निषाद समाज के हाथ लगी निराशा-लौटनराम निषाद

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आरक्षण की आस लेकर आये निषाद समाज के हाथ लगी निराशा । “निषाद पार्टी-भाजपा की संयुक्त रैली में आरक्षण के नाम पर जुटाई गयी”।

लखनऊ। रमाबाई अम्बेडकर पार्क में निषाद पार्टी-भाजपा की संयक्त रैली में निषाद जातियों के आरक्षण की घोषणा के नाम पर भीड़ जुटाई गई थी।प्रचारित किया गया था कि रैली मंच से गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ निषाद जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की घोषणा करेंगे।लेकिन गृहमंत्री व मुख्यमंत्री के मुँह से आरक्षण शब्द तक नहीं निकला।राष्ट्रीय निषाद संघ(एन ए एफ) के राष्ट्रीय सचिव व कांग्रेस नेता चौ.लौटनराम निषाद ने आरक्षण के नाम पर निषाद पार्टी-भाजपा की संयुक्त रैली में बुलाई गयी भीड़ के हाथ निराशा ही हाथ लगी।उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने निषाद समाज को आरक्षण का झूठा सपना दिखाकर लोगों को बुलाया।आरक्षण की आस लेकर आये निषाद समाज को निराशा ही हाथ लगी।अब निषाद-कश्यप-बिन्द समाज भाजपा व निषाद पार्टी के साथ कत्तई नहीं जाएगा।जिस तरह संजय निषाद ने 17 फरवरी,2014 को आरक्षण का लालच दिखाकर मुख्यमंत्री आवास पर भेजकर पिटवाया था,आज उसी तरह का झूठा सब्जबाग दिखाकर रमाबाई पार्क में बुलाया था।


निषाद ने कहा कि 95 फीसदी भीड़ सिर्फ आरक्षण के नाम पर आई थी,पर जनता की आशाओं पर पानी फिर गया।उन्होंने कहा कि सम्भावना थी कि गृहमंत्री अमित शाह मझवार(मल्लाह,केवट,माँझी,बिन्द),तुरैहा(तुराहा, तुरहा, धीवर, धीमर) व गोंड़(गोड़िया, धुरिया, कहार, रैकवार,बाथम) को परिभाषित कर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ दिलाने की मंच से घोषणा करेंगे।पर,यह रैली चुनावी रैली के रूप में खत्म हुई।अभी नहीं तो कभी नहीं कि बात करते हुए निषाद ने कहा कि जब डबल इंजन की सरकार होने पर भाजपा ने वादा पूरा नहीं किया तो अब उसके किसी वादे पर विश्वास नहीं।कांठ की हाँड़ी एक बार चढ़ती है बार बार नहीं।जब बिल्ली का मुँह गर्म दूध से जल जाता है,तो मट्ठा/छाछ भी फूँककर पीती है।आरक्षण की घोषणा न करने से आक्रोशित भीड़ ने “आरक्षण नहीं तो वोट नहीं” का नारा लगाया।


निषाद ने मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि निषादों को बालू मोरम खनन,मत्स्यपालन पट्टा व नौकाफेरी घाट पट्टा का अधिकार दिया था उसे कल्याण सिंह की सरकार ने खत्म कर सार्वजनिक कर दिया।मुख्यमंत्री द्वारा कहना कि भाजपा ने निषादों को मत्स्य पालन आदि का अधिकार दिया,बिल्कुल गलत है।योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनते ही निषादराज व कश्यप ऋषि जयंती के सार्वजनिक अवकाश को खत्म कर दिए।कांग्रेस की सरकार 1985 से मछुआ आवास योजना शुरू किया था,जिसे योगी सरकार ने 2017 में खत्म कर दिया।ई-टेंडरिंग की व्यवस्था कर बालू खनन व मोरंग निकासी के कार्य में निषाद जातियों की प्राथमिकता को खत्म कर दिया।भाजपा श्रीराम-निषादराज की मित्रता के नाम पर सिर्फ वोटबैंक व ढोंग की राजनीति करती है।मत्स्य पालन के लिए पट्टा में निषाद मछुआ जातियों को पूरी प्राथमिकता मिलती थी,जिसे योगी सरकार ने खत्म कर मछुआरों के सभी परम्परागत पुश्तैनी पेशों को छीनकर माफियाओं का कब्जा करा दिया।