राजू यादव
हम सभी के दैनिक जीवन में ऐसे अवसर अक्सर आते हैं जब हम किसी मनुष्य के ऊपर भरोसा करें या उस पर विश्वास करें क्योंकि दोनों शब्द अपनी-अपनी जगह पर मूल्यवान है। विश्वास और भरोसा दोनों अक्सर इस्तेमाल में आने वाला शब्द है और आमतौर पर इसका इस्तेमाल एक-दूसरे के पर्याय के रूप में किया जाता है। हालांकि दोनों में सूक्ष्म अंतर मौजूद है। हर धर्म अलग-अलग रूपों में एक ही शिक्षा देता है कि प्रभु पर भरोसा रखने से जीवन यात्रा सहज रहती है। पर क्या केवल विश्वास के सहारे जीना संभव है? मां की गोद में बैठा छोटा-सा बच्चा भी जरा सा झटका लगने पर अपने हाथ में जो कुछ आए उसे पकड़ लेता है। जैससे उसके सहारे नीचे गिरने से बच जाए। पहले हम जान लेना चाहिए कि भरोसा और विश्वास में क्या अंतर है ? मेरे विचार से भरोसा एक भावना होती है,जो हमें दूसरों पर आश्रित होने के लिए प्रेरित करती है।परन्तु मनुष्य के अंदर विश्वास एक नाजुक रिश्ता होता है, जो दो लोगों या समूहों के बीच संवाद और सहयोग पर आधारित होता है। आपको हम पर भरोसा या विश्वास..!
भरोसा इस दुनिया में एक बहुत शक्तिशाली शब्द है। यह दुनिया भरोसे पर ही चल रही है। हर दिन हम किसी न किसी पे भरोसा करते हैं। चाहे वह अपने दोस्तों, रिश्ते में या फिर प्रेमी पर करना हो। हमारी जिंदगी भरोसे पे ही टिकी है। अगर भरोसा नहीं है तो कोई रिश्ता नहीं होता। अगर आप अपनी भावनाओं, अपने मूड और प्यार को अपनों में या अपनों से व्यक्त नहीं कर सकते हैं। इसका मतलब यही है कि आपको अपनों न भरोसा है न ही विश्वास है।आपके भरोसे के लायक केवल वह व्यक्ति है,जो आप पर भरोसा करता है। तुमपर भरोसा करना मेरा फैसला है,इसे सही साबित करना तुम्हारी इच्छा। मैं उन लोगों की इज्जत व कद्र करता हूं,जो मुझे सच बताते हैं,भले ही वह कितना भी कठोर क्यूँ न हो। भरोसा सत्य के साथ ही शुरू होता है और यह सत्य सामने आने पर ही खत्म भी हो जाता है। भरोसा करना प्यार करने से ज्यादा बड़ी बात है। रिश्ते विश्वास की डोर पर टिके होते हैं अगर आपको रिश्तों में जासूसी करने पड़े तो बेहतर यही है कि आप वह रिश्ता तोड़ दें। भरोसा एक भावना है जिसमें किसी व्यक्ति या चीज के प्रति विश्वास और आशा होती है। यह एक व्यक्ति के व्यवहार या कार्यों के आधार पर विकसित होता है।
विश्वास करने का अर्थ है किसी अन्य व्यक्ति पर भरोसा करना क्योंकि आप उनके साथ सुरक्षित महसूस करते हैं और आपको विश्वास है कि वे आपको चोट नहीं पहुँचाएँगे या आपका उल्लंघन नहीं करेंगे। विश्वास रिश्तों की नींव है क्योंकि यह आपको रक्षात्मक रूप से अपनी रक्षा किए बिना व्यक्ति के प्रति संवेदनशील होने और खुलने की अनुमति देता है। विश्वास का तात्पर्य उस दृढ़ विश्वास से है जो किसी व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति पर होता है। दोनों शब्दों पर विचार करते समय, एक को दूसरे से अलग करना अक्सर कठिन होता है। हम ईश्वर पर विश्वास इसलिये करते है क्योंकि जब हमारे अंदर भगवान जी के प्रति सच्ची लगन और अटूट श्रद्धा होती है, तो सारे मार्ग बंद होते हुए भी एक मार्ग खुला दिखाई देता है और हमारे कार्य भी सफल होते है। जिससे हमारे अन्दर एक उम्मीद सी जागृत हो जाती है कि शायद कोई तो है जो हमेशा हमारे साथ है या ईश्वर हमारे साथ अन्याय नहीं करेगा। भरोसा और विश्वास पर दुनिया चल रही है।
विश्वास किसी भी संबंध की बुनियाद बनने का काम करता है। विश्वास के आधार पर ही मानव की ख्याति का विस्तार होता है। विश्वास कमाने के लिए व्यक्ति को उम्र भर कड़ा तप करना पड़ता है।व्यक्ति के व्यवहार के आधार पर ही समाज में विश्वास की नींव पड़ती है।विश्वास एक ऐसे मित्र की भांति होता है, जिसके समर्थन से आप सारे संसार को जीत सकते हैं।विश्वास के आधार पर ही लोगों के दिलों को जीता जाता है।विश्वास ही आपके भीतर सकारात्मकता का विस्तार करता है। विश्वास एक ऐसा भाव है जो आपको रिश्तों की मर्यादा के बारे में बताता है। यह एक ऐसा भाव है जो आपको जीवन जीना सिखाता है,इसी भाव के कारण ही मानव समाज के सामने अपने पक्ष को आसानी से रख पाता है। विश्वास एक ऐसा भाव है जो आपको प्रेम करना, सपने देखना और चुनौतियों का सामना करना सिखाता है। हर व्यक्ति के जीवन में कई बार विपरीत स्थितियां पैदा होती हैं, जिनमें यदि वह विश्वास के साथ आगे बढ़े तो उसकी हर समस्या का समाधान हो जाता है। जहां विश्वास में आस्था,समर्पण और संतोष का भाव होता है, वहीं भरोसा में आसरे और सहारे का भाव होता है।विश्वास आशावादी बनाता है,आशावादी व्यक्ति ही समाज में परिवर्तन लाता है। विश्वास एक भावना है जिसमें किसी व्यक्ति या चीज के प्रति आस्था और विश्वास होता है, भले ही इसके कोई ठोस प्रमाण न हों। यह अक्सर धार्मिक या आध्यात्मिक विश्वासों पर आधारित होता है। आपको हम पर भरोसा या विश्वास..!