
डॉ0 सी0पी0 राय
लखनऊ। सर्वोच्च न्यायालय ने आज फिर एक फैसला करते हुए देश की विभाजनकारी ताकतों को आइना दिखाने का काम किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कावंड यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों पर उ0प्र0 सरकार द्वारा नाम लिखे जाने सम्बन्धी आदेश पर रोक लगा दिया है और सरकार आगामी 26 जुलाई तक जवाब भी मांगा है। डॉ0 सी0पी0 राय ने कहा कि पिछले चुनाव में जनता ने भाजपा के खिलाफ मतदान कर 63 सीटें हराकर बहुमत नहीं देते हुए एक संदेश दिया था कि जनता सिर्फ जनहित और विकास का काम चाहती है। जनता हिन्दू मुसलमा न सहित तमाम गैर जरूरी मुद्दों के खिलाफ है लेकिन उस परिणाम से सबक न लेते हुए आरएसएस तथा भाजपा अभी भी देश को हिन्दू मुसलमान के सवाल पर भटकाये रखना चाहते है। न्यायालय ने विभाजनकारी ताकतों को दिखाया आइना
इसी मंशा से उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य प्रदेशों की सरकारों ने भी उसी तरह का आदेश जारी किये थे जिस पर देश के जागरूक नागरिकों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए इस फैसले पर रोक लगा दिया। इससे पूर्व कांवड यात्रा में चल रहे कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा भी भाजपा की इस विभाजनकारी नीति के खिलाफ संदेश दिया गया तो यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले दुकानदारों ने अपना नाम लिखने की जगह जननायक राहुल गांधी जी का संदेश ‘‘ मोहब्बत की दुकान’’ का पोस्टर लगाकर इस आदेश को चुनौती देने का काम किया था। डॉ0 राय ने कहा कि आरएसएस तथा भाजपा को अब समझ जाना चाहिए कि भारत दुनिया के विकसित राष्ट्रों से प्रतिस्पर्धा करते हुए आगे दौड़ना चाहता है न कि इन मुद्दों में फंसना चाहता है।
कांग्रेस अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने योगी सरकार द्वारा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के मालिकों के धार्मिक पहचान वाले नेमप्लेट लगाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे लगा दिए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस सुप्रीम बेइज्जती के बाद योगी जी को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि देश के संविधान का आर्टिकल 19 (1) (जी) हर किसी को अपनी इच्छा से अपना व्यापार करने का अधिकार देता है और जिसमें अपनी इच्छा से ही अपने प्रतिष्ठान का नाम रखने का अधिकार भी निहित है। वहीं संविधान का आर्टिकल 15 धर्म, जाति और नस्ल के आधार पर भेदभाव को निषिद्ध करता है। इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों, ढाबा मालिकों और ठेले वालों से अपने धार्मिक पहचान को उजागर करने के लिए अपने नामों की तख्ती लगाने का आदेश जारी करना संविधान विरोधी कृत्य था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया।
न्यायालय ने विभाजनकारी ताकतों को दिखाया आइना