मोदी की यूक्रेन यात्रा ने वैश्विक राजनीति में पैदा की हलचल

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मोदी की यूक्रेन यात्रा ने वैश्विक राजनीति में पैदा की हलचल
मोदी की यूक्रेन यात्रा ने वैश्विक राजनीति में पैदा की हलचल

राजेश कुमार पासी

जब पिछले महीने मोदी रूस यात्रा पर गए थे तो अमेरिका और यूरोप सहित कई देशों ने भारत की जमकर आलोचना की थी । तब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा था, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता मोदी का दुनिया के सबसे खूनी अपराधी(पुतिन) को गले लगाना दिल तोड़ने वाला है” । मोदी ने लगभग डेढ़ महीने बाद यूक्रेन की यात्रा की है और उन्हीं जेलेंस्की को गले लगाया और उनके कंधे पर हाथ भी रखा ।  प्रेस वार्ता में पूछे गये सवाल पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा कि गले लगाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है । मोदी ने पुतिन के बाद जेलेंस्की को गले लगाकर बता दिया है कि हम जब किसी से मिलते हैं तो उसे गले लगाते हैं। मोदी की यूक्रेन यात्रा ने वैश्विक राजनीति में पैदा की हलचल

वास्तव में रूस यात्रा के कारण वैश्विक राजनीति में पुतिन को गले लगाने से हो रही भारत की आलोचना का मोदी ने जवाब दिया है । शायद वैश्विक राजनीति में मोदी अकेले नेता हैं जिन्होंने पुतिन को भी गले लगाया है और उसी तरह जेलेंस्की को भी गले लगाया है । उम्र में छोटा होने के कारण उनके कंधे पर हाथ रखा है, देखा जाए तो भारत ने यूक्रेन के कंधे पर हाथ रखा है और उसकी हिम्मत बढ़ाई है कि वो भी उसके साथ खड़ा है । मोदी की यात्रा ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि भारत रूस का मित्र जरूर है लेकिन वो रूस के पक्ष में नहीं खड़ा हुआ है जैसे चीन और उत्तरी कोरिया जैसे देश खड़े हैं । मोदी जी ने यूक्रेन की धरती से दिए अपने बयान में कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में हम निष्पक्ष नहीं है बल्कि हम शांति के पक्ष में खड़े हुए हैं और शांति स्थापना के लिए जो कुछ भी संभव होगा, उसके लिए भारत पूरे प्रयास करेगा । भारत अपनी तरफ से जो मदद है, वो भी यूक्रेन की कर रहा है । वैश्विक मीडिया के लिए ये बड़े अचंभे की बात है कि मोदी की यूक्रेन यात्रा के दौरान लगभग 36 घंटों तक रूस ने एक गोली भी नहीं चलाई और मोदी की यात्रा के दौरान यूक्रेन में हमले की सूचना देने वाले सायरन बिल्कुल शांत रहे । ये भारत की ताकत का नमूना है कि दो देशों के युद्ध के दौरान उसका पीएम एक देश की यात्रा करता है तो दोनों देशों की सेना युद्ध रोक देती है जिसमें से एक देश दूसरी विश्व शक्ति है । 

     मोदी जी ने जेलेंस्की को बताया कि उन्होंने पुतिन की आंखों में आंखें डाल कर यह बात कही है कि ये समय युद्ध का नहीं है । अंतरराष्ट्रीय मीडिया में मोदी की यूक्रेन यात्रा की बहुत चर्चा हो रही है । वैसे दुनिया मोदी की यूक्रेन यात्रा को रूस के बाद संतुलन साधने की राजनीति के रूप में देख रही है । न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की विदेश की नीति की तारीफ की है और कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी युद्धग्रस्त रूस और यूक्रेन के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक साधकर चल रहे हैं । अमेरिकी मीडिया चैनल सीएनएन ने लिखा है कि रूस दौरे के बाद भारत युद्ध विराम की लगातार अपील करता  रहा है लेकिन भारत ने खुद को रूस की आलोचना से दूर रखा है । भारत रूस की अर्थव्यवस्था को मदद के रूप में बड़ी मात्रा में रूस से तेल आयात कर रहा है । उसने मोदी के बयान का भी जिक्र किया है कि समस्या का हल युद्ध के मैदान में नहीं हो सकता ।

  द गार्जियन ने भी मोदी जी के यूक्रेन दौरे पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की है । उसने जेलेंस्की द्वारा मोदी जी के यूक्रेन दौरे को ऐतिहासिक बताने का जिक्र किया है और कहा है कि यह भारत के प्रधानमंत्री का यूक्रेन में पहला दौरा है। द गार्जियन ने कहा है कि भारत ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है । बीबीसी ने भी मोदी जी की यूक्रेन यात्रा पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है। युद्ध के बीच मोदी की रूस यात्रा की वैश्विक मीडिया ने जमकर आलोचना की थी और अब वही मीडिया उनकी यात्रा को संतुलन साधने की कोशिश बता रहा है । पहले यही मीडिया कह रहा था कि भारत रूस की तरफ झुक रहा है । कुछ हद तक यह कहना सही भी है भारत रूस की यात्रा से पैदा हुए आक्रोश को शांत करने की कोशिश कर रहा है और वैश्विक मीडिया इसी बात को उठा रहा है। भारत के विकास में अमेरिका और पश्चिमी देशों की अहम भूमिका है, इसलिए भारत उनकी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता । यूक्रेन युद्ध के बाद भारत का रूस के साथ व्यापार बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण अमेरिका और पश्चिमी देश उस पर रूस के नजदीक जाने का आरोप लगा रहे हैं । दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के कारण भारत पर यह दबाव है कि वो लोकतांत्रिक देशों का साथ दे। 

      विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस से तेल खरीदने पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई बार जवाब दे चुके हैं । वो कह चुके हैं कि अगर हम रूस से तेल खरीदना बंद कर देते हैं तो विश्व बाजार में तेल के दाम बहुत बढ़ जायेंगे और कई अन्य वस्तुओं के दाम पर इसका बुरा असर पड़ेगा । इससे हमारी अर्थव्यवस्था पर संकट आ सकता है, इसलिए भारत की कुछ सीमाएं हैं । इसके अलावा उन्होंने रूस से तेल खरीदने में यूरोप  और दुनिया के दूसरे गरीब देशों को होने वाले फायदों को भी गिनाया है। दूसरी बात यह है कि भारत खुद को ग्लोबल साऊथ देशों के नेता के रूप में पेश कर रहा है और उसने कहा है कि उसके द्वारा रूस से तेल खरीदने से इन देशों की अर्थव्यवस्था बची हुई है । भारत रूस और यूक्रेन को लेकर बंटी हुई दुनिया में किसी एक पक्ष की तरफ झुकना नहीं चाहता । इसके विपरीत भारत दोनों पक्षों में मेलमिलाप करवाने की कोशिश कर रहा है।

एक तरफ दुनिया के कई देश भारत की आलोचना कर रहे  हैं तो दूसरी तरफ उससे शांति स्थापित करने में मदद की अपेक्षा भी कर रहे  हैं । अमेरिका और उसके कई साथी युद्ध रुकवाने में रुचि नहीं रखते हैं लेकिन इस युद्ध के कारण समस्याओं  का सामना कर रहे कई देश भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं ।  दुनिया में यह धारणा पैदा हो रही है कि प्रधानमंत्री मोदी युद्ध रोकने में बड़ी मदद कर सकते हैं । वास्तव में यह भी सच है कि भारत के हित में है कि यह युद्ध जल्दी से जल्दी खत्म हो जाये और दूसरी तरफ एशिया और अफ्रीका देश भी चाहते हैं कि यह युद्ध जल्दी से जल्दी खत्म हो जाये। 

     मोदी की रूस यात्रा के बाद यूक्रेन यात्रा से भारत की वैश्विक मीडिया में हो रही आलोचना कम हो सकती है । रूस हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है जबकि यूक्रेन की भारतीय विदेश नीति में कोई अहमियत नहीं रही है लेकिन अमेरिका और पश्चिमी  देशों के कारण यूक्रेन भी भारत के लिए महत्वपूर्ण हो गया है । वैश्विक मीडिया में मोदी की यूक्रेन यात्रा में हलचल ही वजह भी यही है कि मोदी ने यूक्रेन यात्रा से इन देशों को संदेश दे दिया है कि हम रूस के पक्ष में झुके हुए नहीं हैं । मोदी जी ने अपनी यात्रा से साबित कर दिया है कि हम पूरी तरह से निष्पक्ष हैं लेकिन हम अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव में झुकने वाले भी नहीं हैं । दबाव में न आने की बात अलग है लेकिन भारत ने इस यात्रा से यह बताने की कोशिश की है कि उसे इन देशों की भी परवाह है । भारत ने यह बताने की कोशिश की है कि वो रूस से तेल खरीद कर उसकी मदद नहीं कर  रहा है बल्कि रूस से तेल खरीदना उसकी मजबूरी है और इसमें फायदा भी भारत का ही है लेकिन जैसी उम्मीद दुनिया के देश लगा रहे हैं कि भारत युद्ध रोकने में मदद कर सकता है, वो कुछ हद तक ही सही है क्योंकि भारत सिर्फ दोनों देशों के बीच पुल का काम कर सकता है लेकिन युद्ध तभी रुकेगा जब दोनों देश इसे रोकना चाहेंगे । भारत उतनी ही कोशिश करेगा जितनी कोशिश से रूस नाराज न हो । यूक्रेन यात्रा से भारत और रूस के संबंधों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि रूस भी भारत की मजबूरियों को अच्छी तरह समझता है । यही कारण है कि मोदी जी के सम्मान में उसने उनकी यात्रा के दौरान एक भी गोली नहीं चलाई । यह बात पूरी दुनिया के मीडिया के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है । मोदी की यूक्रेन यात्रा ने मोदी और भारत के कद को बढ़ाया है और दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत को नई पहचान दी है। मोदी की यूक्रेन यात्रा ने वैश्विक राजनीति में पैदा की हलचल