डॉ. आंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत, समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता और आधुनिक राष्ट्र के शिल्पकार थे।
इंस्टिट्यूट ऑफ आर्ट एंड कल्चर उत्तर प्रदेश द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती के अवसर पर “समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता और आधुनिक राष्ट्र के शिल्पकार डॉ. आंबेडकर” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।संस्थान के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर का कहना था कि शिक्षित बनो और संघर्ष करो। डॉ. आंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत, समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता और आधुनिक राष्ट्र के शिल्पकार थे। उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य था समाज के शोषित वर्गों को न्याय दिलाना, जिसके लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।संस्थान के सचिव श्रीश सिंह ने कहा कि उन्होंने समाज में विद्यमान रूढ़िवादी मान्यताओं और विषमताओं को समूल नष्ट करने का स्वप्न देखा। वे सबसे वंचित तबको को समाज की अग्रिम पंक्ति पर सक्षम देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने आजीवन प्रयत्न किया ताकि समाज के सार्वभौमिक विकास में सबका साथ और सबका विकास संभव हो सके।
संस्थान के उपाध्यक्ष राकेश प्रभाकर ने कहा कि वे एक व्यवाहारिक एवं यथार्थवादी चिंतक थे। उन्होंने ऐसे समाज की रूपरेखा तैयार की जिसमें व्यक्ति एवं समूह को समाज में एक छोर से दूसरे छोर तक गमनागमन की पूरी छूट हो। समाज के सभी तबको को शिक्षा, आत्मविकास एवं रोजगार के समान अवसर उपलब्ध हो संस्थान के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने कहा की एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में डॉ. भीमराव आंबेडकर का अहम् योगदान है, जिसके लिए आने वाली सदियां उनको बतौर आधुनिक भारत के शिल्पकार के रूप में याद रखेंगी। कार्यक्रम में श्रीमती शशि प्रभा, पत्रकार शैलेश प्रताप सिंह,ज्ञानेश गुप्ता,ने अपने विचार व्यक्त किये।