क्या ममता मोदी को उकसा रही हैं..?

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क्या ममता मोदी को उकसा रही हैं..?
क्या ममता मोदी को उकसा रही हैं..?

राजेश कुमार पासी

बंगाल में अजीब राजनीति चल रही है. जहां जनता और विरोधी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वहीं सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी भी बंगाल की सड़को पर विरोध कर रही है। एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ विपक्ष इसलिए विरोध प्रदर्शन कर रहा है क्योंकि पुलिस और अस्पताल प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की है। कमाल की बात है कि जिस मुख्यमंत्री के अधीन पुलिस और अस्पताल प्रशासन आता है, वो भी न्याय मांगने के लिए सड़क पर उतर रही हैं। हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है तो ममता बनर्जी यह आरोप लगा रही हैं कि पुलिस ने पूरा मामला सुलझा लिया था और आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया था लेकिन मामला सीबीआई के पास जाने से सब पानी में चला गया है। वो कह रही हैं कि सीबीआई जल्दी से जल्दी आरोपी को फांसी की सजा दिलवाए, वो देर क्यों कर रही है। सवाल यह है कि ममता जानती है कि सीबीआई सिर्फ जांच कर रही है और सजा देना तो अदालत का काम है लेकिन वो ऐसा व्यवहार कर रही हैं जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है। क्या ममता मोदी को उकसा रही हैं..?

एक तरफ भाजपा उनकी सरकार के खिलाफ बंगाल में विरोध प्रदर्शन कर रही है तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने सख्त कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को दो पत्र लिख दिए हैं। एक तरफ पूरे देश से बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही है तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी ने बयान दिया है कि अगर बंगाल में आग लगी तो असम, त्रिपुरा, नॉर्थ ईस्ट, उड़ीसा, बिहार, यूपी और दिल्ली भी आग में जल जायेंगे । ममता बनर्जी एक तरफ न तो बंगाल भाजपा के विरोध की परवाह कर रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ वो केंद्र सरकार की संभावित कार्यवाही से बेपरवाह नजर आ रही हैं।

     ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जिस सरकार के खिलाफ जनता और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हों, उसी सरकार के मंत्री और नेता भी सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दें । ये भी बड़ा अजीब है कि जिस सरकार के खिलाफ केंद्र सरकार से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जा रही है और केंद्र की गतिविधियां उस ओर इशारा कर रही हैं तो सरकार की मुखिया ही केंद्र को धमकी देने पर उतर आई है। अब सवाल पैदा होता है कि क्या ममता बनर्जी मोदी सरकार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए उकसा रही हैं। क्या वो डर के कारण विरोध करने का नाटक कर रही हैं। 

वास्तव में जब से ममता बनर्जी बंगाल की सत्ता में आई हैं, ऐसा पहली बार है कि वो बुरी तरह फंस गई हैं और उनको इन परिस्थितियों से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है। ममता बनर्जी को विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शनों से कोई फर्क नहीं पड़ता है, उन्हें परेशानी यह हो रही है कि इन प्रदर्शनों को जनता का समर्थन मिल रहा है। बंगाल के छात्रों ने ममता सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था जिसको रोकने के लिए पुलिस को बड़े इंतजाम करने पड़े और इसके अलावा उनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई । छात्रों का प्रदर्शन पूरी तरह से गैर राजनीतिक था लेकिन ममता बनर्जी ने इसे बाहरी लोगों की गुंडागर्दी बता दिया। उनका कहना है कि इससे बंगाल की शांति भंग की जा रही है। छात्रों के खिलाफ कार्यवाही के विरोध में भाजपा ने दूसरे दिन बंगाल बंद करने की घोषणा कर दी। किसी विरोध प्रदर्शन या बंद के खिलाफ कार्यवाही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी करते हैं लेकिन देखने में आया कि टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर बंद का विरोध कर रहे थे । जहां भाजपा के नेता और कार्यकर्ता लोगों से बंद का समर्थन करने को कह रहे थे तो टीएमसी के लोग जबरदस्ती लोगों की दुकानें खुलवा रहे थे ।

बंद को असफल करने के लिए खाली बसों को चलाया गया । टीएमसी की कोशिशों के बावजूद बंगाल की जनता ने बंद को सफल बना दिया । इस बंद के विरोध में 31 अगस्त को टीएमसी ने जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन किया लेकिन जनता का समर्थन उसे हासिल नहीं हो सका ।  टीएमसी के छात्र संगठन के सम्मेलन में ममता बनर्जी ने मोदी सरकार को धमकी दी कि अगर बंगाल में आग लगी तो कई प्रदेश भी जल जायेंगे । ममता बनर्जी माफी मांगने या पीछे हटने को तैयार नहीं हैं । वो हड़ताली डॉक्टरों को भी अप्रत्यक्ष रूप से धमकी दे चुकी हैं कि अगर उनकी सरकार ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की तो उनका जीवन बर्बाद हो सकता है । 

     सुप्रीम कोर्ट और कोलकाता हाई कोर्ट से ममता सरकार को जबरदस्त लताड़ पड़ चुकी है । जनता का विरोध भी दिखाई दे रहा है और प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है । कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी भी बंगाल सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं । घटना से संबंधित अस्पताल के डॉक्टर आज भी हड़ताल पर डटे हुए हैं । इसके अलावा केन्द्र सरकार भी बंगाल पर सक्रिय दिखाई दे रही है और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु  ने भी महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर बड़ा बयान दिया है । इसके बावजूद ममता बनर्जी न तो पीछे हटती दिखाई दे रही हैं और न ही उनके व्यवहार में कोई नरमी नजर आ रही है ।

