मोदी का बयान झूठा कि 2014 तक देश में सिर्फ 74 एयरपोर्ट। कांग्रेस ने देश की तरक्की के लिए जो संस्थान,उपक्रम स्थापित किया, मोदी उसे ही बेच रहे।
लौटनराम निषाद
लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झूठ बोलने की मशीन हैं।दूसरे के काम को अपना बताना इनकी आदत में शुमार है।ये समय समय गलतबयानी कर प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिराने से बाज नहीं आते।भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इंटरनेशनल लायर बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने देश की तरक्की व विकास के लिए कांग्रेस की सरकारों ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए तमाम संस्थान,सरकारी उपक्रम,बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं, विद्युत उत्पादन केन्द्र, सिंचाई संसाधनों, कल-कारखाने आदि स्थापित किया। रेल इंजन व कोच फैक्टरियों,पोर्ट ट्रस्ट,एयरपोर्ट आदि संचालित किया।प्रधानमंत्री ने झूठ बोलते हुए कहा कि 12014 तक देश मे मात्र 74 एयरपोर्ट थे,ज्बकी सच्चाई है कि 2014 तक देश में 94 एयरपोर्ट चालू थे। 2018 में भी इन्होंने दावा किया कि हमने 4 साल में 35 नये एयरपोर्ट बनाए। इंडिया टुडे ने फैक्ट चेक किया और पाया कि पीएम मोदी झूठ बोल रहा है । 4 साल में सिर्फ 7 एयरपोर्ट बने थे।
निषाद ने कहा कि भारत ने जब एयरपोर्ट, बंदरगाह, बांध और बिजली परियोजनाएं बनाने का सपना देखना शुरू किया तब ये मोदी पैदा हुए थे। जब इन सपनों को साकार किया जा रहा था, तब इन्हीं के मुताबिक ये मोदी भीख मांग रहे थे। जब ये 35 साल तक भीख मांगने का एडवेंचर कर रहे थे, तब यह गरीब देश सुई से लेकर सुपरसोनिक तक बनाने की नींव रख रहा था। इससे कौन इनकार करेगा कि इनको पीएम बनकर झूठ बोलने और सुबह शाम पंडित नेहरू को कोसने लायक भी इसी देश ने बनाया है। आज किसी नेता द्वारा नेहरू से खुद की तुलना करके अपना बखान करना कायरता से भरा मूर्खतापूर्ण विचार है। नेहरू को अंग्रेजों द्वारा लुटा हुआ भारत मिला था। जब नेहरू प्रधानमंत्री बने तो देश में खाने को अनाज नहीं था। जनता के तन पर कपड़ा नहीं था। पूरा भारत निरक्षर था। संसाधन लूटकर देश कंगाल कर दिया गया था।निषाद ने बताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद जवाहरलाल नेहरू ने किसी को नहीं कोसा। महात्मा गांधी के हत्यारों को भी नहीं। उन्हें बख्श दिया। सरदार पटेल से कहा कि हम नये आजाद मुल्क हैं। जनता में अगर यह संदेश चला गया कि हम तानाशाह या दमनकारी हैं तो अच्छा नहीं होगा। हमें मिलकर अपना भविष्य संवारना है। वे देश के भविष्य की नींव रखने में तल्लीनता व ईमानदारी से जुट गए।
21वीं सदी का भारत नया भारत है। आज जब भारत वैश्विक पटल पर अपनी नई छवि गढ़ रहा है, तब दुनिया का नज़रिया भी तेजी से बदल रहा है। आज दुनिया भारत को जानना-समझना चाहती है। आज आप डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर जाइए, कितनी बड़ी संख्या में विदेशी, भारत की कहानी दुनिया को बता रहे हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, अब बहुत जरूरी है कि देश में Ease of Travel उसको सुनिश्चित कर दिया जाए। इसी सोच के साथ बीते 8 वर्षों में भारत ने टूरिज्म बढ़ाने के लिए, अपने टूरिज्म प्रोफाइल का विस्तार करने के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। आप देखेंगे कि हमने वीज़ा की प्रक्रिया को आसान किया, वीज़ा ऑन-अराइवल की सुविधाओं को बढ़ाया। हमने आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी पर फोकस किया। एयर कनेक्टिविटी के साथ ही, डिजिटल कनेक्टिविटी, मोबाइल कनेक्टिविटी, रेलवे कनेक्टिविटी, हम सभी पर ध्यान दे रहे हैं। आज रेलवे से अधिकतर टूरिस्ट डेस्टिनेशन जुड़ रहे हैं। तेजस और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी आधुनिक ट्रेनें रेलवे का हिस्सा बन रही हैं। विस्टाडोम कोच वो ट्रेनें पर्यटकों के अनुभव का विस्तार कर रही हैं। इन सभी प्रयासों का असर भी हम निरंतर अनुभव कर रहे हैं। साल 2015 में देश में डोमेस्टिक टूरिस्ट्स की संख्या 14 करोड़ थी। पिछले साल ये बढ़कर करीब-करीब 70 करोड़ तक पहुंच गई थी।
