भारत में भाषा और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। दरअसल, यह वही दिन है, जब साल 1949 में लंबी चर्चा के बाद देवनागरी लिपि में हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था।हिंदी भारत में आधिकारिक भाषा है और फिजी,न्यूजीलैंड,सिंगापुर,मॉरीशस जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है। सबकी आंखे खोल रहा हूँ मैं अंग्रेजी पीकर हिंदी बोल रहा हूं
भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। दुनियाभर में हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दुनियाभर के भारतीयों को भावनात्मक रूप से एक साथ जोड़ने का काम करती है। 1918 में गांधी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को जनमानस की भाषा कहते हुए राजभाषा बनाने को कहा था।
14 सिंतबर विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर दुनिया के कोने-कोने में फैले हिंदी भाषा प्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हिंदी न केवल सरल, समृद्ध और सुगम भाषाओं में से एक है, हिंदी भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा भी है। आइए, हिंदी के प्रयोग के साथ अपनी मातृभाषा को भी महत्व देने का संकल्प लें। खैर जिस देश में गाड़ी के नम्बर प्लेट पर हिंदी में नम्बर लिखने से चालान हो,जहाँ 90% प्रतिशत लोग अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर करते हो। जहाँ हिंदी के लिए २ दबाना पड़ता हो एवम् जिस देश की अदालतों में न्याय के लिए बहस हिंदी में नहीं सुनी जाती हो और न्यायाधीश अपना फ़ैसला अंग्रेज़ी में पढ़ के देते हो, उस देश के वासियो को हिंदी से अटूट प्रेम वाजिब हैं। घरों-घरों तक कोलगेट दंत मंजन की सुबह हिंदी को अंग्रेजी में बदल देती हैं और अंग्रेजी तो सिर्फ हिंदी प्रेमियों को शाम को समझ में आती हैं जब अंग्रेजी मारते हैं देशी तो नाली नाले तक का सफर करा देती हैं। हिंदी हूँ मैं, वतन भी मेरा प्यारा हिन्दुस्तान हैं। हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है और यह हमारे देश की सरकारी भाषा के रूप में नहीं बल्कि हमारे सभी जीवन के अनगिनत पहलुओं का प्रतीक है।
14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है क्योंकि 14 सितंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने का कारण कई भाषाओं वाले राष्ट्र में प्रशासन को सरल बनाना था। 14 सितंबर, 1953 को पहला हिंदी दिवस मनाया गया। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 14 सितंबर को हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी है।
हिंदी भाषा का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह भारत की विविधता का हिस्सा है। हमारे देश में कई भाषाएँ बोली जाती हैं। हिंदी भाषा एक साझा बोलचाल का माध्यम है जो हर कोने तक पहुंचता है। हिंदी को न केवल भाषा बल्कि भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। हिंदी भाषा के माध्यम से हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं, और साथ ही इससे जुड़े बंधनों को मजबूती से बाँधते हैं। हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित रहना चाहिए, और इसका संरक्षण करना चाहिए। हिंदी का उद्भव और विकास बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए हमें समर्थन और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। हमें हिंदी को एक माध्यम के रूप में न केवल सीखना चाहिए, बल्कि उसका उपयोग भी अपने जीवन में करना चाहिए। समापन के रूप में, हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी भाषा हमारी गर्व की बात है, और इसका संरक्षण करना हमारा दायित्व है। इस दिन को मनाने से हम हमारी भाषा के प्रति अपनी प्रेम और समर्थन का संकेत देते हैं। मेरा मानना हैं आज हिंदी भाषा का अस्तर गिरा हैं सुबह गुड़मार्निग से लेकर रात्रि गुड़नाईट तक हम अंग्रेजी ही बोलते हैं। हैलो से शुरु और हाय बाय तक लेकिन यूपीएससी और पीसीएस जैसी परीक्षाओं में हिंदी भाषा का स्तर गिरता जा रहा हैं जो एक अहम पहलू हैं। खैर यदि नात रिस्तेदारों में अंग्रेजी में कोई बात करता दिख जाए तो उसकी शिक्षा और इज्जत अव्वल दर्जे की हो जाती हैं। आधुनिकता के इस दौर में पुराने परिधान को छोड़कर हम डैमेज जिंस और हाफ टाप पर आ खडे़ हैं।
अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद पूरी दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा हिंदी है लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने,पढ़ने और लिखने वालों की संख्या बहुत कम है, जो और भी कम होती जा रही है। इसके साथ ही हिंदी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है। इस कारण ऐसे लोग, जो हिंदी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिंदी के प्रति अपने कर्त्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि वे हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें।
जहां “ह” से हिंदी लिखी जानी चाहिए परंतु “ह” से हिंसक होते जा रहे हैं लोग वहां “भ” से भाषा लिखने की बजाय सिर्फ “भ” से भाषण ही शेष रह गया है वहां जहां “द” से दिवस मनाना होता है हिंदी का वहां “द” से दरिंदों का अत्याचार है चारों तरफ केवल हिंसक भाषा का प्रयोग भाषण में और अत्याचार बाकी रह गया है शेष मौन मूक मृत हो चुके समाज में कुछ चंद लोगों की कुटिलता और तेज़ी से बदलते पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते व्यवहार के कारण अफसोस आज अपने ही घर में ( हिंदी )भी ख़ुद दम तोड़ती सी नज़र आ रही है। सबकी आंखे खोल रहा हूँ मैं अंग्रेजी पीकर हिंदी बोल रहा हूं