मनरेगा कार्यों पर अब ‘ड्रोन की दस्तक’-उप मुख्यमंत्री

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मनरेगा कार्यों पर अब ‘ड्रोन की दस्तक’-उप मुख्यमंत्री
मनरेगा कार्यों पर अब ‘ड्रोन की दस्तक’-उप मुख्यमंत्री

अलीगढ़ में मनरेगा कार्यों को देखेगी ड्रोन टीम। अब तक 6 हजार से ज्यादा कार्यस्थलों पर पहुंचा ड्रोन। मनरेगा कार्यों की ड्रोन तकनीक से निरंतर निगरानी जारी।कल से अलीगढ़ जनपद में मनरेगा कार्यों को परखेंगे ड्रोन कैमरे।वर्ष 2024-25 में किये गये कार्यों की हकीकत देखेंगे ड्रोन कैमरे। उत्तर प्रदेश में मनरेगा कार्यों की ड्रोन से निगरानी तेज़, पारदर्शिता और गुणवत्ता पर विशेष जोरड्रोन टीम कल से अलीगढ़ में करेगी निरीक्षण, अब तक 6000 से अधिक कार्यस्थल हुए कवर। मनरेगा कार्यों पर अब ‘ड्रोन की दस्तक’-उप मुख्यमंत्री

लखनऊ/अलीगढ़। उत्तर प्रदेश सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत कराए जा रहे विकास कार्यों की निगरानी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन तकनीक के उपयोग को और भी तेज कर दिया है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देशन में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा यह कदम पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

राज्य मुख्यालय स्तर पर गठित विशेष ड्रोन निगरानी टीम द्वारा अब तक 6000 से अधिक मनरेगा कार्यस्थलों की वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी की जा चुकी है। अब इस श्रृंखला में जनपद अलीगढ़ को भी शामिल किया गया है, जहाँ ड्रोन टीम मंगलवार से 20 चिन्हित ग्राम पंचायतों में किए गए कार्यों का निरीक्षण करेगी।

ग्राम्य विकास आयुक्त जी.एस. प्रियदर्शी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वर्ष 2024-25 में मनरेगा के तहत कराए गए सभी कार्यों की ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जाए। उन्होंने जनपद अलीगढ़ के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को निर्देशित किया है कि ड्रोन टीम को पूर्ण सहयोग देते हुए संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी सुनिश्चित की जाए।

पारदर्शिता की दिशा में तकनीकी पहल

मनरेगा योजनाओं में अनियमितताओं को रोकने और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार तकनीकी उपायों को प्राथमिकता दे रही है। राज्य मनरेगा मुख्यालय पर तैनात स्थायी ड्रोन टीम का गठन भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत किया गया था। इसका उद्देश्य नियमित निरीक्षण, डिजिटल दस्तावेजीकरण और जन-सहभागिता के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करना है। ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, ड्रोन द्वारा की गई वीडियोग्राफी से योजनाओं की भौतिक प्रगति और गुणवत्ता का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव हो पाया है।

उप मुख्यमंत्री का निर्देश: “तकनीक को गाँवों तक पहुँचाना हमारी प्राथमिकता”

उप मुख्यमंत्री श्री मौर्य का कहना है, “हमारी प्राथमिकता है कि गाँवों में योजनाओं का लाभ सीधे ज़मीन तक पहुँचे और जनता को भरोसा हो कि शासन उनके लिए ईमानदारी से काम कर रहा है। ड्रोन तकनीक उसी विश्वास का हिस्सा है।” ड्रोन निगरानी से न केवल कार्यस्थलों का दृश्य सबूत मिल रहा है, बल्कि यह सिस्टम स्थानीय अधिकारियों पर जवाबदेही का दबाव भी बना रहा है।

उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि, “ग्राम्य विकास की योजनाओं में पारदर्शिता, ईमानदारी और तकनीकी निगरानी से ही आम जन को वास्तविक लाभ मिल सकता है। सरकार की मंशा है कि हर ग्रामीण योजना का क्रियान्वयन ज़मीन पर प्रभावी ढंग से हो, और इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे।” प्रदेश के विभिन्न जनपदों में रोस्टर के अनुसार ड्रोन टीमों की तैनाती जारी है और अन्य जनपदों में भी यह प्रक्रिया चरणबद्ध रूप से लागू की जा रही है।

“निष्पक्ष दस्तक” का मानना है कि यदि यह पहल ज़मीनी स्तर पर पूरी पारदर्शिता से लागू होती है तो यह न केवल ग्राम्य विकास की तस्वीर बदलेगी, बल्कि मनरेगा जैसी बड़ी योजनाओं में भ्रांतियों और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। मनरेगा कार्यों पर अब ‘ड्रोन की दस्तक’-उप मुख्यमंत्री