आई फ्लू को लेकर घबरायें नहीं, सतर्क रहें। सरकारी अस्पतालों में इलाज के पुख्ता इंतजाम, दवायें भी उपलब्ध। सीएमओ और अस्पतालों के सीएमएस के आईफ्लू प्रभावित मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि आईफ्लू की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं। आई फ्लू से घबरायें नहीं,सतर्क रहें-ब्रजेश पाठक
लखनऊ। आईफ्लू को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। सतर्क रहकर आंखों के संक्रमण से खुद को बचा सकते हैं। यदि संक्रमण हो गया है तो सरकारी अस्पताल में इलाज करायें। इलाज की पुख्ता व्यवस्था है। जाँच से लेकर दवा तक के इंतजाम मुफ्त है। जिस इलाके में आईफ्लू के अधिक मरीज हों, वहाँ शिविर लगाएं। ब्रजेश पाठक ने आई फ्लू प्रभावित जिलों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है। शनिवार को सभी जिलों के सीएमओ और अस्पतालों के सीएमएस के आईफ्लू प्रभावित मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि आईफ्लू की चपेट में सबसे ज्यादा बच्चे आते हैं। सभी स्कूल कॉलेज भी सतर्क रहें। यदि किसी बच्चे को आंखों का संक्रमण है। तो उसे अवकाश प्रदान करें। स्वस्थ्य बच्चों से उससेदूर बैठाएं।
आईफ्लू मरीजों को अलग कमरे में देखें
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि नेत्र रोग विशेषज्ञ आईफ्लू मरीजों को अलग कमरे में देख सकते हैं। ताकि संक्रमण से दूसरे मरीजों को बचाया जा सके। मरीजों को इलाज के साथ क्या सावधानी बरतें। यह जरूर बतायें। इससे संक्रमण पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। संक्रमण के प्रसार को भी रोका जा सकता है।
आई फ्लू के लक्षण
-आंखें लाल होकर सूजन आना।
-आंखों से खून भी आ सकता है।
-खुजली, दर्द और गड़न महसूस होना।
-आंखों से लगातार पानी आना।
-पलकों पर सूजन व खुजली होना।
-धुंधला नजर आना।
-पलकें आपस में चिपक जाती हैं।
-तेज रोशनी खराब लगती है।
इन बातों का रखें ख्याल
-आंखों को गंदे हाथों से न छुएं।
-बच्चों को बार-बार आंखों को मलने व छूने से रोकें।
-आस-पास किसी को आई फ्लू की आशंका लगे तो आंखों को साफ पानी से धोएं।
-ठंडे पानी से सिकाई करें।
-काला चश्मा लगाये।
-अगर किसी को घर में आई फ्लू की दवा डालते हैं तो उसके बाद अपने हाथों को साबुन से धोएं। आई फ्लू से घबरायें नहीं,सतर्क रहें-ब्रजेश पाठक