भारत सरकार की फॉरेन पॉलिसी फेल: अखिलेश यादव

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भारत सरकार की फॉरेन पॉलिसी फेल: अखिलेश यादव
भारत सरकार की फॉरेन पॉलिसी फेल: अखिलेश यादव

देश की विदेश नीति को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उनका कहना है कि भारत की फॉरेन पॉलिसी पूरी तरह से विफल हो चुकी है और इसका सबसे बड़ा प्रमाण है पड़ोसी देशों के साथ लगातार बिगड़ते रिश्ते और सीमाओं पर बढ़ता तनाव। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने भारत सरकार की विदेश नीति पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की फॉरेन पॉलिसी पूरी तरह फेल हो चुकी है। पड़ोसी देशों से बिगड़ते रिश्ते, सीमाओं पर लगातार तनाव, और वैश्विक मंचों पर भारत की कमजोर होती छवि इस बात का प्रमाण हैं कि सरकार केवल दिखावे की कूटनीति कर रही है। भारत सरकार की फॉरेन पॉलिसी फेल: अखिलेश यादव

सीमा पर तनाव, मित्र बने प्रतिद्वंदी

भारत की विदेश नीति को लेकर अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उनका सीधा आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति फ्लॉप हो चुकी है, और अब उसका नुकसान देश को सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर झेलना पड़ रहा है। अखिलेश यादव का तर्क है कि चीन हो या नेपाल, पाकिस्तान हो या बांग्लादेश—इन सभी के साथ भारत के रिश्ते आज पहले से अधिक जटिल और असहज हो चुके हैं। गलवान घाटी की घटना हो या अरुणाचल पर चीन के दावे, सरकार की चुप्पी और कमजोर प्रतिक्रिया से यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या विदेश नीति केवल दौरे, समझौते और फोटोशूट तक सीमित रह गई है..?

“मित्र” राष्ट्र भी बना रहे हैं दूरी

अखिलेश ने यह भी सवाल उठाया कि जिन देशों को मोदी सरकार ने ‘मित्र राष्ट्र’ बताया—जैसे रूस, अमेरिका, या खाड़ी देश—वो भी अब भारत के रणनीतिक हितों से दूरी बना रहे हैं। BRICS और SCO जैसे मंचों पर भारत की भूमिका सीमित होती दिख रही है, वहीं वैश्विक मंचों पर चीन और पाकिस्तान की लॉबी भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है।

“मन की बात नहीं, जमीन की बात करो”

अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि“विदेश नीति भाषणों और मंचों पर तालियों से नहीं चलती, बल्कि उसे जमीन पर असर दिखाना होता है। आज हमारी सीमाएं असुरक्षित हैं और हमारे पड़ोसी हम पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। यह किसी भी राष्ट्र के लिए चिंताजनक संकेत है।”

क्या सिर्फ दिखावटी बनकर रह गई है डिप्लोमेसी..?

जहां सरकार अंतरराष्ट्रीय दौरों और बड़े-बड़े समझौतों को अपनी कूटनीतिक सफलता बताती है, वहीं विपक्ष इन कदमों को “इवेंट मैनेजमेंट” करार देता है। सवाल ये है कि क्या भारत की विदेश नीति रणनीतिक गहराई से ज्यादा प्रचार की परतों में उलझ चुकी है?

क्या “इवेंट डिप्लोमेसी” बन गई है विदेश नीति?

अखिलेश यादव का आरोप है कि मोदी सरकार की विदेश नीति केवल “फोटो खिंचवाने और शोबाज़ी” तक सीमित रह गई है। उन्होंने कहा कि “देश को भाषणों और सेल्फियों से नहीं, ठोस रणनीति से चलाया जाता है। प्रधानमंत्री का विदेश नीति का विज़न केवल दिखावे तक सीमित है।” विदेश दौरों पर लाखों-करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन न तो व्यापारिक समझौते जमीन पर उतर रहे हैं, और न ही सुरक्षा को लेकर कोई भरोसा पैदा हो रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत की स्थिति संदिग्ध..?

हाल के वर्षों में देखा गया है कि SCO, BRICS, और UN जैसे मंचों पर भारत की भूमिका दबाव में रही है। अमेरिका से करीबी के चलते रूस और ईरान जैसे पारंपरिक दोस्त भी भारत से दूरी बना रहे हैं। वहीं चीन और पाकिस्तान की जोड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है।

कूटनीति में बैलेंस की कमी..?

विदेश नीति का मूल मंत्र होता है– “बैलेंस”। लेकिन मोदी सरकार ने एक तरफ अमेरिका की ओर झुकाव दिखाया है, तो दूसरी ओर पड़ोसी देशों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ किया है। यही कारण है कि भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की छवि को भी गहरा झटका लगा है।

अखिलेश यादव की आलोचना केवल राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सवाल है जो देश के सुरक्षा और वैश्विक स्थिति से जुड़ा हुआ है। विदेश नीति केवल कूटनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान और रणनीतिक सुरक्षा का अहम स्तंभ होती है। ऐसे में ज़रूरत है दिखावे से ऊपर उठकर ठोस और संतुलित नीति अपनाने की, ताकि भारत वास्तव में वैश्विक महाशक्ति बन सके। भारत सरकार की फॉरेन पॉलिसी फेल: अखिलेश यादव