे हैं और पाकिस्तान की मेहमान नवाजी पर सवाल उठा रहे हैं। एक यूजर ने वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा कि अगर ये बैठक रद्द हो जाती तो पाकिस्तान का कटोरा खाली रह जाता ।इसके अलावा पाकिस्तान ने फिर $4 बिलियन का कर्ज पश्चिम एशियाई बैंकों से भी माँगा है।
पाकिस्तान के सामने एक बार फिर से भीख मांगने की नौबत आ गई है। इस बार उसने पश्चिम एशियाई बैंकों से $4 बिलियन का कर्ज मांगा है। गुरुवार को वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और उनकी टीम ने दुबई इस्लामिक बैंक के ग्रुप सीईओ डॉ. अदनान चिलवान के साथ एक वर्चुअल बैठक की। पाकिस्तान, जो गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, ने यह कर्ज अपने मौजूदा वित्तीय वर्ष के बाहरी वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के लिए मांगा है। मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान को सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात से $12 बिलियन की अतिरिक्त वित्तीय सहायता और नकद जमा नहीं मिल पाया। इस वजह से IMF ने इस सप्ताह $7 बिलियन के विस्तारित निधि सुविधा (EFF) की मंजूरी को अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया। IMF से मदद न मिलने के कारण पाकिस्तान को पश्चिम एशियाई बैंकों से कर्ज लेना पड़ रहा है।
वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब और उनकी टीम ने गुरुवार को दुबई इस्लामिक बैंक के ग्रुप सीईओ डॉ. अदनान चिलवान के साथ वर्चुअल बैठक की। इससे पहले बुधवार को उन्होंने मशरेक बैंक के अध्यक्ष और ग्रुप सीईओ अहमद अब्देलाल से भी बात की थी। पाकिस्तान इस समय पश्चिम एशियाई बैंकों से कर्ज लेकर अपने बाहरी वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले ही कई देशों से भारी कर्ज ले चुका है। इसमें चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और IMF शामिल हैं। चीन से पाकिस्तान ने लगभग $30 बिलियन का कर्ज लिया है जबकि सऊदी अरब और यूएई से भी अरबों डॉलर का कर्ज लिया गया है। इसके बावजूद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है।
पाकिस्तान में आर्थिक संकट के साथ-साथ महंगाई भी तेजी से बढ़ रही है। आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। खाने-पीने की चीजों से लेकर ईंधन और गैस के दाम भी आम जनता की पहुंच से बाहर हो गए हैं। महंगाई की इस मार ने आम जनता की जिंदगी को और भी कठिन बना दिया है। इस स्थिति में पाकिस्तान की सरकार के पास विदेशों से कर्ज लेने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। दहशत और मजहब की नींव पर खड़ा पाकिस्तान अब कंगाली के DEAD END पर पहुंच चुका है। दुनिया भर में दहशतगर्दों की सप्लाई करने वाले जिन्नालैंड का खाता अब कुछ ही दिनों में फ्रीज होने वाला है। ड्रैगन की भीख और IMF के कर्ज को पहिया बनाकर जो पाकिस्तान अब तक अपने दाना पानी का इंतजाम कर रहा था। अब उस पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेपटरी हो चुकी है।
आर्थिक तंगी से परेशान पाकिस्तान की अब आखिरी उम्मीद भी खत्म हो चुकी है। IMF ने अब पाकिस्तान से ना सिर्फ खर्चे का हिसाब मांगा है बल्कि कटोरा लेकर आर्थिक मदद मांगने आए पाकिस्तान के लिए अपना दरवाजा बंद कर दिया है। पाकिस्तान अब तक IMF से 6.28 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है। 4 महीने पहले ही IMF ने पाकिस्तान को 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। उस वक्त शहबाज शरीफ ने कहा था कि इन पैसों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सुधरेगी लेकिन हर बार की तरह ये मदद भी आतंकियों और दहशतगर्दों पर खर्च कर दी गई। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पश्चिम एशियाई बैंक पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए तैयार होते हैं या नहीं। पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक स्थिति और IMF से बात न बन पाने के बाद, यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर पाकिस्तान को कर्ज मिल भी जाता है तो क्या वह अपने आर्थिक संकट को दूर कर पाएगा? इस सवाल का जवाब आने वाले समय में मिलेगा।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अपने एक्टरनल फाइनेंसिंग गैप को कवर करने के लिए पश्चिम एशियाई बैंकों से कामर्शियल लोन मांगना शुरू कर दिया है। यह कदम आईएमएफ द्वारा इस सप्ताह 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ईएफएफ को मंजूरी देने में इंनडिफिनिटली डिले की घोषणा के बाद उठा है। दरअसल, सऊदी अरब, चीन और यूएई से 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर की नकद जमा राशि पाने के लिए पाकिस्तान दो अरब डॉलर की एडिशनल फज्ञइनेंसिंग या रोलओवर सिक्योर नहीं कर सका था। यदि पश्चिम एशियाई बैंकों से यह लोन मिल जाता है तो पाकिस्तान को अगले महीने आईएमएफ से नए ईएफएफ की मंजूरी मिल सकती है। पाकिस्तान ने विदेशी वाणिज्यिक बैंकों के साथ जुड़ने के अपने प्रयास भले ही बढ़ा दिए हैं लेकिन ऊंची फाइनेंसिंग कॉस्ट और कम क्रेडिट रेटिंग उसके राह की बड़ी चुनौतियां हैं। इस समय पाकिस्तान की क्रेडिट रेटिंग CCC+ है जो कि इंवेस्टमेंट ग्रेड से नीचे की रेटिंग है। इसी वजह उसे लोन देने के लिए फाइनेंसियल बैंक ज्यादा ब्याज की मांग कर रहे हैं।
पाकिस्तान में पाकिस्तान में पेट्रोल डीजल की कीमतें 300 रुपए तक पहुंच गई है। बैंकों के पास पैसे नहीं है जिसकी वजह से लोगों को लोन नहीं मिल पा रहा है। चावल जैसी खाने की चीजों की कीमत 400 रुपए किलो पहुंच गई है। पाकिस्तान में लोगों के पास फ्लाइट तो दूर, ट्रेनों में सफर करने लायक पैसा नहीं है। तंगहाली से जूझ रहा पाकिस्तान अब गधों की मदद से अपनी इकोनॉमी बूस्ट करने में लगा है। पाकिस्तान के आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि देश में गधों की संख्या एक साल में 1.72% से बढ़कर 59 लाख हो गई है। पाकिस्तान हर साल चीन को औसतन 5 लाख गधे निर्यात करता है। पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल कहा था कि गधों की बिक्री से फॉरेन रिजर्व जुटाए जाएंगे।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान अब एक मुल्क नहीं बल्कि आतंकी तैयार करने की फैक्ट्री बन चुका है। यही वजह है कि पाकिस्तान की आर्थिक व्यवस्था दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है। पाकिस्तान की गिनती अब केवल कर्ज लेने वाले देशों में होने लगी है। ऐसे में ये सवाल उठता है पाकिस्तान अपना कर्ज नहीं चुका पाया तो क्या होगा। आपको बता दें अगर ये देश कर्ज नहीं चुका पाता है तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी बदनामी होना तय है। इसके बाद देशों से कर्ज मिलना और मुश्किल हो जायेगा। अगर वो ऐसे ही कर्ज लेता रहा तो उधार के जाल में फंसता चला जाएगा। देश की कई रिपोर्टों में चेताया गया है कि अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत राजनीतिक और संवैधानिक संकट को भी जन्म दे सकती है। मजबूर पाकिस्तान..!