मुख्यमंत्री ने भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का किया लोकार्पण

28
मुख्यमंत्री ने भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का किया लोकार्पण
मुख्यमंत्री ने भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का किया लोकार्पण

भारत की परम्परा ऋषियों, सन्तों, मुनियों और महापुरुषों के त्याग और बलिदान की एक महागाथा से परिपूर्ण, युगों-युगों से विश्व मानवता इस महागाथा से प्रेरणा प्राप्त कर अपने भविष्य को तय करती रही। मुख्यमंत्री ने जनपद गाजियाबाद में पंचकल्याणक महामहोत्सव में भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का लोकार्पण किया।प्रधानमंत्री के कर कमलों द्वारा प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा का पुनर्स्थापन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, देश व दुनिया ने भारत की सनातन परम्परा के वैभव को देखा व अनुभव किया। प्रत्येक व्यक्ति इक्ष्वाकु कुल के प्रथम राजा तथा प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का स्मरण श्रद्धा भाव के साथ करता। उ0प्र0 का सौभाग्य कि यहां प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और चार पवित्र जैन तीर्थंकर अयोध्या की धरती पर पैदा हुए। दुनिया की आध्यात्मिक नगरी काशी में चार जैन तीर्थंकरों का अवतरण हुआ, जैन तीर्थंकर भगवान सम्भवनाथ जी का जन्म श्रावस्ती की धरती पर हुआ। प्रदेश सरकार द्वारा भगवान महावीर स्वामी के महापरिनिर्वाण स्थल फाजिल नगर का नामकरण पावानगरी के रूप में करने हेतु कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने समाज को नई दिशा प्रदान की, उन्होंने करुणा, मैत्री, अहिंसा तथा जियो और जीने दो की प्रेरणा विश्व मानवता को दी। भारत की ऋषि परम्परा द्वारा दिये गये विश्व मानवता के संदेश को आत्मसात कर उसका अनुसरण करने से विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। मुख्यमंत्री ने भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का किया लोकार्पण

गाजियाबाद/लखनऊ। भारत की परम्परा ऋषियों, सन्तों, मुनियों और महापुरुषों के त्याग और बलिदान की एक महागाथा से परिपूर्ण है। युगों-युगों से विश्व मानवता इस महागाथा से प्रेरणा प्राप्त कर अपने भविष्य को तय करती रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनि श्रद्धा भाव से युक्त होकर विविध पवित्र उपासना पद्धतियों के माध्यम से इस व्यवस्था को आज भी आगे बढ़ा रहे हैं। आज जनपद गाजियाबाद में पंचकल्याणक महामहोत्सव में भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का लोकार्पण करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने जैन धर्म पर आधारित पुस्तकों का विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन दिन पूर्व अयोध्या में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा का पुनर्स्थापन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ है। देश व दुनिया ने भारत की सनातन परम्परा के वैभव को देखा व अनुभव किया है। प्रत्येक व्यक्ति इक्ष्वाकु कुल के प्रथम राजा तथा प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का स्मरण श्रद्धा भाव के साथ करता है। यह उत्तर प्रदेश का सौभाग्य है कि यहां प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और चार पवित्र जैन तीर्थंकर अयोध्या की धरती पर पैदा हुए। दुनिया की आध्यात्मिक नगरी काशी में चार जैन तीर्थंकरों का अवतरण हुआ। जैन तीर्थंकर भगवान सम्भवनाथ जी का जन्म श्रावस्ती की धरती पर हुआ था। यद्यपि भगवान महावीर का जन्म वैशाली में हुआ, लेकिन उनका महापरिनिर्वाण उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के पावागढ़ में हुआ था। प्रदेश सरकार द्वारा भगवान महावीर स्वामी के महापरिनिर्वाण स्थल फाजिल नगर का नामकरण पावानगरी के रूप में करने हेतु कार्यवाही आगे बढ़ाई जा रही है।

जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों ने समाज को नई दिशा प्रदान की। उन्होंने करुणा, मैत्री, अहिंसा तथा जियो और जीने दो की प्रेरणा विश्व मानवता को दी। केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि प्रत्येक जीव जन्तु को नई दिशा प्रदान की। उसकी प्रासंगिकता आज भी उसी रूप में बनी हुई है। यदि मानव सभ्यता को विकास की नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है, तो हमें अध्यात्म की शरण में जाना पड़ेगा। अध्यात्म के साथ भौतिक विकास व सांस्कृतिक उन्नयन के लिए एक सुरक्षित,  सुसभ्य तथा साफ-सुथरा वातावरण आवश्यक है। भारत ने पहले से ही दुनिया को ऐसा वातावरण दिया है। भारत की ऋषि परम्परा द्वारा दिये गये विश्व मानवता के संदेश को आत्मसात कर उसका अनुसरण करने से विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा।

मुख्यमंत्री ने ‘णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं, एसो पंच नमुक्कारो, सव्वपावप्पणासणो, मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं’ नवकार महामंत्र का उच्चारण करते हुए कहा कि इस वर्ष अप्रैल माह में प्रधानमंत्री जी ने दिल्ली में विश्व नवकार महामंत्र दिवस पर ‘वन वर्ल्ड-वन चैन्ट’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। तब उन्होंने हमें 09 संकल्प प्रदान किये थे, जिनमें पानी की बचत, एक पेड़ मां के नाम, स्वच्छता मिशन, वोकल फॉर लोकल, देश-दर्शन, नेचुरल फार्मिंग, हेल्दी लाइफस्टाइल अर्थात् योग और खेल को जीवन में सम्मिलित करना और गरीबों के कल्याण के लिए सदैव समर्पण के भाव के साथ कार्य करना शामिल हैं।


जैन मुनियों की परम्परा साधन की पवित्रता को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। आज यहां हमें आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज तथा उपाध्याय मुनि श्री पीयूष सागर जी महाराज की 557 दिनों की कठोर साधना तथा 496 दिनों का निर्जल उपवास, तप, अनुशासन और आत्म संयम के अद्भुत उदाहरण से परिचित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह चीजें दिखाती हैं कि यदि हम संकल्पित हों, तो ‘पिंड माही ब्रह्मांड समाया’ अर्थात् जो कुछ हमें बाहर दिखाई दे रहा है, उसका अनुभव हम अपने शरीर में कर सकेंगे। आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज तथा उपाध्याय मुनि श्री पीयूष सागर जी महाराज ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रवर्तक मुनि श्री महत सागर जी महाराज, निर्यापक मुनि श्री नव पद्म सागर जी महाराज, मुनि श्री अप्रत्य सागर जी महाराज, मुनि श्री परिमल सागर जी महाराज, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सुनील कुमार शर्मा, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कुमार कश्यप सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने भगवान पार्श्वनाथ जन्मकल्याणम् तथा गुफा मन्दिर का किया लोकार्पण