
…अब लखनऊ की मिठाई बन गई जहर, जांच में हुआ खुलासा।मिठास में मिला जहर: लखनऊ के नमी मिठाईवालो का गंदा सच उजागर।एफएसडीए की छापेमारी से मची खलबली,मिठाई की दुकानों में छिपा ‘स्वाद का अपराध’।मोती महल से छप्पन भोग तक,जहां मिठास बिकती है, वहां सफाई लापता है। मिठाई नहीं, मिलावट की माला,लखनऊ के ब्रांड्स की चमक उतरी धूल में।

लखनऊ। लखनऊ की मिठाइयों में अब मिठास नहीं,मिलावट’ का मेला लगा है! जहां कभी काजू कतली का स्वाद ज़ुबान पर घुलता था, अब वहीं काजू खतरा से सेहत फिसल रही है। एफएसडीए की छापेमारी ने मिठाई कारोबारियों की पोल खोल दी,रसगुल्ले से बदबू, जलेबी में जहर और बर्फी में बैक्टीरिया। मोती महल से लेकर छप्पन भोग तक, हर दुकान पर सफाई ऐसे गायब जैसे त्योहारों में ईमानदारी! ग्राहक बोले,पैसे देकर मिठाई खरीदी, बीमारी फ्री में मिली। अब सवाल ये है, क्या हम मिठाई खा रहे हैं, या अस्पताल की एडमिश स्लिप।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की टीम ने बुधवार को शहरभर में मिठाई की दुकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर जब मिठास की हकीकत जांची, तो परत दर परत सच भी मीठा नहीं निकला बल्कि सड़ा, बदबूदार और बीमार करने वाला निकला।
मोती महल से लेकर छप्पन भोग तक, राधेलाल से सीताराम और महालक्ष्मी स्वीट्स तक जहां लोग शुद्धता का भरोसा खरीदने जाते हैं, वहां गंदगी और लापरवाही का कारोबार फलफूल रहा था। काजू कतली, बर्फी, लड्डू और रसगुल्ले में मिठास नहीं, बल्कि मक्खियों और फफूंदी का खास तड़का मिला।
एफएसडीए की टीम ने जब दुकानों के अंदर झांका तो मिठाई के पीछे छिपा स्वाद का अपराध खुलकर सामने आ गया। किसी की कड़ाही के पास गंदा नाला बह रहा था, तो किसी की ट्रे पर बैठी मक्खियां मानो डिलीवरी ब्वॉय की भूमिका निभा रही थीं। लोगों का कहना है कि मिठाई में मिठास कम, मक्खियां ज़्यादा, अब तो काजू कतली नहीं, काजू खतरा’ खरीदना पड़ रहा है। दुकानदारों ने सफाई के सवाल पर वही पुराना डायलॉग दोहराया साहब, भीड़ बहुत थी, सफाई का टाइम नहीं मिला।
एफएसडीए ने आधे दर्जन से अधिक दुकानदारों को नोटिस जारी किया है और कई प्रतिष्ठित ब्रांड्स को बंद करने की संस्तुति भी दी है। बताया गया कि क्लासिक स्वीट्स, राधेलाल, महालक्ष्मी, सीताराम स्वीट्स और छप्पन भोग जैसी दुकानों में न केवल गंदगी मिली, बल्कि मिठाई के सैंपल भी जांच के लिए सील किए गए हैं।
अब सवाल उठता है, जब महालक्ष्मी’l में लक्ष्मी का वास नहीं, क्लासिक’ में सफाई नहीं, छप्पन भोग’ में भोग का रोग है, तो भरोसे का स्वाद आखिर मिलेगा कहां?
ग्राहक अब कहने लगे हैं , मिठाई खरीदने से पहले दो बार सोचें, क्योंकि सफाई मुफ्त में नहीं मिलती। लखनऊ की गलियों में अब चर्चा यही है कि यहां मिठाई नहीं, बल्कि मिलावट की माला बेची जा रही है। एफएसडीए की इस कार्रवाई ने मिठास के साम्राज्य में खलबली मचा दी है, और अगर हालात ऐसे ही रहे, तो शायद अगली बार किसी दुकान पर लिखा होगा यहां स्वाद तो मिलेगा, पर सफाई अपनी जिम्मेदारी पर।

























