

भारत का संविधान हर नागरिक को अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा का अधिकार देता है। यह अधिकार केवल एक कागजी वादा नहीं, बल्कि हर बच्चे के भविष्य की बुनियाद है। लेकिन आज जो स्थिति बन रही है, वह चिंता का विषय है। भाजपा सरकार के शासन में शिक्षा का बजट लगातार घटाया गया है। सरकारी स्कूलों की दशा बदतर होती जा रही है। लाखों शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं, कई स्कूलों को बंद कर निजीकरण की ओर धकेला जा रहा है। जब शिक्षा को लाभ का साधन बना दिया जाए, तो ग़रीब और ग्रामीण वर्ग का बच्चा उस दौड़ से पहले ही बाहर हो जाता है। संविधान से मिला शिक्षा का अधिकार छीन रही भाजपा सरकार
कन्नौज। अखिलेश यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हम लोग कहते थे कि संविधान खतरे में है। भाजपा सरकार स्कूलों को बंद कर संविधान को कमजोर कर रही है। संविधान के तहत ही शिक्षा का अधिकार का कानून है। भाजपा स्कूलों को बंद कर संविधान और कानून से मिले शिक्षा के अधिकार को छीन रही है। जब स्कूल और शैक्षिक संस्थान बंद हो जाएंगे तो गरीब और पीडीए परिवार के बच्चे कहां पढ़ने जाएंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा शिक्षा पर हमला कर रही है। बुनियादी और प्राइमरी शिक्षा को बर्बाद कर रही है। गरीबों को शिक्षा से दूर कर षड्यंत्र कर रही है। कन्नौज के एक दिवसीय दौरे के दौरान मीडिया से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी साथी बंद होने वाले स्कूलों के गांव में टीम बनाएं। पढ़े-लिखे नौजवानों और पार्टी के समर्थकों या रिटायर्ड शिक्षकों से मेरा निवेदन है कि वे पीडीए पाठशाला बनाकर बच्चों को पढ़ाने और उनका भविष्य सुधारने का काम करें। उन्होंने कहा कि हम लोग बच्चों की पढ़ाई रूकने नहीं देंगे। पीडीए पाठशाला चलाकर बच्चों की पढ़ाई कराने का काम करेंगे। अगर स्कूल बंद होते हैं तो समाजवादी लोग गांव-गांव जाएंगे, बच्चों को पढ़ाएंगे। समाजवादी सरकार बनेगी तो स्कूल पुनः और अच्छे खोले जाएंगे।
भाजपा सरकार ने प्रदेश की स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली व्यवस्था सब कुछ बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने नौ साल में कन्नौज का विकास नहीं होने दिया। कन्नौज के विकास कार्यों को रोका है। मैं कन्नौज के लोगों को भरोसा दिलाता हॅू कि आने वाले समय में सरकार बनते ही कन्नौज का ऐतिहासिक विकास करेंगे। हम समाजवादी लोग जनता के बीच रहेंगे। किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। हर संघर्ष में खड़े रहेंगे। समाजवादी सरकार ने कन्नौज मेडिकल कॉलेज बनाया। सभी गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था की थी लेकिन भाजपा सरकार ने सब काम रोक दिया। मेडिकल कॉलेज में कैंसर, हार्ट, किडनी, का इलाज होता, इसके लिए यहां के लोगों को दिल्ली, मुम्बई, नहीं जाना पड़ता। इलाज यही कन्नौज में हो जाता लेकिन इस सरकार ने मेडिकल कॉलेज की दुर्दशा कर दी। कन्नौज में काऊ मिल्क प्लांट बंद कर दिया। परफ्यूम पार्क बंद कर दिया। मंडी की व्यवस्था खराब कर दी।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में किसी की सुनवाई नहीं है। खुद भाजपा के लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। डिप्टी सीएम डपटे जा रहे है। सोचने वाली बात है कि सरकार में बैठे लोग अपने विभाग में ध्यान नहीं दे रहे हैं। समाजवादियों पर झूठे आरोप लगाते हैं। भाजपा केवल नफरत फैलाना चाहती है। ये नकली लोग है। भाजपाइयों की भाषा बहुत खराब है। ये नफरत करते हैं। समाजवादी लोग सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। हम लोग सब जगह जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिया है। भारत का बाजार विदेशों को दे दिया। अर्थव्यवस्था बर्बाद कर दी है। भाजपा घबराई हुई है। इसीलिए एसआईआर करवा रहे हैं। वोटर लिस्ट का रिवीजन करा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार बिहार की पूरी आठ करोड़ वोटर की लिस्ट दोबारा बन रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि नामांकन की संख्या तो कागजों पर है, लेकिन उपस्थिति और परिणाम दोनों गिरावट की ओर हैं। मिड-डे मील तक सीमित शिक्षा आज सरकारी स्कूलों की पहचान बन चुकी है।
सरकारी स्कूलों की संख्या घट रही है, वहीं निजी स्कूलों को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे ग़रीब तबके का बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होता जा रहा है।
“हर घर स्कूल, हर बच्चा शिक्षित” का सपना केवल स्लोगन बनकर रह गया है। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में न तो पर्याप्त स्कूल हैं, न योग्य शिक्षक। क्या यह संविधान में दिए गए शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन नहीं है?
