
आपको बता दें, 2021 में ही जनगणना होनी थी, जो आज तक नहीं हो पाई। इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा। 33 प्रतिशत महिला प्रतिनिधित्व विधेयक, जिसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है, को संसद से मंजूरी की प्रतीक्षा में सबसे लंबे समय तक लंबित विधेयक होने का गौरव प्राप्त है। इसे पहली बार 12 सितंबर 1996 को देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था। आधी आबादी के साथ मोदी का विश्वासघात-बी.एम.यादव
कांग्रेस पार्टी समानता की पक्षधर रही है। आधी आबादी को उनका पूरा हक दिलाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। देश जानता है कि आधी आबादी को वास्तविक गौरव और न्याय दिलाने की ये लड़ाई कांग्रेस लंबे समय से और मजबूती से लड़ रही है। मोदी सरकार इस मुद्दे पर देश को झांसा देने की कितनी भी कोशिश कर ले, देश इस सरकार की असलियत को जान चुका है। कांग्रेस बीते 9 सालों से लगातार महिला आरक्षण के पक्ष में सरकार पर दबाव बना रही है। मगर सरकार केवल देश को गुमराह करने का काम करती रही और अब महिलाओं को आरक्षण देने के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है। महिला आरक्षण के नाम पर मोदी सरकार ने जो विश्वासघात किया है, उसका जवाब इस देश की आधी आबादी देगी।
सरकार कह रही है कि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा, जबकि जनगणना कब होगी इसकी अभी कोई जानकारी नहीं है। आपको बता दें, 2021 में ही जनगणना होनी थी, जो आज तक नहीं हो पाई। इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा। मतलब वोट लेने के लिए किसी भी स्तर पर गिरने को तैयार मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है, उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया है और वैसे भी महिला अधिकारों को खत्म करने वाले लोगों से महिला आरक्षण की उम्मीद करना ही बेमानी है।
इस देश को पता है कि महिलाओं को आरक्षण दिलाने के लिए कांग्रेस ने ही प्रभावी कदम उठाए हैं । महिलाओं को उनका हक दिलाने की दिशा में सबसे पहली कोशिश राजीव गांधी जी ने की थी। उन्होंने 1989 में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित भी हो गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो सका। इसके बाद अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री PV नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गया। इस तरह महिला आरक्षण की दिशा में देश को बड़ी कामयाबी मिली। यह उसी का नतीज़ा है कि आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। ये संख्या करीब 40% है।
महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ‘संविधान संशोधन विधेयक’ लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में नहीं आ सका। मगर इन प्रयासों का ही नतीजा है कि इस तानाशाह सरकार का ध्यान महिला आरक्षण की तरफ गया। मोदी सरकार के इस चुनावी जुमले से इतर भारत की महिलाओं को उनका वास्तविक हक मिले, जिससे वे सशक्त होकर देश की प्रगति और विकास में साझेदार बन सकें। कांग्रेस की यही सोच और संकल्प है।

आधी आबादी को पूरा हक
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महिलाओं की सार्थक भागीदारी और साझी जिम्मेदारी का महत्व समझती है। इसलिए कांग्रेस के लिए महिला सशक्तिकरण महज कोई चुनावी शब्द नहीं, एक दृढ़ निश्चय रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने 1989 में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में पास न हो सका। 1993 में प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव जी ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। नतीजा, आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं।
आधी आबादी की इस बेहतरीन भागीदारी ने महिला सशक्तिकरण से जुड़े हमारे आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया। इसलिए… महिलाओं के लिए संसद और विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लेकर आए। यह विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में न जा सका। राज्यसभा में पारित हुए विधेयक समाप्त नहीं होते, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी एक्टिव है। पिछले 9 साल से महिला आरक्षण का यह विधेयक लोकसभा में पास होने की राह देख रहा है, लेकिन महिला विरोधी मानसिकता से ग्रसित मोदी सरकार इसे अनदेखा कर रही है।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और CPP चेयरपर्सन सोनिया गांधी जी कई बार महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुकी हैं। साथ ही पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस विषय पर प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं। हाल ही में हुई CWC की बैठक में भी महिला आरक्षण को लागू करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। इसलिए देश की करोड़ों महिलाओं की तरफ से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि राज्यसभा से पारित हो चुके महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा से भी पारित किया जाए। देश की आधी आबादी को उसका पूरा हक दिया जाए। आधी आबादी के साथ मोदी का विश्वासघात-बी.एम.यादव