अंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद

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अंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद
अंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद
शिवानन्द मिश्रा
शिवानन्द मिश्रा

कौन था बसवराजू? कोई छोटा-मोटा नक्सली नहीं, नक्सलियों का हाफिज सईद था बसवराजू। सुरक्षाबलों ने जंगल में घुसकर किया ढेर।शीर्ष माओवादी नेता बसवराजू को सुरक्षाबलों ने किस रणनीति से किया ढेर? अब अंतिम चरण में है नक्सलवाद?150 जवानों का हत्यारा, 1 करोड़ का इनाम, 70 घंटे का ऑपरेशन, आतंक के पर्याय नक्सली बसवराजू का खात्मा?CM को मारने का बनाया था प्लान? विधायक की हत्या का जिम्मेदार। नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड था बसवराजू ? नक्सली पृष्ठभूमि:- बसवराजू का जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव में हुआ था। उसने वारंगल के रिजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की डिग्री प्राप्त की थी।अंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद

नक्सली आंदोलन में प्रवेश: 1970 के दशक में बसवराजू ने नक्सली आंदोलन से जुड़ाव शुरू किया और 1980 के दशक में पूर्णकालिक सदस्य बन गया। वो पिछले 35 वर्षों से माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति का सदस्य था।प्रशिक्षण और रणनीति: बसवराजू ने श्रीलंका के तमिल संगठन लिट्टे (LTTE) से गुरिल्ला युद्ध और विस्फोटकों की ट्रेनिंग ली थी। वह संगठन के लिए बम बनाने और गुरिल्ला युद्ध की रणनीति तैयार करने में माहिर था।अंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद

महासचिव पद: नवंबर 2018 में बसवराजू ने मुप्पला लक्ष्मण राव (गणपति) के स्थान पर सीपीआई (माओवादी) के महासचिव का पद संभाला। यह माओवादियों का शीर्ष नेता था।नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू पर छत्तीसगढ़ सरकार ने एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया था। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी उस पर अलग-अलग इनाम घोषित थे। ये 3 से 5 लेयर की सुरक्षा में रहता था। इसके साथ हर वक्त 50 बंदूकधारी रहते।

सुरक्षाबलों ने किया ढेर-

खुफिया सूचना थी कि बसवराजू कई सदस्यों के साथ नारायणपुर-बीजापुर-दंतेवाड़ा ट्राई-जंक्शन पर डेरा डाले हुए है। इसके बाद चार जिलों नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड, एसटीएफ और अन्य इकाइयों ने संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया। 70 घंटे चले इस अभियान में एक बड़े जंगल क्षेत्र की घेराबंदी की गई और सुरक्षा बल बसवराजू के सुरक्षा घेरे को तोड़ने में सफल रहे। उसके मांद में घुसकर उसे ढेर कर दिया गया। इस ऑपरेशन में कुल 27 नक्सली मारे गए हैं।

बसवराजू के कार्यकाल में हुए दर्दनाक नक्सली हमले:

  • 2003 में अलीपीरी बम विस्फोट में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू की हत्या का नाकाम प्रयास।
  • 2010 में दंतेवाड़ा हमले में 76 सीआरपीएफ जवानों की शहादत।
  • 2013 में झीरम घाटी हमले में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की मौत।
  • 2019 में श्यामगिरी हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी सहित पांच लोगों की मौत।
  • 2020 में सुकमा नक्सली हमले में 17 सुरक्षाकर्मी शहीद।
  • 2021 में बीजापुर में उस साल का सबसे बड़ा नक्सली हमला। जिसमें 22 जवान शहीद।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि भारत सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करना है। उन्होंने यह भी बताया कि नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 रह गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा जबकि हथियार उठाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बसवराजू का अंत केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि उस रणनीतिक सोच और नेतृत्व का अंत है, जिसने दशकों तक “लाल गलियारे” में हिंसा की आग जलाए रखी। उसके निधन के बाद माओवादी संगठन एक नेतृत्व संकट से जूझ रहा है जिससे पूरे क्षेत्र में असमंजस और खलबली की स्थिति उत्पन्न हो गई है।अंअंतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवादतिम सांसे गिन रहा है नक्सलवाद