
उत्तर प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने की दिशा में बड़ा कदम: खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में ₹5000 करोड़ का निवेश, 60,000 से अधिक को मिला रोजगार। यूपी में बन रहा औद्योगिक आधार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प के तहत खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों में भारी निवेश को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने खाद्य प्रसंस्करण विभाग को निर्देशित किया है कि प्रदेश में इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पूंजी निवेश कराया जाए, जिससे रोजगार सृजन, किसानों की आय में वृद्धि और उद्योगों की भागीदारी को बल मिले।
2025 में अब तक का रिपोर्ट कार्ड:
- 103 उद्यमियों को जारी किए गए Letter of Comfort
- 30 उद्यमियों को ₹25 करोड़ की सब्सिडी प्रदान
- कुल अब तक ₹5000 करोड़ से अधिक का पूंजी निवेश
- 60,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार
- लगभग 50,000 किसानों की उपज का हो रहा है प्रसंस्करण
- खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत अधिकतम ₹10 करोड़ तक अनुदान की व्यवस्था
कृषि और उद्योग का समन्वय:
राज्य सरकार FPOs (किसान उत्पादक संगठनों) और किसानों से कच्चा माल क्रय करने हेतु अनुबंध को प्रोत्साहित कर रही है। इसके साथ ही खाद्य इकाइयों द्वारा FSSAI मानकों के अनुसार गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे उपभोक्ताओं तक उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद पहुंच सकें।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद द्वारा खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने जाने के सरकार के संकल्प को मूर्तरूप देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अधिक से अधिक पूंजी निवेश करायें। इस क्षेत्र में रोजगार व पूंजी निवेश की अपार सम्भावनाएं हैं। विभागीय अधिकारियों द्वारा बताया गया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति- 23के अन्तर्गत 1188उद्यमियो द्वारा आवेदन किये गये, जिसमे 328 स्वीकृति प्रदान की गयी। 328 को लेटर आफ कम्फर्ट जारी किये गये व100उद्यमियो को 155 करोड़ धनराशि की सब्सिडी प्रदान की गयी। चालू वर्ष मे 103 उद्यमियों को लेटर आफ कम्फर्ट जारी हुये है और 30 उद्यमियो को रू 25 करोड़ की सब्सिडी दी गयी।लगभग रू5000 करोड़ का पूजी निवेश किया गया और 60000 लोगो को प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला।प्रदेश मे तकरीबन 50000किसानों की उपज को उद्यमियों द्वारा प्रसंस्करण किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश इस योजना /नीति के माध्यम से सबसे अधिक अनुदान रू 10 करोड़ तक उपलब्ध करा रहा है।
प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों के माध्यम से अधिक से अधिक पूंजी निवेश, प्रदेश के किसानों से कच्चे माल क्रय करने से सम्बन्धित अनुबन्ध, रोजगार सृजन, जी.एस.टी. संग्रहण एवं उद्यमियों के माध्यम से प्रदेश के कितने क्षेत्रफल से किसानों द्वारा उत्पादित कच्चे माल का उपयोग एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में कार्यरत इकाईयों द्वारा एफप.एस.एस.ए.आई. मानकों के अनुसार गुणवत्ता नियंत्रण के मानकों का अनुपालन भी होना चाहिए जिससे कि उपभोक्ताओं को उच्च कोटि का गुणवत्तायुक्त उत्पाद प्राप्त हो सकें।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार उन्नाव, हरदोई व अमेठी फूड प्रोसेसिंग हब के रूप में उभरा है। कानपुर व आगरा परिक्षेत्र में आलू आधारित इकाइयां, गोरखपुर क्षेत्र में मल्टीग्रेन, राइस ब्रान आयल , मिक्स फ्रूट, की इकाइयां, बाराबंकी, लखनऊ व अयोध्या परिक्षेत्र में रेडी टू ईट, पास्ता, पेस्ट्रीज आदि, बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र में दाल आधारित इकाइयां, वाराणसी व आजमगढ़ क्षेत्र में मुरमुरे, मल्टीग्रेन आधारित, प्रयागराज फोर्टीफाइड राइस, पास्ता आदि, हाथरस, अलीगढ़ फ्रूट जूस, फल एवं सब्जी आधारित तथा आगरा व मथुरा से रिफर वैन, व कोल्ड चेन के, इस प्रकार प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से वहां की मांग, आवश्यकता, व किसानों के उत्पाद व अन्य सुविधाओं के दृष्टिगत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के प्रस्ताव प्राप्त हो रहे हैं। अपर मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण व रेशम विभाग बी एल मीना ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना हेतु उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है व विभाग द्वारा प्रदत्त सुविधाओं की जानकारी दी जा रही है। यूपी में बन रहा औद्योगिक आधार