आरक्षण घोटाले के मुद्दे पर अभ्यर्थियों ने बैठक कर तैयार की नई रणनीति l आज लखनऊ हाई कोर्ट सिंगल बेंच के दिए गए आदेश को 5 महीने से अधिक का समय बीत गयाl आरक्षण घोटाले पर नई रणनीति
ब्यूरो निष्पक्ष दस्तक
लखनऊ। आज 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले को लेकर बौद्ध विहार स्थित परिसर में आरक्षण पंडित अभ्यर्थियों ने एक बैठक की जिसमें आरक्षण घोटाले के मुद्दे पर अभ्यर्थियों ने अगली रणनीति तैयार की l पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश संरक्षक भास्कर सिंह ने कहा कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ हैl इस बात के हमारे पास पुख्ता सबूत हैंl हाई कोर्ट में भी इस भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले के सबूत पेश कर दिए हैं और हमारे कोर्ट में पेश किए गए सबूत के आधार पर ही कोर्ट ने यह माना है कि इस भर्ती में आरक्षण का घोटाला हुआ हैl इसी आधार पर लखनऊ हाई कोर्ट ने 19000 आरक्षण घोटाले के सापेक्ष सरकार द्वारा 5 जनवरी 2022 को जारी की गई 6800 की लिस्ट को पूरी तरह से रद्द कर दियाl
13 मार्च 2023 को दिए गए आदेश में लखनऊ हाई कोर्ट ने सरकार को 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की पूरी मूल चयन सूची 3 महीने के अंदर बनाने के आदेश दिए थे लेकिन सरकार ने लखनऊ हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया और आज लखनऊ हाई कोर्ट सिंगल बेंच के दिए गए आदेश को 5 महीने से अधिक का समय बीत गया इसके बाबजूद भी सरकार ने अभी तक 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की मूल चयन सूची नहीं बनाई है और सरकार जानबूझकर हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है जो कहीं से कहीं तक ठीक नहीं है और आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को 3 साल से न्याय नहीं दे रही है ।
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कश्यप ने स्पष्ट तौर पर कहा कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले का मामला पूरी तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में है l वह जानते हैं कि इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है क्योंकि आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी कई बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनता दरबार में इस संबंध में लिखित में प्रार्थना पत्र देकर अवगत करा चुके हैंl लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के खिलाफ आज तक ना तो कोई कार्रवाई की और ना उनकी संपत्ति की जांच की और ना ही आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को इस भर्ती में न्याय देने का कार्य किया जबकि योगी आदित्यनाथ आए दिन प्रत्येक भर्ती में पारदर्शिता होने की बात कहते हैं जो पूरी तरह से गलत है ।
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का घोर उल्लंघन हुआ है और इस बात को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 29 अप्रैल 2021 को जारी अपनी रिपोर्ट में भी यह माना है कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण का घोटाला हुआ है लेकिन सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को भी नहीं माना जबकि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नई दिल्ली को संवैधानिक दर्जा इस बीजेपी की सरकार ने ही दिया था ।
प्रत्येक भर्ती की एक मूल चयन सूची बनाई जाती है जिसमें अभ्यार्थियों के गुणांक, कैटागिरी, सब कैटिगरी तथा जन्म तिथि को प्रदर्शित किया जाता है लेकिन सरकार ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में यह सब कुछ छुपा लिया और एक ऐसी सूची जारी कर दी जिसके आधार पर इस भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला कर दिया गया और अब सरकार इस भर्ती की मूल चयन सूची ना तो अभ्यर्थियों को दिखा रही और ना अपनी साइट पर अपलोड कर रही और ना ही हाईकोर्ट में पेश कर रही है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए ।
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले को लेकर लखनऊ डबल बेंच में अब 11 सितंबर को सुनवाई होगी और यह सुनवाई जस्टिस विवेक चौधरी एवं जस्टिस मनीष कुमार करेंगे अब ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि वह 19000 सीटों पर हुए आरक्षण घोटाले से पीड़ित आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ न्याय करें तथा गलत तरीके से जो अभ्यर्थी इस भर्ती प्रक्रिया में चयनित हो गए है उन्हें इस भर्ती प्रक्रिया से बाहर करें यदि सरकार ऐसा नहीं कर सकती तो सरकार को चाहिए कि लखनऊ हाई कोर्ट में जितने भी आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थी न्याय के लिए यांची बनकर केस लड़ रहे हैं उन सभी आरक्षण पीड़ित अभ्यर्थियों को याची लाभ देकर इस मामले का निस्तारण कर देना चाहिए तभी यह मामला पूरी तरह से निस्तारित हो सकता है ।बैठक में भास्कर सिंह,सुशील कश्यप,पुष्पेंद्र सिंह,रवि निषाद,रामविलास यादव,नितिन पाल,यदुवेंद्र सिंह,विजय वेद,उदित बीपी डिसूजा,शैलेंद्र कुमार,धर्मवीर सिंह,राजन जायसवाल आदि मौजूद थे । आरक्षण घोटाले पर नई रणनीति