आईएएस डॉ0 समित शर्मा ने एडीए और नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगाई।अजमेर में आनासागर झील के सौंदर्यीकरण के नाम पर हुए कार्यों की पोल खुली।
एस0 पी0 मित्तल
अजमेर। यूं तो आईएएस डॉ. समित शर्मा राजस्थान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के शासन सचिव हैं, लेकिन राज्य सरकार ने डॉ. समित शर्मा को प्रदेश की झीलों के संरक्षण की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी है। इस नाते डॉ. शर्मा ने 29 अगस्त को अजमेर में आनासागर झील के विकास कार्यों का जायजा लिया। स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत भी झील संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च की गई है। झील में नाले का गंदा पानी न गिरे इसके लिए झील के किनारे ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाया गया है। 29 अगस्त को जब डॉ. शर्मा ने झील संरक्षण के नाम पर हुए विकास कार्यों का जायजा लिया तो ऐसे कार्यों की पोल खुल गई। अधिकारियों ने दावा किया कि नालों का पानी पहले ट्रीटमेंट प्लांट में आता है और फिर शुद्ध होकर झील में गिरता है। इस पर डॉ. शर्मा ने प्लांट पर खड़े होकर ही ये जानना चाहा कि गंदे पानी से निकलने वाला कचरा कहां हैं? लेकिन अधिकारी कचरा नहीं दिखा सके, जाहिर है कि पानी को शुद्ध किए जाने वाले दावे झूठे हैं।
डॉ. शर्मा ने अजमेर विकास प्राधिकरण और नगर निगम के अधिकारियों से कहा कि वे साइंस के स्टूडेंट रहे हैं। इसके लिए गंदे पानी से निकलने वाले कचरे से अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना पानी शुद्ध हुआ है। जब प्लांट पर कचरा ही नहीं है तो फिर पानी शुद्ध होने का दावा गलत है। डॉ. शर्मा ने अपनी आंखों से देखा कि अनेक नालों का गंदा पानी आनासागर झील में गिर रहा है। असल में अभी तक भी सीवरेज का कार्य पूरा नहीं हुआ है, इसलिए घरों से निकलने वाला मल मूत्र युक्त पानी नालों से झील में ही गिरता है। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी नालों का पानी झील में गिर रहा है। यदि डॉ. समित शर्मा सीवरेज कार्यों की जांच करें तो घोटाला सामने आ सकता है। निरीक्षण के दौरान डॉ. शर्मा ने नाराजगी जताई कि आनासागर के भराव क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहे हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि यह मान भी लिया जाए की भराव क्षेत्र की जमीन निजी खातेदारों की है, नियमों के मुताबिक निजी खातेदार पानी रहित भूमि पर सिर्फ कृषि कार्य कर सकते हैं, लेकिन मैं देख रहा हंू कि कृषि भूमि पर मॉल, रेस्टोरेंट, दुकानें, मकान बने हुए हैं।
डॉ. शर्मा ने एडीए और निगम के अधिकारियों से पूछा आखिर झील के भराव क्षेत्र में इतने निर्माण कैसे हो गए? वह भी तब जब हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार ने भराव क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित कर रखा है। डॉ. शर्मा ने कहा कि आनासागर झील अजमेर के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाती है, लेकिन अतिक्रमण की वजह से झील के सौंदर्य पर प्रतिकूल असर पड़ा है। अच्छा होता कि अतिक्रमण हटा कर झील के किनारे पाथवे का निर्माण करवाया जाता। अधिकारियों ने अतिक्रमण हटाए बगैर ही झील के अंदर पाथवे का निर्माण करवा दिया। अधिकारियों की कार्यवाही से अतिक्रमणकारियों को फायदा हो रहा है। झील के भराव क्षेत्र की भूमि पर खुले आम व्यावसायिक गतिविधियां हो रही है। जो किसी भी दृष्टि से न्याय पूर्ण नहीं है। डॉ. शर्मा ने एडीए और निगम के अधिकारियों को हिदायत दी है कि वे अपने कामकाज में सुधार करे नहीं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
डॉ. शर्मा ने अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा कि यह तो अच्छा है आज मेरे निरीक्षण के समय कलेक्टर साथ नहीं है। यदि कलेक्टर साथ होते तो दोषी अधिकारियों पर हाथों हाथ कार्यवाही भी हो जाती। डॉ. शर्मा के दौरे के बाद से ही एडीए और निगम में खलबली मची हुई है। डॉ. शर्मा प्रदेशभर में अपने सख्त मिजाज के लिए जाने जाते हैं। जोधपुर और जयपुर का संभागीय आयुक्त रहते हुए डॉ. शर्मा ने जब सरकारी अस्पतालों और स्कूलों का आकस्मिक निरीक्षण किया तो व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। अब जब डॉ. शर्मा को झील संरक्षण के कार्यों पर रिपोर्ट बनाने का अवसर मिला है तो अजमेर में आनासागर झील के कार्यों की पोल खुल गई है। डॉ. शर्मा की मौका रिपोर्ट पर यदि कार्यवाही होती है तो कई अधिकारियों पर गाज गिरेगी।