लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह

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लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह
लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह
लखनऊ सेंट्रल बार का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह सम्पन्न, अध्यक्ष अखिलेश जायसवाल के वक्तव्य ने भावविभोर किया मंच।

लखनऊ सेंट्रल बार का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। नवनिर्वाचित अध्यक्ष अखिलेश जायसवाल के वक्तव्य को सुनकर न्यायाधीश व अधिवक्ता भाव विभोर हो गए। अध्यक्ष ने अधिवक्ताओं की समस्याओं को न्यायाधीश के समक्ष रखा और उनका समाधान करने का आश्वासन भी प्राप्त किया। ऐसे नहीं कोई अखिलेश जायसवाल बनता।

लखनऊ। लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन का शपथ ग्रहण समारोह भव्य और ऐतिहासिक वातावरण में सम्पन्न हुआ। समारोह में नवनिर्वाचित अध्यक्ष अखिलेश जायसवाल समेत सभी पदाधिकारियों ने विधिवत शपथ ली। सभी ने मिलकर बार की गरिमा को बनाए रखने, अधिवक्ताओं के सम्मान की रक्षा करने और न्यायिक प्रक्रिया को सरल, सुलभ और समावेशी बनाने का संकल्प दोहराया। समारोह में न्यायपालिका और अधिवक्ता समुदाय की गरिमामयी उपस्थिति ने इस अवसर को विशेष बना दिया। समारोह के मुख्य आकर्षण रहे अध्यक्ष अखिलेश जायसवाल का वक्तव्य, जिसने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में न केवल अधिवक्ताओं की जमीनी समस्याओं को प्रभावशाली ढंग से न्यायमूर्ति महोदय के समक्ष प्रस्तुत किया, बल्कि उनके समाधान के लिए तत्काल संवाद भी स्थापित किया। न्यायालय पक्ष की ओर से सकारात्मक आश्वासन मिलने पर अधिवक्ता समुदाय में संतोष और उत्साह की लहर दौड़ गई।

न्याय के मंदिर में जब शब्द, संकल्प और संवेदना एक साथ गूंजे, तो वह क्षण केवल औपचारिक नहीं रह जाता—वह इतिहास बन जाता है। ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन के शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिला, जहाँ अधिवक्ताओं की आशाओं, अपेक्षाओं और अधिकारों की पुकार ने संगठित रूप में न्याय की दिशा में एक नई यात्रा का संकल्प लिया।

श्री जायसवाल ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि यह पद केवल सम्मान नहीं, बल्कि सेवा और संघर्ष का मंच है। उन्होंने कहा, मैं अधिवक्ताओं की आवाज़ हूं, और न्याय के मंदिर में उनकी गरिमा की रक्षा करना मेरा पहला दायित्व है। सच ही कहा गया है-ऐसे नहीं कोई ‘अखिलेश जायसवाल‘ बनता। यह नाम अब सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, अधिवक्ताओं की आशाओं का प्रतीक बन गया है। संगठन पद से नहीं, समर्पण से जीवित रहता है।

अध्यक्षश्री के भावप्रवण वक्तव्य ने समारोह में उपस्थित न्यायमूर्तियों और अधिवक्ताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने न्यायपालिका और वकालत के रिश्ते को विश्वास और संवाद का सेतु बताया। समाज में नेतृत्व का पद बहुतों को मिल सकता है, पर नेतृत्व की चेतना विरले ही किसी में जन्म लेती है। अखिलेश जायसवाल उन्हीं विरलों में हैं। संयमित वाणी, स्पष्ट सोच, और संघर्षशील कर्मठता उनके व्यक्तित्व की वह त्रयी है, जो उन्हें ‘अध्यक्ष’ से बहुत आगे, एक मार्गदर्शक के रूप में स्थापित करती है।

लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह

नव निर्वाचित महामंत्री अवनीश दीक्षित के ओजस्वी और भावनात्मक उद्बोधन ने विशेष छाप छोड़ी। उन्होंने अपने संबोधन में बार और बेंच के बीच सौहार्दपूर्ण संवाद को और सशक्त करने का संकल्प व्यक्त किया। साथ ही अधिवक्ताओं की बुनियादी आवश्यकताओं, कार्यसुविधाओं और न्यायिक प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कराने हेतु ठोस पहल करने की बात कही। श्री दीक्षित ने कहा, “यह केवल पद नहीं, अधिवक्ताओं की सेवा का माध्यम है। हर अधिवक्ता की समस्याएं अब मेरी अपनी होंगी।” उनकी इस प्रतिबद्धता को अधिवक्ताओं ने करतल ध्वनि से सराहा।

समारोह में न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा, सौरभ लवानिया, राजीव सिंह, सुभाष विद्यार्थी, बबीता रानी, वरिष्ठ अधिवक्ताओं उपस्थित रहे और बार सदस्यों ने नवगठित कार्यकारिणी को शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि नए नेतृत्व में बार की गरिमा और प्रभाव दोनों में वृद्धि होगी। वास्तव में, “ऐसे नहीं कोई अखिलेश जायसवाल बनता।” यह वाक्य न केवल उनकी नेतृत्व क्षमता, बल्कि वर्षों की प्रतिबद्धता, संघर्ष और जनसमर्पण की कहानी कहता है।यह शपथ ग्रहण समारोह लखनऊ सेंट्रल बार के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ गया। नवनिर्वाचित टीम से अधिवक्ता समुदाय को नई ऊर्जा, नई दिशा और ठोस परिणामों की अपेक्षा है। लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह