जेल प्रशासन के दोषियों को बचाने में जुटा शासन…!

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बिजनौर जेल प्रशासन के दोषियों को बचाने में जुटा शासन…!बंदी की मौत, गलत रिहाई, मोबाइल मिलने जैसी हुई कई घटनाएं कैदियों के जेल तबादले में भी किया जमकर पक्षपात।

राकेश यादव

लखनऊ। कारागार विभाग में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। बंदी की मौत, गलत रिहाई, जेल के अंदर बंदी के पास से मोबाइल बरामदगी, आदर्श चुनाव आचार संहिता के दौरान बिजनौर जेल अधीक्षक ने जेल डॉक्टर का तबादला कराने जैसी घटने के बाद भी शासन ने जेल प्रशासन के किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा को विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि कार्यवाही नही होने से बेलगाम अफसरों ने कैदियों के जेल तबादले में भी जमकर पक्षपात किया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीती दो जून को बिजनौर जेल में बंद बंदी नसीम पुत्र इमामुद्दीन का बी वारंट आया था। इसी दौरान बंदी का रिहाई फरमान जेल पहुंच गया। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने बी वारंट को चढ़ाए बिना ही चार जून को इस बंदी को रिहा कर दिया गया। बंदी का बी वारंट होने की जानकारी होते ही जेल में हड़कंप मच गया। गलत रिहाई होने की जानकारी होते ही जेल अधीक्षक आदिति श्रीवास्तव ने प्रभारी डिप्टी जेलर अरविंद से स्पष्टीकरण मांगा।

इस पर डिप्टी जेलर ने घटना से पल्ला झाड़ते हुए जवाब दिया कि बी वारंट चढ़ाने की जिम्मेदारी अन्य डिप्टी जेलर लक्ष्मी दीप्ति की है। इससे जेल में हड़कंप भी मचा। इससे पूर्व बीती 17 जून को जेल प्रशासन को एक विचाराधीन बंदी के पास से मोबाइल फोन बरामद हुआ। जेल की बैरेक नंबर दो में बंद विचाराधीन बंदी ओमपाल के पास जेल सुरक्षाकर्मियों को मोबाइल फोन मिला। बंदी के पास मोबाइल फोन मिलने की घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सूत्रों का कहना है कि बिजनौर जेल में बड़े पैमाने पर गैर कानूनी कार्य संचालित हो रहे है। बंदियों को बगैर अनुमति के जेल के बाहर ले जाना, बंदियों को पीटकर वसूली करना जैसी घटनाओं में किसी प्रकार फसने से खुद को बचाने के लिए जेल डॉक्टर पर दबाव बनाया जाता है। जो डॉक्टर अधीक्षक और जेलर की मंशानुरूप काम नहीं करते हैं। उन्हें शिकायत कर हटवा दिया जाता है। बीती 10 अप्रैल को जेल अधीक्षक ने जेल डॉक्टर महेंद्र सिंह की डीएम से शिकायत कर उन्हें हटाए जाने को कहा। शिकायत के बाद आनन फानन में डीएम के निर्देश पर डॉक्टर महेंद्र सिंह को जेल से सीएचसी नजीबाबाद स्थानांतरण कर दिया।

जेल अधीक्षक ने स्थानांतरण के दो दिन बाद ही 12 अप्रैल को जेल डॉक्टर से आवास खाली कराने का नोटिस जारी कर दिया। स्थानांतरण आदेश मिलने से पूर्व डॉक्टर अवकाश पर जा चुके थे तो आवास खाली करने का नोटिस उनके आवास पर चस्पा करा दिया गया। चुनाव आचार संहिता के दौरान हुए तबादले को हुए कई माह बीत चुके हैं। देश में चुनाव की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। चुनाव आचार संहिता भी हट गई। इसके बाद भी आचार संहिता के दौरान तबादला करवाने वाली जेल अधीक्षक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। कार्यवाही नही होने से बेलगाम हुआ जेल प्रशासन अब बंदियों के साथ जेलकर्मियों का शोषण करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहा है। बताया गया है की कैदियों के जेल स्थानांतरण में भी जमकर पक्षपात किया गया है। उधर इस संबंध में जब जेल अधीक्षक आदिति श्रीवास्तव का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नहीं उठा।

कार्यवाही नहीं करता शासन

बिजनौर जेल की घटनाओं से पूर्व राजधानी की लखनऊ जिला जेल में भी कई सनसनीखेज घटनाएं हो चुकी है। इसमें भी शासन ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की। जेल के गल्ला गोदाम से 35 लाख की नगद बरामदगी, जेल के अंदर से वाराणसी के एक व्यवसाई को धमकी, सनसाइन सिटी की पावर ऑफ अटॉर्नी, ढाका से जेल में बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग, बंदी की गलत रिहाई सरीखे कई मामले हुए। इन मामलों में किसी भी मामले में किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी बेखौफ हो गए हैं।

नोट: बिजनौर जेल की फोटो के साथ लगाए