किन्नरों व जानवरों की गणना तो OBC की क्यों नहीं..?
भाजपा झूठ-फरेब,छल-कपट व नफ़रत की करती है राजनीति। किन्नरों व जानवरों की गणना कराई जाती है तो ओबीसी की क्यों नहीं…?
भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौ.लौटनराम निषाद ने बताया कि सेन्सस-2011 में सामाजिक-आर्थिक-जातिगत आधार पर जनगणना हुई थी।जब 31 अगस्त,2015 को जनगणना के आँकड़े घोषित किये गए तो ओबीसी के जातिगत आँकड़ा को उजागर नहीं किया गया।उन्होंने कहा कि मण्डल कमीशन की उच्चतम न्यायालय द्वारा 16 नवंबर,1992 को संवैधानिक करार दिया गया।नरसिम्हा राव सरकार द्वारा अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों को केन्द्रीय सेवाओं 27 प्रतिशत कोटा के लिए 10 सितंबर,1993 को अधिसूचना जारी की गई।उन्होंने बताया कि मार्च 2022 की सरकारी सूचना के अनुसार ओबीसी को अभी तक सभी वर्गों की नौकरियों में मात्र 20.26 प्रतिशत ही प्रतिनिधित्व मिल पाया है।क्लास-1 में 16.88 व क्लास-2 की नौकरियों मात्र 15.77 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली है।
उन्होंने केंद्र सरकार से बैकलॉग भर्ती द्वारा ओबीसी का कोटा पूरा करने की मांग किया है।उन्होंने कहा कि एससी,एसटी की दशकीय जनगणना कराकर जनसंख्या का आँकड़ा घोषित किया जाता है और भारत सरकार अधिनियम-1935 व भारत सरकार अधिनियम-1937 के आधार पर सरकारी सेवाओं व विधायिका आदि में जनसँख्यानुपातिक कोटा मिलता आ रहा है।जब एससी, एसटी व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्गों की जनगणना कराई जाती है तो ओबीसी की क्यों नहीं?एससी, एसटी को कार्यपालिका, विधायिका में प्रतिनिधित्व हेतु समानुपातिक कोटा दिया जाता है,तो अनुच्छेद-15(4),16(4) के अनुसार ओबीसी को समानुपातिक कोटा न देकर हकमारी क्यों कि जा रही है? उन्होंने कहा कि भारत सरकार किन्नरों,जानवरों, कछुआ,मगरमच्छ, भालू,बंदर,घड़ियाल,डॉल्फिन आदि गिनती कराती है तो ओबीसी की क्यों नहीं करा रही…?
निषाद ने केंद्रीय स्तर पर जातिवार जनगणना कराने,मंडल कमीशन की सभी सिफारिशों को लागू करने, न्यायपालिका, निजी क्षेत्र, विधायिका(विधान सभा, लोक सभा) व पदोन्नति में आरक्षण लागू करने,कोलेजियम, क्रीमी लेयर, लैटरल एंट्री, निजीकरण पर तत्काल रोक लगाने, बैंको द्वारा दिए जाने वाले सालाना व्यवसायिक लोन में ओबीसी,एससी, एसटी कोटा लागू करने,किसानों के लिए बिना शर्त 25 लाख तक के बिजनेश लोन का कानून बनाने,आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटा में सभी वर्गों को आरक्षण देने,अति पिछड़ी जातियों की सुरक्षा के लिए एससी, एसटी एक्ट की तरह प्रभावी “अत्याचार निवारण कानून” बनाने की मांग किया है।
निषाद ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2010 से 2020 तक सरकारी ओबीसी कार्मिकों की गिनती कराने के निर्णय को अनुचित करार दिया है।उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कार्मिकों की गिनती के साथ ओबीसी की गणना भी कराए,तब स्थिति साफ होगी कि किन किन जातियों को उनके जनसंख्या के अनुपात में कितना कितना प्रतिनिधित्व मिला है।उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा वंचित जातियों को न्याय देना नहीं बल्कि पिछड़ी जातियों के अंदर नफरत फैलाना है।भाजपा सरकारें झूठा दिलासा देकर अतिपिछड़ी जातियों का वोट हथियाने के लिए 2001 में सामाजिक न्याय समिति गठित किया तो 2018 में जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति गठित किया।भाजपा का मकसद हिन्दू-मुस्लिम, पिछड़ा-अतिपिछड़ा,दलित-अतिदलित के बीच नफरत पैदा कर राजनीतिक लाभ उठाना है।उन्होंने कहा कि भाजपा छल-कपट,झूठ-फरेब व नफरत की राजनीति करती है।उन्होंने कहा है कि क्या मुसलमानों ने मण्डल कमीशन का विरोध किया,क्या मुसलमान पिछडों,दलितों,वंचितों की हकमारी कर रहा है?
किन्नरों व जानवरों की गणना तो OBC की क्यों नहीं..?