ममता बनर्जी की राजनीतिक समझ पर सवाल नहीं खड़े किये जा सकते और वो कमजोर नेता भी नहीं हैं । वो एक जुझारू नेता हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वो क्या करें । वो जानती हैं कि उनसे मामला संभालने में गलती हो गई है लेकिन उनके लोग इस मामले में फंसे हुए हैं । मामला उनके हाथ से निकल चुका है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान ले लिया है और जांच सीबीआई के हाथ में चली गई है । इस मामले के कारण पूरे देश में उनकी और उनकी पार्टी की छवि खराब हो गई है । इंडी गठबंधन का भी दबाव उनके ऊपर पड़ रहा होगा ।  वास्तव में इतनी बड़ी घटना की ज्यादा देर तक अनदेखी करना विपक्षी दलों के लिए मुश्किल हो रहा है । प्रदेश कांग्रेस बेशक बंगाल में विरोध प्रदर्शन कर रही है लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस के सभी बड़े नेता इस मामले पर चुप्पी बनाए हुए हैं । अन्य विपक्षी दल भी ममता बनर्जी का बेशर्मी से बचाव कर रहे हैं और कुछ चुप्पी बनाए हुए हैं । जिस मामले पर पूरे देश में चर्चा हो रही है और जनता में गुस्सा भरा हुआ है, उस मामले पर चुप्पी बनाए रखना विपक्ष के लिए कितना मुश्किल हो रहा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है । 

     ममता बनर्जी जानती है कि मोदी सरकार पर उसके समर्थकों का भारी दबाव है कि वो बंगाल में जल्दी से जल्दी राष्ट्रपति शासन लगा दे । राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए बंगाल में सारी परिस्थितियां मौजूद हैं । ममता बनर्जी जानबूझकर हालात को और बिगाड़ रही हैं ताकि बंगाल में जल्दी से जल्दी केन्द्र सरकार राष्ट्रपति शासन लगा दे । उनको इन हालातों से बाहर निकलने का एकमात्र यही रास्ता दिखाई दे रहा है । ऐसा पहली बार है कि बंगाल की जनता ममता सरकार के खिलाफ बाहर निकल आई है । ममता बनर्जी बहुत चतुर राजनेता हैं, उनसे बेहतर बंगाल को कोई नहीं समझ सकता । वो समझ चुकी हैं कि जनता का गुस्सा शांत करना अब उनके बस से बाहर निकल चुका है । दूसरी तरफ विपक्षी दलों के लिए इस मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखना मुश्किल हो रहा है तो कुछ और भी बोलना मुश्किल हो रहा है ।

अगर मोदी सरकार इस समय वहां राष्ट्रपति शासन लगा देती है तो ममता बनर्जी को सड़क पर आने का मौका मिल जायेगा । वो जनता में यह बात पहुंचा सकती हैं कि सब कुछ भाजपा का किया धरा है । उसने ही मामले को बिगाड़ा ताकि उनकी सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सके । राष्ट्रपति शासन कोई स्थायी व्यवस्था तो है नहीं, कुछ समय बाद चुनाव कराने पड़ेंगे तो जनता की  सहानुभूति मिलने की उम्मीद ममता बनर्जी कर सकती हैं । दूसरी तरफ इस मुद्दे पर बहुत दिनों से शांत विपक्षी दलों को भी बोलने का मौका मिल जायेगा । वो मोदी सरकार पर संविधान की हत्या करने और तानाशाही करने का आरोप लगा सकते हैं । वो सड़कों पर उतर सकते हैं कि मोदी सरकार ने एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनी सरकार को हटाकर राष्ट्रपति शासन लगा दिया । भाजपा पर आरोप लगाया जा सकता है कि बंगाल की जनता उसे चुनावों में जीतने नहीं दे रही थी तो भाजपा ने पिछले दरवाजे से राष्ट्रपति शासन लगाकर बंगाल की सत्ता पर कब्जा कर लिया । बंगाल की जनता में ममता सरकार के प्रति जो गुस्सा बढ़ता जा रहा है, वो अचानक शांत हो सकता है । जो धरने-प्रदर्शन ममता सरकार के खिलाफ हो रहे हैं वो लोकतंत्र और संविधान बचाने के नाम पर भाजपा के खिलाफ शुरू हो जायेंगे । जनता का ध्यान बंगाल की पीड़िता के साथ हुई दरिंदगी से हटाकर भाजपा की कार्यवाही की तरफ कर दिया जायेगा । मेरा मानना है कि मोदी भी राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं वो इतनी जल्दी ममता के जाल में फंसने वाले नहीं हैं । वो बहुत ठंडा करके खाते हैं. उन्हें पता है कि जनता कितनी जल्दी अपना मूड बदल लेती हैं और नेताओं के प्रति कितनी जल्दी उसमें सहानुभूति पैदा हो जाती है । बंगाल की जनता ने ममता को चुना है तो वो ही उसे कुर्सी से हटाए तो बेहतर है ।  क्या ममता मोदी को उकसा रही हैं..?