लोकसभा उपचुनाव के समय मुख्यमंत्री योगी ने साधा था लाल टोपी पर निशाना,जिस सीट से योगी पांच बार सांसद थे, वह सीट भी नहीं बचा पाई थी भाजपा,दोनों सीटों पर भाजपा को मिली थी करारी हार। लाल टोपी पर लांछन लगाने मात्र से ही भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा है ऐसा पूर्व का रिकॉर्ड है।
दरअसल सियासत में शब्दों के अपने मायने हैं। उस डर के अपने मायने हैं।ये डर लाल टोपी का नहीं बल्कि एक्सप्रेसवे पर रातों खड़़ी उस भीड़ का है, सूखे से ग्रस्त बुदेंलखण्ड में उमड़ती भावनाओं के ज्वार का है। ये डर उन युवाओं का है जो रोजगार मांग रहे हैं। ये डर उस आम जनमानस की चित्कारों का है जो अपनी मूल-भूत आवश्यकताओं की मांग कर रहा है। ये डर पांच साल पहले किये गये भरोसे का है। ये डर उन किसानों का है जिन्हे डीएपी खाद, पानी और फसलों के दाम न मिल पाने का है। ये डर गंगा में तैरती लाशों का है। ये डर झूठा खाकी है और उसके द्वारा किये गये अपराधों का है। डर आ रहे उन सन्देशों का है जो बता रहे हैं की अबकी बार वोट धर्म की चासनी पर नहीं बल्कि मुद्दों पर होगा,और इसी डर में उनकी हार है तो किसकी जीत क्योंकी बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्सें में रहती है, बहुत उंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है।औरों के खयालात की लेते है तलाशी, और अपने गरेबान में झाकां नही जाता।
भाजपा के नेताओं को अब अपने राजनीतिक अस्तित्व का खतरा महसूस होने लगा है। भाजपा को एहसास हो गया है कि उसकी लाल बत्ती गुल होने वाली है। इस सच्चाई से भाजपा अच्छी तरह परिचित हो गई है तभी वह सपा पर अनर्गल आरोप लगाने लगी है। भारतीय संस्कृति का जब-तब दम भरने वाले भाजपा नेताओं को पता नहीं यह जानकारी है कि नहीं कि हनुमान जी का चोलाका रंग लाल है। सूरज का रंग लाल है। हर एक के जीवन में लाल रंग है। लाल रंग बदलाव का भी है। खून का भी रंग लाल है। इस सबकी भाजपा को समझ नहीं है क्योंकि उसकी नीतियां तो नफरत फैलाने वाली है। काली टोपी वाले यह नहीं समझ पाएंगे क्योंकि उनकी सोच संकीर्ण है।भाजपा 2022 के चुनावों में हार की आशंका से इतना भयभीत है कि वह अपना विवेक और संयम दोनों खो चुकी है। उसने लोकलाज भी छोड़ दी है। जनता ने तय कर लिया है कि वह भाजपा के अब तक के जनविरोधी कामों के लिए मतदान में उसका सफाया करके ही दम लेगी।
सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में करीब-करीब पांच लाख वोटर हैं।अनुमान के मुताबिक सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक दलित मतदाता हैं।ठाकुर और ब्राह्मण जाति के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं।इस सीट पर मुस्लिम वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।क्षेत्रफल के लिहाज से बड़ी सीट सरोजनी नगर विधानसभा सीट में बड़ा भाग ग्रामीण इलाकों का भी है।
उत्तर प्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव 2022 होने जा रहा है । उत्तर प्रदेश का सत्ता दल एवं केंद्रीय सत्ता दल उत्तर प्रदेश के भीम (अखिलेश यादव) से टक्कर लेने जा रहा है।भीम ने भी ठान लिया है की वह सत्ता दल को बेदखल करेगा यह चुनावी रण किसी महाभारत से कम नहीं होगा।प्रधानमंत्री मोदी जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव पर आक्रमक हमला बोल रहे हैं वह भी भय से ग्रस्त नजर आते हैं।मोदी ऐसा नहीं चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश का चुनाव योगी या भाजपा से हो वह उत्तर प्रदेश के चुनाव को मोदी वर्सेस अखिलेश यादव करने की ओर अग्रसर है।जिस प्रकार मोदी ने योगी के कंधे पर हाथ रखकर समझा रहे थे उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह यही बता रहे हैं अब आपकी विदाई यहां से तय है।उत्तर प्रदेश की जनता ही यह तय करेगी कि बाबा उत्तर प्रदेश चलाएंगे या फिर वापस जाकर मठ की मठाधीश पद की शोभा बढ़ाएंगे।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार कोई परीक्षा सुचारू रूप से नहीं करा पाई है। परीक्षा में परीक्षार्थी बैठेते तो हैं बैठने से पूर्व ही पेपर लीक हो जाता है। जिस तरह से खिलवाड़ सत्ता दल प्रदेश के नौजवानों से कर रही है ठीक उसी प्रकार 2022 में नौजवान भी सत्ता दल का पर्चा ख़ारिज करेंगे। आज समाज में हर वर्ग त्राहि-त्राहि कर रहा है। यही नहीं भाजपा के खुद के विधायक भी अपने मुख्यमंत्री का विरोध कर विधानसभा में प्रदर्शन कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी की भाषा में संतों वाली नहीं है। संत की वाणी हमेशा सद्भाव वाली होती है संस्कार वाली होती है लेकिन मुख्यमंत्री जी की भाषा अलगाव वाली है।भाजपा को देश की भावनाओं से कोई लेना देना नहीं है। किसानों -नौजवानों की समस्याओं के प्रति उसका रूख उपेक्षापूर्ण है। किसानों-नौजवानों से किए गए वादों को भाजपा भूल गई है। यही नहीं उसने अपने चुनाव संकल्प पत्र में जो वादे किए थे उन्हें भी वह कूड़े के ढेर में डाल चुकी है। नौजवानों को रोजगार के झूठे आंकड़ों से भ्रमित किया जाता है।
आज उत्तर प्रदेश में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है।अखिलेश यादव की रैली से भयभीत होकर रातो रात किसान बिल वापस किया गया जिस तरह से किसान बिल बिना चर्चा के लाया गया था ठीक उसी प्रकार से किसान बिल बिना चर्चा के वापस हुआ है । इस पर मोदी कैबिनेट को जवाब देना पड़ेगा कि वह इस 1 वर्ष में हुई राजस्व क्षति के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का बुलडोजर किसके ऊपर चलवायेगा इस धरना के दौरान हुई राजस्व की छत पूर्ति कहां से होगी क्या इसकी जिम्मेदारी भाजपा लेगा या फिर उन पर योगी का बुलडोजर चलेगा?पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उद्घाटन के बाद जिस प्रकार से अखिलेश यादव के भीड़ रातों टिकी रही उससे भाजपा की रातों की नींद उड़ गई । अखिलेश के भीड़ के भय से ग्रसित प्रधानमंत्री लगभग प्रत्येक सप्ताह उत्तर प्रदेश का दौरा करने को आतुर है अभी तो प्रधानमंत्री स्वयं उत्तर प्रदेश का दौरा कर रहे हैं आचार संहिता के बाद मोदी की पूरी कैबिनेट उत्तर प्रदेश के आगे नतमस्तक होने जा रही है ।