आज़ादी से लेकर 2014 तक देश में छोटे-बड़े एयरपोर्ट सिर्फ 70 थे सेवेंटी। ज्यादातर सिर्फ बड़े शहरों में ही हवाई यात्रा की व्यवस्था थी। लेकिन हमने हवाई यात्रा को देश के छोटे-छोटे शहरों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए हमने दो स्तर पर काम किया। पहला, हमने देशभर में एयरपोर्ट के नेटवर्क का विस्तार किया। दूसरा, उड़ान योजना के जरिए, सामान्य मानवी को भी हवाई जहाज में उड़ने का अवसर मिला। इन प्रयासों का अभूतपूर्व परिणाम आया है। बीते 8 वर्षों में देश में, अभी सिंधिया जी ने काफी विस्तार से बताया बीते 8 वर्षों में देश में करीब 72 नए एयरपोर्ट्स तैयार किए गए हैं। अब सोचिए, आजादी के बाद 70 साल में 70 के आसपास एयरपोर्ट और इन दिनों 7-8 साल में नए और 70 एयरपोर्ट। यानि अब भारत में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो चुकी है। वर्ष 2000 में सालभर में देश में 6 करोड़ लोग हवाई यात्रा का लाभ लेते थे। 2020 में कोरोना काल से पहले ये संख्या 14 करोड़ से अधिक हो गई थी। इसमें भी एक करोड़ से अधिक साथियों ने उड़ान योजना का लाभ उठाकर हवाई यात्रा की थी।
संविधान बाद में 1950 में लागू हुआ और संस्थाएं पहले बननी शुरू हो गईं। आईटीआई की स्थापना 1948 में ही हो गई थी। इसके बाद योजना आयोग, आईआईटी, एम्स, भिलाई स्टील प्लांट,सेल, बीएआरसी,ओएनजीसी, एनटीपीसी, डीआरडीओ,आईआईएम, एनआईडी, इसरो,भेल,एचएएल,कॉटन मिल्स,क्लॉथ मिल्स,चीनी मिल्स,फर्टिलाइजर कम्पनी आदि न अनेक अकादमियां साहित्य, कला, संस्कृति के लिए बनीं। तमाम संस्थान विज्ञान और तकनीक के लिए बने। आज मोदी जैसे झूठे नेताओं को अपने मुंह से नेहरू का नाम लेने से पहले जमीन में धंस जाना चाहिए।मोदी जब प्रधानमंत्री बने तब भारत विश्व की चुनिंदा अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका था। नेहरू के वक्त जिस लोकतंत्र के ढह जाने की भविष्यवाणियां की जा रही थीं, वही लोकतंत्र 70 साल का सुनहरा सफर तय कर चुका था। आज की मोदी सरकार की तुलना नेहरू से करने का मतलब साफ है कि आप 70 साल पीछे खड़े हैं। यही आपकी विफलता है कि आपने इस देश को सात दशक पीछे धकेल दिया।उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने देश की तरक्की के लिए जो संस्थान,उपक्रम,कल-कारखाने स्थापित किये आज मोदी उन्हीं को अपने चंद पूंजीपति मित्रों के हाथों बेंच रहे हैं,पूंजीपतियों के कर्ज बट्टा खाते में डालकर अरबों की भारतीय सम्पत्ति व अर्थव्यवस्था चौपट कर रहे हैं।विजय माल्या के अतिरिक्त इनके गृह राज्य के 298 पूंजीपति लाखों करोड़ रुपये भारतीय बैंकों का लूटकर विदेश भाग गए।मोदी ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो रिजर्व बैंक के आपातकालीन कोष का भी 67 हजार करोड़ रुपया निकाल कर अपने मित्रों को बांट दिए।कोरोना काल में सहयोग राशि प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में न मंगाकर पीएम केअर फंड में जमा कराए,पर इसका लेखा जोखा का खुलासा नहीं किये।
(लेखक सामाजिक न्यायचिन्तक व भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।)