सुरक्षा के बजाए जेल मुख्यालय में फाइल ढो रहे वार्डर..! विभाग से रिटायर हुए अफसरों के घरों पर लगे कई सुरक्षाकर्मी।
लखनऊ। जेलों में बंदियों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए वार्डर शासन, मुख्यालय ही नही रिटायर अफसरों के घरों पर चाकरी कर रहे है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। मजे की बात यह है कि घरों में कुत्ता टहलाने, कपड़ा धोने, खाना बनाने के लिए लगाए गए सुरक्षाकर्मी को अभी तक हटाया नही गया। विभाग में कार्यरत के साथ रिटायर्ड अफसरों के घरों पर सुरक्षाकर्मियों को लगा रखा है। जेलों की सुरक्षा के लिए तैनात दर्जनों की संख्या में सुरक्षाकर्मियों को जेल मुख्यालय में फाइल ढोने के लिए लगा रखा गया है।
प्रमुख सचिव कारागार का आदेश हुआ हवा हवाई– प्रदेश की विभिन्न जेलों से मुख्यालय और अन्य जेलों पर अटैच सुरक्षाकर्मियों को अपने मूल तैनाती स्थल पर भेजने के लिए प्रमुख सचिव कारागार की ओर बीते दिनों एक आदेश किया गया था। यह आदेश भी हवा हवाई ही साबित हुआ। प्रमुख सचिव के निर्देश के बाद भी मुख्यालय और जेलों से सम्बद्ध किसी भी जेल सुरक्षाकर्मी हो हटाया नहीं गया। प्रमुख सचिव के आदेश से पूर्व जेलमंत्री स्वतंत्र प्रभार ने भी ऐसा ही एक आदेश किया था। वह भी कागजों में सिमट कर रहा गया।
विभागीय जानकारों और दस्तावेजों के मुताबिक राजधानी जेल मुख्यालय से रिटायर्ड एआईजी के घर पर सेवा के लिए लगे वार्डर को वापस करने का आदेश किया। इसी प्रकार करीब आठ साल पहले जेल मुख्यालय से डीआईजी मुख्यालय के पद से सेवानिवृत्त हुए के घर पर भी जेल का एक वार्डर चाकरी कर रहा है। इसी प्रकार रिटायर्ड एआईजी के यहां हरदोई, सीतापुर व लखीमपुरखीरी जेल से वार्डर चाकरी के लिए लगाए गए है। यह तो बानगी भर है। इसी प्रकार कई सेवानिवृत्त अधिकारियों के घरों पर अनाधिकृत रूप से वार्डरों को तैनात कर रखा गया है। इस सच की पुष्टि कारागार मुख्यालय के दस्तावेज से की जा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि यही नहीं जेल की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हेड वार्डर और वार्डरों को दर्जनों की संख्या में जेल मुख्यालय में फाइल ढोने के लिए लगा रखा है। जेलों की सुरक्षा को काटकर जेल मुख्यालय में लगाए गए इन वार्डरों को लंबे समय तक हटाया नहीं जाता है। वर्तमान समय में प्रदेश की विभिन्न जेलों से करीब छह से सात दर्जन सुरक्षाकर्मी मुख्यालय में अटैच किए गए हैं। एक बार अटैच होने के बाद यह सुरक्षाकर्मी लंबे समय तक मुख्यालय पर ही जमेे हुए हैं। उधर जेल मुख्यालय के डीआईजी अरविंद कुमार सिंह से जब बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं उठा। मुख्यालय के अन्य अधिकारी इस गंभीर मसले पर टिप्पणी करने से बचते नजर आए। सुरक्षा के बजाए जेल मुख्यालय में फाइल ढो रहे वार्डर.!