शिक्षा का हो रहा निजीकरण
भाजपा सरकार की नीतियों से सरकारी शिक्षा का ह्रास और निजीकरण को बढ़ावा मिलता साफ़ दिखाई देता है। निजी स्कूलों की फीस बेतहाशा बढ़ी है, जिससे गरीब और ग्रामीण तबके के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। यह स्थिति संविधान के उस उद्देश्य के विपरीत है, जिसमें सभी को समान अवसर देने की बात कही गई है।
शिक्षा की गिरती प्राथमिकता
शिक्षा बजट में लगातार कटौती, नीतिगत अस्थिरता और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति में देरी यह दिखाती है कि सरकार की प्राथमिकताओं में शिक्षा हाशिए पर है। साल दर साल घटते शिक्षा बजट इस बात के गवाह हैं कि शिक्षा को बोझ और खर्च मानकर नीतियां बनाई जा रही हैं, अधिकार नहीं।
अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव बायकाट नहीं करना है। हम लोग मिलकर भाजपा को हराएंगे। भाजपा अगले चुनावों में लाखों वोटों से हारेगी। भाजपाई भी जान गये हैं कि भाजपा किसी की सगी नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा आरक्षण के खिलाफ है। भाजपा पीडीए के खिलाफ है, भाजपा गरीबों, आदिवासियों, मुसलमान भाइयों, जैन भाईयों, बौद्ध धर्म, सिख भाइयों सभी धर्मों के खिलाफ है। हिन्दुओं के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि समाजवादी शब्द आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी के खिलाफ लड़ने का सिद्धांत है। जब सामाजिक न्याय के राज की स्थापना होगी तो उसमें आरक्षण होना जरूरी है। भाजपा सरकार ने आरक्षण को लेकर नया शब्द एनएफएस (नॉट फाउण्ड सूटेबल) निकाला है। जबकि सच्चाई यह है कि भाजपा डेमोक्रेसी, सेकुलरिज्म, सोशलिज्म के लिए एनएफएस है। भाजपा लोकतंत्र के लिए सूटेबल नहीं है। इससे पहले अखिलेश यादव ने कन्नौज में मोहल्ला सराय बहादुर पहुंचकर राजेश पाल की माताजी के निधन पर शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की। इसके बाद पार्टी नेता कैश खां के गेस्ट हाउस पर रूक कर उनका हाल-चाल जाना और पार्टी नेताओं से मुलाकात की।अखिलेश यादव ने मोहल्ला शेखाना में पूर्व नगर अध्यक्ष नूरूल हसन के आवास पर पहुंचकर उनका हाल चाल जाना और उपस्थित नेताओं, कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने जिस समतामूलक समाज का सपना देखा था, उसकी नींव शिक्षा है। लेकिन उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था जिस दिशा में जा रही है, वह संविधान से मिले इस मूल अधिकार के क्षरण की ओर इशारा करती है। जब तक नीति निर्माता शिक्षा को अधिकार नहीं, केवल विकल्प मानते रहेंगे—तब तक ‘सबका साथ, सबका विकास’ एक खोखला नारा ही रहेगा। संविधान से मिला शिक्षा का अधिकार छीन रही भाजपा सरकार