शहर की चकाचौंध पर भारी पड़ गाँव की यादों को ज़िंदा कर रहा है मुन्ना दुबे द्वारा गाया रैप सॉन्ग बचपन। गाँव की यादों को ज़िंदा कर रहा मुन्ना
मुंबई। आपने यदि अभी तक इस बचपन को नहीं देखा सुना है तो अभी देख डालिए, यकीन मानिए मात्र 3 मिनट से भी कम समय का यह रैप सॉन्ग आपको अपने बचपन की याद दिलाने के लिए काफी है । इस बचपन मे आपको गाँव के मिट्टी की खुशबू दिखाई देगी तो इसके बोल में समाहित शब्दों के ताने बाने के जरिये आप अपने आप को इससे स्वतः ही कनेक्ट कर लेंगे । मुन्ना दुबे का यह प्रयोगधर्मी रैप सॉन्ग बचपन जल्द ही वायरल होने वाला है। इस बार इन्होंने गांव की पृष्ठभूमि में माँ के हाथ के खाने और शहर की कमाई को मद्देनज़र रखते हुए समाज के उस पहलू पर चोट किया है जिसमें लोग शहर जाकर अपने जड़ों को भूलने लगते हैं।
एक तरफ जहाँ अश्लील भोजपुरी गीतों के चक्रव्यूह ने अच्छे संगीतकारों/गीतकारों के मेहनत को ढक दिया था वहीं आज उन्हीं के बीच से मुन्ना दुबे ने एक बेहद शानदार काम करते हुए अपने प्रयोगधर्मी मिजाज को और बल दिया है । मूलतः बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले मुन्ना दुबे ने इस पौने तीन मिनट के रैप सॉन्ग में वो सबकुछ समेट देने की कोशिश किया है जो एक आम भोजपुरिया इंसान बाहर जाने के बाद अपनी मिट्टी के बारे में महसूस करता है। शहर की कमाई के आगे गाँव की यादों को इतने बेहतर शब्द संयोजन से कोई जड़ से जुड़ा व्यक्ति ही सजा सकता है जो कि इन्होंने कर दिखाया है। मुन्ना दुबे की आवाज़ और संगीत का बेहतरीन तालमेल देखकर आपको बड़े बड़े रैप सॉन्ग भी इस बचपन के आगे चीनी कम ही लगने लगेंगे। इस शानदार वीडियो रैप सॉन्ग बचपन में मुन्ना दुबे ने स्वयं ही अभिनय भी किया है और मन मिजाज से इस गाने को जिया है।
मुन्ना दुबे ने इस गीत को लिखा, संगीत व आवाज दिया है। इस वीडियो फिट का निर्देशन किया है संदीप राज ने वहीं इसके डीओपी हैं नवीन वर्मा, इस बचपन के एडिटर हैं गौरव, जिसे मुन्ना दुबे ऑफिशियल के यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है। इसके डिजिटल पार्टनर हैं ग्लोबल म्यूजिक जंक्शन। यह जानकारी मुम्बई से फ़िल्म प्रचारक संजय भूषण पटियाला ने दिया। गाँव की यादों को ज़िंदा कर रहा मुन्ना