राजस्थान में एक भी दलित मंत्री नहीं

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राजस्थान में एक भी दलित मंत्री नहीं, यह बात कह कर सचिन पायलट ने दर्शा दिया है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने दब कर राजनीति नहीं करेंगे।सीएम गहलोत और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा बताएं कि अंबेडकर की प्रतिमा के लोकार्पण समारोह में क्यों नहीं गए…?

एस0 पी0 मित्तल

अक्टूबर को जयपुर के निकट चाकसू में संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का लोकार्पण हुआ। इस समारोह में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने इस बात पर अफसोस जताया कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार में दलित वर्ग का एक भी मंत्री नहीं है। पायलट ने उम्मीद जताई कि मंत्रिमंडल में जल्द ही दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलेगा। पायलट का यह कोई राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह दर्शाने का प्रयास है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने दब कर राजनीति नहीं करेंगे। असल में पिछले दिनों गहलोत ने कहा था कि अपने हार्ट की रिपेयर करवाने के बाद अब अगले 20 वर्षों तक कुछ नहीं होगा और 2023 के चुनाव के बाद वे ही चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। इसी प्रकार हाल ही में जब गहलोत के सबसे पसंदीदा चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को जब कांग्रेस हाईकमान ने गुजरात का प्रभारी बनाया तो माना गया कि अब प्रदेश की राजनीति में अशोक गहलोत की चलेगी।

गहलोत के नेतृत्व को चुनौती देने वाला कोई नहीं है, लेकिन 20 अक्टूबर को गहलोत के प्रतिद्वंदी माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी दर्शा दिया है कि वे प्रदेश में दब कर राजनीति नहीं करेंगे। सब जानते हैं कि गत पिछले दिनों जब कैप्टर अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब अशोक गहलोत ने भी कहा था कि एक दलित को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस पार्टी ने दलितों का सम्मान किया है। पायलट के बयान के बाद गहलोत को यह बताना चाहिए कि वे राजस्थान में दलितों का कब तक अपमान करेंगे? गहलोत मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री दलित वर्ग का नहीं होना यह दलितों का अपमान ही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान में मंत्रिमंडल का फेरबदल और विस्तार किसी न किसी बाने से टाला जा रहा है। अब जब गहलोत सरकार के दो वर्ष ही रह गए है, तब भी मंत्रिमंडल के विस्तार के बारे में मुख्यमंत्री की ओर से कोई स्पष्ट बात नहीं कही जा रही है, लेकिन अब देखना है कि दलित वर्ग को मंत्री पद से कब तक वंचित रखा जाता है। पायलट ने राजनीतिक नियुक्तियों में भी दलित वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की बात कही है।


क्यों नहीं गए गहलोत और डोटासरा….?

चाकसू में अंबेडकर की प्रतिमा के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को भी आमंत्रित किया गया था। समारोह के मुख्य आयोजक और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने बताया कि गहलोत और डोटासरा को विधिवत तौर पर बुलाया गया था, लेकिन ये दोनों ही नेता नहीं आए हैं। यदि मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष आते तो दलितों का और सम्मान बढ़ता। समारोह में कांग्रेस के आधा दर्जन विधायक मौजूद थे। इनमें गहलोत खेमे के प्रशांत बैरवा और श्रीमती इंदिरा गुर्जर भी मौजूद थीं। पायलट के ताजा बयान से राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। देखना है कि पायलट के इस हमले का अशोक गहलोत किस प्रकार जवाब देते हैं।