
लखनऊ के राष्ट्र प्रेरणा स्थल के पास घैला गांव में भेड़ों की अचानक हुई मौत ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 87 भेड़ों की मौत हुई है, जबकि भेड़ पालकों और प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि मरने वाली भेड़ों की संख्या 170 से 200 के बीच है। भेड़ पालक विजय पाल का कहना है कि 400 भेड़ें थीं, जिनमें से 200 की मौत हो गई है। पालक फतेहपुर निवासी है और इस मौसम में लखनऊ के आसपास ही डेरा बनाकर भेड़ों के साथ रहता है। राष्ट्र प्रेरणा स्थल के पास बड़ा हादसा कटघरे में प्रशासन
सवाल उठता है— आख़िर सच क्या है? 87 या 200? रविवार देर रात अचानक भेड़ों का पेट फूलने लगा और एक-एक कर भेड़ें मरती चली गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण विषैले पदार्थ का सेवन माना जा रहा है, हालांकि सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि ये मौतें बासी भोजन से हुईं या किसी अन्य विषैले पदार्थ से— इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। भेड़ों का विसरा फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं और भेड़ पालकों के प्रति सहानुभूति जताते हुए प्रति भेड़ 10-10 हजार रुपये मुआवजे की घोषणा की है।
अब जानते हैं ग्राउंड रिपोर्ट— भेड़ पालक विजय पाल, जो फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं, रविवार सुबह अपनी करीब 400 भेड़ों को लेकर लखनऊ आए थे। बड़ा मैदान देखकर उन्होंने वहीं डेरा डाला। विजय पाल के मुताबिक— 👉 मैदान में बहुत सारा खाना पड़ा हुआ था 👉 भेड़ें चरते-चरते वही खाना खाने लगीं 👉 शाम को घैला गांव के पास खाली जमीन पर डेरा लगाया गया 👉 रात होते-होते भेड़ों का पेट फूलने लगा 👉 और देखते ही देखते मौतों का सिलसिला शुरू हो गया
सोमवार सुबह पशुपालन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक अधिकांश भेड़ें दम तोड़ चुकी थीं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि उनकी जानकारी में 71 भेड़ों की मौत हुई है, हालांकि सूत्रों के मुताबिक आंकड़ा 87 है। वहीं भेड़ पालक विजय पाल का दावा है कि करीब 200 भेड़ों की मौत हो चुकी है।
🔴 बड़ा सवाल ये भी है— पार्किंग स्थल एक और दो के पास जो खाद्य पदार्थ पड़े थे, उन्हें खाने के बाद ही भेड़ों की मौत क्यों हुई? स्थानीय लोगों एवं भेड़ पलकों का कहना है कि 25 दिसंबर को हुई रैली के बाद बचा हुआ खाना यहां फेंका गया था। लेकिन सरकारी प्रवक्ता इससे इनकार करते हुए कहते हैं कि—
👉 रैली के दिन खाना बांटा ही नहीं गया था 👉 विषैले भोजन की बात सही नहीं है
अब सवाल साफ है— 👉 खाना आया कहां से? 👉 अगर बासी या जहरीला था तो जिम्मेदार कौन? 👉 मरने वाली भेड़ों की असली संख्या क्या है? 👉 और क्या सिर्फ मुआवजा ही काफी है? भेड़ों की मौत का असली कारण अब फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद ही सामने आएगा। राष्ट्र प्रेरणा स्थल के पास बड़ा हादसा कटघरे में प्रशासन























