राहुल गांधी के हिंदुत्ववादियों वाले बयान से कांग्रेस का सहयोगी दल शिवसेना भी सहमत नहीं।कांग्रेस को मुसलमानों और ईसाइयों की चिंता करने वाली पार्टी बताया।
एस0 पी0 मित्तल
कांग्रेस की 12 दिसंबर जयपुर में हुई राष्ट्रीय रैली में राहुल गांधी ने हिन्दू और हिंदुत्ववादियों में जो फर्क किया था उससे अब सहयोगी दल शिवसेना भी सहमत नहीं है। सब जानते हैं कि महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में कांग्रेस भी शामिल है। कांग्रेस के समर्थन की वजह से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन 14 दिसंबर को शिवसेना के मुखपत्र सामना में राहुल गांधी के हिंदुत्ववादियों पर दिए गए बयान की सामना में खुलकर आलोचना की गई है। शिवसेना की ओर से कहा गया कि कांग्रेस को सिर्फ मुसलमानों और ईसाइयों की चिंता है। कांग्रेस का हाल उस जमीदार की तरह है जो अपना महल गंवा चुका है। मालूम हो कि 12 दिसंबर को राहुल गांधी ने हिन्दू और हिंदुत्ववादियों को अलग अलग बताया था।
हिंदुत्ववादियों को हिन्दुओं से अलग करने पर ही शिवसेना नाराज है। महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार बनाने से पहले शिवसेना हिंदुत्व को लेकर भाजपा से भी ज्यादा मुखर थी। कांग्रेस को लेकर शिवसेना का बयान ऐसे समय में आया है, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संयुक्त विपक्ष में कांग्रेस के नेतृत्व को नकार रही है। ममता ने तो यूपीए की मौजूदगी पर ही सवाल उठा दिए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली जयपुर में इसलिए करवाई ताकि संयुक्त विपक्ष का झंडा कांग्रेस के हाथ में बना रहे, लेकिन ममता बनर्जी के बाद शिवसेना ने कांग्रेस की नीतियों की जिस तरह सार्वजनिक तौर पर आलोचना की है उससे प्रतीत होता है कि विपक्ष दलों पर कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। ममता का विरोध तो जायज है, क्योंकि गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कम्युनिस्टों के साथ गठजोड़ किया था। लेकिन महाराष्ट्र में तो शिवसेना-कांग्रेस मिलकर सरकार चला रही है। गठबंधन की सरकार चलाने के बाद भी शिवसेना द्वारा कांग्रेस की आलोचना राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखती है।